एक्स-रे-------

            

          8 November, विश्व एक्स-रे दिवस है।
यह किरण (रे) एक तरह का अज्ञात किरण है। इसे न देखा जा सकता है, न ही महसूस किया जा सकता है। इसके जरिए शरीर के भीतरी भाग का फोटो खींचा जाता है। जैसे- छाती, हृदय, फेफड़े, दांत, हड्डियों आदि के स्पष्ट फोटो....।

इलाज की सुविधा हेतु शरीर के भीतरी अंगों का "एक्स-रे" करवा कर ही डाक्टर चिकित्सा शुरू करते हैं। ताकि डाक्टरों को सही जांच मिले और उससे वे ठीक से इलाज कर सके।
एक्स-रे यानी "रेडिएशन किरण" यह हमारे शरीर के चमड़े और मांसपेशियों को आराम से भेदकर अंदरूनी हिस्से का साफ फोटो खिंचता है।
एक्स-रे करने की बहुत ही आसान विधि है।पहले मरीज़ को समतल जगह पर सीधे से लेटा दिया जाता है या खड़ा किया जाता है। फिर एक्स-रे मशीन में एक ट्यूब लगा दिया जाता है। अब शरीर के जिस भीतरी अंग का फोटो खिंचाना हो उस जगह ट्यूब को (ऊपर से) रखा जाता है। 15-20 मिनट में ही फोटोग्राफी प्लेट (फिल्म प्लेट) पर एक्स-रे वाले हिस्से का फोटो आ जाता है।

सफेद फोटोग्राफी प्लेट पर काला और काले फोटोग्राफी प्लेट पर सफेद रंग का फोटो आ जाता है।इस प्लेट को एक्स-रे "रिपोर्ट" कहा जाता है। इसे देख, डाक्टर अपना इलाज शुरू करते है। एक्स-रे रिपोर्ट से डाक्टरों को इलाज करने में मदद मिलती है।

एक्स-रे दो प्रकार के होते हैं-पहला ठोस तथा दूसरा नरम। चमड़े और मांसपेशियों के आर-पार होकर रेडिएशन किरण स्पष्ट फोटो (इमेज़) खिंचता है।

इस किरण के बारे में एक बात और जानना जरूरी है कि इससे सिर्फ शरीर के भीतरी भाग का फोटो ही नहीं खिंचा जाता बल्कि इसके दूसरे अनेक उपयोग भी है। जो बहुत ही Important है।

एक्स किरण की तीव्रता, तरंग, पावर अलग-अलग रुपों में प्रयोग किया जाता हैं।

*जैसा कि हम जानते हैं कैंसर मरीजों को केमो थरोपी यानी रे दिया जाता है। ताकि कैंसर वाले हिस्से में इसके किटाणुओं को रेडिएशन किरण के माध्यम से समाप्त किया जा सके। लेकिन ऐसे में किरण की तरंग बहुत तीव्र होती है। जो काफी नुकसानदायक होता है।

*इसके अलावा हीरे की पहचान के लिए, उसकी शुद्धता को जानने के लिए इस किरण को प्रयोग में लाया जाता है।

*शहर-कस्बों में बड़ी-बड़ी इमारतें, पुल आदि बनाते समय, काम आने वाले धातुओं की गुणवत्ता की जानकारी इन्हीं किरणों के जरिए ली जाती हैं। इस्तेमाल किये जाने वाले धातु कमजोर है या अंदर से खोखले हैं यह जानकारी मिलती हैं।

*कई लोगों की गुप्त चोरियां भी इन्हीं किरणों के (मेटल डिटेक्टर) माध्यम से पकड़ी जाती हैं।  अनेक लोग हैं जो मुल्यवान धातु को अपने बैग, शरीर के कपड़ों या कई बार निगल कर पेट के भीतर छुपाकर ले जाते हैं। जो दिखाई नहीं देता। परंतु रेडिएशन किरण के माध्यम से छुपाई हुई धातु पकड़ाई में आ जाता हैं। 
इस तरह से और भी कई उपयोगों में एक्स किरण को युज करते हैं।

एक्स किरण को न देखा जा सकता है,न ही महसूस किया जा सकता हैं। मानव शरीर के भीतरी फोटो (इमेज़) लेने के दौरान यह किरण शरीर को कोई दर्द भी नहीं देता है।

मजे की बात है एक्स-रे (किरण) का आविष्कार नहीं किया गया। प्रयोगशाला में काम (प्रोफेसर के) करने के दौरान इमेज से इस किरण का पता चला है।

1895 में जर्मनी के भौतिक शास्त्र के एक प्रोफ़ेसर प्रयोगशाला में काम करने के दौरान उन्होंने इस किरण को पाया। वहां रखे सामान की छवि देख वे चौंके और उन्होंने उस पर शोध किया। शोध से उन्होंने पाया-
ठोस व नरम पदार्थ के भीतरी हिस्से का स्पष्ट इमेज़ (छवि) इसी किरण से पा सकते हैं।
इसके लिए उन्होंने सर्वप्रथम अपनी पत्नी के हाथ में इस किरण का प्रयोग (एक्स-रे) किया। इससे उन्होंने पाया कि हाथ के साथ ही, अंगुली में पहनें अंगुठी की भी स्पष्ट इमेज़ देखने को मिली। उसके बाद अपने दो साथियों के साथ मिलकर एक्स-रे की बात सामने रखी।

आज के दिनों में इलाज के लिए डॉक्टर एक्स-रे करवाने को कहते हैं। अतः इस प्रक्रिया के बारे में अधिकतर लोग जानते हैं। परंतु एक्स-रे (रेडिएशन किरण) दिवस के बारे में चंद लोग ही जानतें हैं। 
जो 8 नवम्बर को है.....।
Important ray की जानकारी के साथ इसके दिवस को भी ध्यान में रखना हमारे लिए कई मायनों में ज़रुरी है......।
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