रोजगार के अवसर (१)------

जीने के लिए पैसों की जरूरत होती हैं और पैसों के लिए रोजगार की......।
रोजगार हमें श्रम से मिलता हैं।
जिसका जैसा रोजगार है वह अपना जीवन उस हिसाब से गुजारता है। कोई शानो-शौकत से तो कोर्ट ठीक-ठाक से, फिर कई हैं जिनको जीना है बस जी लेते हैं।

हर रोजगार हर किसी के नसीब में नहीं होता। फिर कोई थोड़ी मेहनत से अच्छा-खासा कमा लेते हैं तो कोई कम कमा पाते हैं। परन्तु हमारी कोशिश जारी रहती हैं तथा रोजगार करना ही पड़ता है....।

कई बार ऐसा होता है, हम मेहनत करते  हैं लेकिन सही समझ के साथ नहीं कर पाते। समय गवां बैठते हैं और मेहनत का सही फल नहीं मिल पाता।

दरअसल, हमें सही राह दिखाने वाला या अवगत कराने वाला नहीं मिल पाता। जिस कारण मेहनत तो करते हैं पर उन्नति नहीं कर पाते।

एक बार किसी ने मुझसे कहा था- जीवन में अभिभावक (सलाहकार) की बहुत जरूरत होती है। हर क्षेत्र में समझाने, सलाह देने वाला होना चाहिए......। या हमें किसी से जानकारी लेनी चाहिए। सही दिशा निर्धारित कराने वाला होना चाहिए....। तभी मेहनत रंग लाती है और हम अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। बाकी किस्मत है.....। वो

 यहां रोजगार की बात कर रहे थे अतः इसी पाइंट पर आते है......

इस लेख के जरिए कुछ ऐसे अवसरों की बात करुंगी जो मेरी उपलब्धियों में से हैं.......।
जिन्हें आजमाकर देखा जा सकता हैं.....।

कई बार सुनने में आता है, इस बिजनेस को करने से महीने में इतने लाख की कमाई होगी। उस बिजनेस में पैसा डालने से सालाना उतने का टर्नओवर होगा। अमूक मशीन खरीदने से वो काफी अच्छा मुनाफा देगा। 
....पर मेरा मानना है ऐसा नहीं है। किसी भी व्यवसाय का सीधा संपर्क सैल से है। सैलिंग पर मुनाफा और कमाई निर्भर करता हैं।

हमने पैसा लगाया, मेहनत की, समय दिया, माल (सामान) बनाया पर सैल नहीं हो पाई। तब रोजगार या कमाई कहां से होगा....?

इसलिए सोच समझ कर काम शुरू करना होगा। जिन चीजों की डिमांड है उस पर फोकस करना है। इंभेस्टमेंट का भी ध्यान रखना होगा....।

जो चीज नई है या बाजार में कम है, डिमांड के साथ, उस पर फोकस करना होगा।

जो व्यक्ति कुछ शुरू करना या नया (छोटा)करना चाहते हैं उनके लिए कुछ आइटम की बात करना चाहूंगी...। लेकिन उससे पहले जान लेना उचित होगा कि किसी भी बिजनेस में रिक्श और नुकसान उठाना पड़ेगा.....। इन दो बातों को ध्यान में रखते हुए इस ओर कदम बढ़ाया जा सकता है...... तभी सफलता कदम चूमेगी....।

इस लेख में दो आइटम के बारे में बताना चाहूंगी जिसके बारे में सोच सकते हैं.....
(१) खाद्य आइटम..... (२) कपड़ा आइटम.......।

रोजगार अवसर (१) में, सिर्फ खाद्य आइटम की चर्चा करेंगे....... तथा रोजगार अवसर (२) में कपड़ा आइटम के बारे में.....। 
जो दूसरे लेख में जानकारी दी जाएगी....।

यहां इस लेख में "खाद्य आइटम" की बात करते हैं।

किसी भी खाद्य पदार्थों के आइटम में काम करने के लिए लाईसेंस की जरूरत होती है। जो आसानी से बनवाया जा सकता है। पहले उसे बनाना होगा.....। कार्पोरेशन, म्युनिशिपल्टी या पंचायत से....।

इस लेख में खाद्य आइटम के अंतर्गत सूखा, पीसा और तला, इन तीन प्रकार के खाद्यान्नों की बात करेंगे.....।

1) सूखा खाद्य आइटम- इसमें सीजन (मौसम) के हिसाब से पत्तियों को लेना है। जिन्हें अच्छे से साफ कर सूखाना है। फिर बारीकी या दरदरा पीस कर पैकिंग करना हैं।

पैकिंग के ऊपर अपना ब्रांड नेम या लेबल लगा सकते हैं। और पैकिंग के भीतर एक हैंड बिल रख सकते है। उसमें सुखे पत्तों की उपयोगिता, फायदे, और प्रयोग लिख सकते हैं। ताकि कस्टोमर को यूज करने में आसानी रहें।

यहां नीम, पान, मेथी, करीपत्ता व मेहंदी के पत्तों को इनके उपज के मौसम के समय संग्रह कर सकते हैं। तब सस्ता मिलेगा। जिससे अच्छा प्रोफीट किया जा सकता है। खाद्य के साथ ही साथ इस तरह की पत्तियां औषधि तथा कास्मेटिक के लिए उपयोगी है। अतः बारों महीने इसकी डिमांड रहती हैं।

2) पीसा खाद्य आइटम- इस तरह के आइटम में दाल और चावल को पीसकर उसका चूर्ण (आटा)  या पावडर बना पैक किया जा सकता हैं।

चना, मूंग, उड़द, मटर आदि इस प्रकार की दालें और चावल में ब्राउन, अरवा, बासमती आदि प्रकार के चावलों को ले सकते हैं।

इसमें भी उसी पद्धति से पैकिंग, ब्रांड व भीतर हैंड बिल की व्यवस्था की जा सकती हैं।

दाल और चावलों को भी सीजन के हिसाब से मंडियों से ले साफ कर पीसाई की जा सकती है।

आजकल इनके पावडर तरह-तरह के रेसिपीज में काम आते हैं। इसके अलावा कास्मेटिक के तौर पर भी प्रयोग में लिया जाता हैं।

3) तला खाद्य आइटम- इस आइटम के तहत गेहूं का आटा, चावल का आटा, मैदा, सूजी, बेसन से मिठी और नमकीन मठरी बनाकर नये पैकिंग के साथ बेचा जा सकता हैं। 

आजकल रेडीमेड की काफी डिमांड हैं। इसलिए ऐसी चीजें सालभर चलेगी। त्यौहारों के मौसम में प्रचूर मात्रा में डिमांड रहती हैं।

इस तरह से बिजनेस को अगर दो-तीन लोग, दोस्त आपस में मिलकर ईमानदारी, सफाई और लगन से करें या महिलाएं भी करें तो अच्छा काम चल सकता हैं।

सैल करने के लिए दो-चार पाकेट बनाकर इस प्रकार बेचा जा सकता हैं----

पहला- अपने जान-पहचान, पड़ोसियों को दे (बेच) सकते हैं......।

दूसरा- आसपास के दूकानदारों को बेचने के लिए दे सकते हैं....।

तीसरा- स्कूलों में, आफिसों में वहां के क्लिकों को दिया जा सकता है.....।

चौथा- सैल्स वॉय या गर्ल्स रख कर उनके जरिए बेचा जा सकता हैं।

पांचवां- किसी फैक्ट्री, रेलवे स्टेशन, आॉफिस के बाहर, मेले में भी (अस्थाई स्टोर) ट्राई कर सकते हैं....।

पांचवां- ऑनलाइन भी बेचने का मौका है......।

ऐसे जगहों से शुरुआत करते हुए आगे बढ़ना है।

अगर रोजगार का मेरा यह सुझाव पसंद आए तो इसे आजमाकर देखें सकते हैं.......।

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