हैंडसम ब्वॉय ----------

कहने में आता है- पहले दर्शन-धारी......
                          फिर गुण-विचारी......।

आपके क्या गुण हैं...? आपकी क्वालिटी क्या है..?
यह बाद में परखा जाता हैं। पहले आपका रंग-रुप, चेहरा, स्मार्टनेस, बोलने का ढंग, हंसी, व्यक्त्तिव आदि बातों पर ध्यान दिया जाता हैं।

अगर आप, विशेष कर पुरुष है तो पहले देखा जाता है, आप हैंडसम है या नहीं..... इसके बाद आपकी योग्यता पर ध्यान दिया जाता हैं। तभी आपकी पूछ है। चाहे नौकरी हो या रिश्ता.....। वरना साधारण तौर पर आपकी योग्यता का कागज रुपी प्रमाण-पत्र को रद्दी मान लिया जाता है।

आज के दौर में किसी भी प्रोडेक्ट की गुणवत्ता, उसके पैकिंग पर निर्भर करता है ..... और उसी पर सेल भी निर्भर करता है। जिससे आपके विजनेस में चार-चांद लगने की संभावना रहती है। पैकिंग के भीतर क्या है, कैसा है, वह बाद की बात है। ठीक उसी तरह योग्यता होने के वावजूद एक नौजवान को अपना चेहरा भारी पड़ा, नौकरी के इंटरव्यू के दौरान.....।

उसका साधारण सा चेहरा बार-बार उसके नौकरी में रोड़ा (रुकावट) डाल रहा था। जब भी वह नौजवान नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाता, मजाक का पात्र बन मायूस हो लौट आता। कभी इंटरव्यू रुम के बाहर तो कभी अंदर जाकर बेईज्जत होना पड़ता था। क्वालिटी को कैरी करने वाला नौजवान करीब-करीब हर बार बेइज्जती का शिकार होता था। एक तरह का रैंगीग कहा जा सकता है जो उनके साथ होता था। 

पढ़ा-लिखा, योग्य, बेरोजगार, नौजवान के मन-मस्तिष्क और दिलों-दिमाक पर मानों हथौड़ा पड़ रहा था। ऐसे में वह अपने को हीन व असहाय महसूस कर रहा था। पर अपने जवानी के जोश को हर वक्त काबू में रखता था। 

ऐसे दौर से गुजरता, जवानी के दहलीज पर खड़ा एक बेरोजगार योग्य पुरुष ही इस दर्द का अंदाजा लगा सकता है। आज भी अधिकतर परिवार है जो घर के बेटे पर आस लगाए रहते हैं। और बेटा भी परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को खुब समझता है।

ऐसे में मनोवैज्ञानिक तौर पर वह टूट सकता है...... टूट कर बिखर सकता है.... दिशाहीन हो सकता है.... गलत संगत में पड़ सकता है। यह सब साधारण बात है।

परंतु वह संयम से काम लें रहा था। यह नौजवान तो दोहरी मार का शिकार था। योग्य और दे एक तरफ, दूसरी तरफ चेहरा।

जवानी में, चाहे लड़का हो या लड़की अपने को सुन्दर की रेस में आगे रखना चाहता है। समय मिलते ही दर्पण में निहारना स्वाभाविक बात होती हैं। ऐसे समय, ऐसी जगह चोट पहुंचाना यानी वह अंदर से हिल जाता है। खुद को संभालना मुश्किल हो जाता है। दर्पण में दरारें पड़ी नज़र आती हैं।

फिर भी इस नौजवान ने अपने को संभाला। उसने हार नहीं मानी। कुछ समय के लिए हतास और उदास जरुर हुआ पर उसने एक निर्णय लिया। 

नौजवान ने तय किया कि सारी समस्या का जड़ "मेरा चेहरा" है.....अतः इसे ही बदल डालूंगा....। फिर देखता हूं इंटरव्यू के दौरान कौन मेरा मजाक उड़ाता है...? योग्यता तो मेरे पास है ही... सिर्फ चेहरा ही ठीक करना है...सो मैं करके ही रहूंगा।

यह सोच उसने फैसला लिया, मेरे जमाये हुए पैसों से मैं अपने चेहरे का "प्लास्टिक-सर्जरी" करवाऊंगा..। अपने साधारण चेहरे को सुन्दर रुप दूंगा। मैं हैंडसम दिखूंगा...।

उसने अपने चेहरे का नौ बार "प्लास्टिक सर्जरी" करवाया। कई लाख खर्च किए। उसे एक नया चेहरा मिला। शीशे के सामने खड़े हो वह अपने को पहचान नहीं पाया। न ही उसके परिवार वाले उसे पहचान पाए। 

वह योग्य नौजवान अपने चेहरे से काफी खुश था । गर्वित महसूस करने लगा। 
लेकिन आज उसे नौकरी से कोई मोह न रहा। वह लोगों की इंटरव्यू लेता है। लोगों को नौकरी देता है।

अपनी प्लास्टिक सर्जरी के बाद वह एक "मैकप आर्टिस्ट' बन गया....।

दरअसल, इस नये चेहरे ने उसके मन को भी बदल दिया। उसके भीतर की हिनता दूर हो गई और उसे एक विजनेस-मैन बना दिया। 

प्लास्टिक सर्जरी की कला से इतना प्रभावित हुआ कि वह मैकप आर्टिस्ट बन दूसरों को नौकरी देने की व्यवस्था करने लगा।

आज वह नौजवान अपनी योग्यता और सुन्दर चेहरे के साथ अपने ऑफिस में बैठे रहता है तथा दूसरे के वेरोजगारी को दूर करता है। 

इस दौरान किसी ने उनसे पूछा- नौकरी के इंटरव्यू में चेहरे का मजाक उड़ाने के कारण आपने अपना चेहरा ही बदल डाला....? ऐसा क्यों....?

इस पर उस नौजवान ने कहा- बेइज्जती किस चीज का नाम है, यह वही जानता है जिसकी बेइज्जती होती है। योग्यता होने के बावजूद मुझसे पूछा जाता था आपका चेहरा इतना साधारण सा क्यों है...? चेहरे में वो बात क्यों नहीं है...? अगर इस बात पर मैं मुस्कुराता तो उस पर भी सवाल किया जाता था। आपकी हंसी ऐसी क्यों है....?   मैं अपना अपमान सहन नहीं कर पाता था। भीतर ही भीतर घुटता था।इसी कारण मैंने यह निर्णय लिया। 
योग्यता से बढ़कर अगर चेहरा है तो, मैं अपना चेहरा ही बदल दूंगा..... और मैंने वैसा ही किया।

आज जब मैं शीशे में अपना चेहरा देखता हूं तो मेरे में एक नई ऊर्जा उत्पन्न होती है.....।

इंसान की बातें, इंसान पर गहरा असर छोड़ देती है.......। 
इसलिए कुछ बोलने से पहले सोच लेना चाहिए...। फिर बोलना चाहिए, पर सब ऐसा नहीं करते.....। दर्द देते हैं....।

आज मैं "क्वालिटी" वाला "हेंडसम बॉय" हूं..... मैं दूसरों को दर्द नहीं रोजगार देता हूं......।
                           _____________