लाफिंग बुद्धा-----

दुनिया में "विद्या" का खास मान है। 
    वास्तुशास्त्र भी एक विद्या है। 
                
 विश्व के अलग-अलग देशों में "वास्तु विद्या" (शास्त्र) का अलग-अलग महत्व हैं। इस विद्या में लोग काफी रुचि भी रखते हैं।

     चीन और जापान में वास्तु-विद्या को "फेंगशुई" कहा जाता है। वहां के फेंगशुई के अनुसार "लाफिंग बुद्धा" का विशेष महत्व है। इसे वहां के लोग लकी मानते है। 

लाफिंग बुद्धा को चीन और जापान में भगवान माना जाता है। वहां "फेंगशुई" और "लाफिंग बुद्धा" का बहुत महत्व हैं।

      चीन के लोग "लाफिंग बुद्धा" को "पुताई" और जापान के लोग "होतेई" के नाम से जानते हैं। लेकिन दुनिया के लोग इसे "लाफिंग बुद्धा" के नाम से जानते हैं।

फेंगशुई जगत के लाफिंग बुद्धा को मानने का एक विशेष कारण है। कारण बहुत ही दिलचस्प है.....।जो फेंगशुई के अलावा मनोवैज्ञानिक दृष्टि कोण पर भी आधारित है।

      जानकारी के अनुसार माना जाता है- जापान में "होतेई" नाम के एक व्यक्ति थे। वे गोल-मटोल और नाटे (ठिगने) थे। उनका बड़ा सा पेट शरीर से बाहर की ओर निकला रहता था।
      होतेई, महात्मा बुद्ध के शिष्य थे। कहा जाता है, महात्मा बुद्ध से सम्पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात वे अत्यंत ख़ुश हुए। 
      इस कामयाबी पर खुश होने के कारण वे जोर-जोर से हंसने लगे। काफी देर तक हंसने के बाद उन्होंने महसूस किया कि हंसी जीवन को सुख-शांति से भर देता है। अतः हंसी को ही उन्होंने जीवन का लक्ष्य बना लिया। 
      
    वे जहां भी जाते हंसते...... हंसते रहते..... हंसने से उनका बड़ा सा पेट हिलता।  अपने पेट को हिला-हिलाकर वे हंसते रहते। ऐसा करने से उन्हें आनंद आता था। उन्हें हंसता देख तथा उनके हिलते पेट को देख दूसरे लोग भी हंसने लगते। जिसके कारण वहां का माहौल खुशनुमा हो जाता था। उपस्थित लोगों में खुशी का संचार होता था। उनके इस हंसी की बजह से उसका नाम 'लाफिंग बुद्धा" पड़ा।

       दरअसल, उनके हमेशा हर जगह हंसते रहने के कारण वे, लाफिंग और महात्मा बुद्ध के शिष्य होने के कारण "बुद्धा" कहे जाने लगे। दोनों मिलाकर "लाफिंग बुद्धा" नाम पड़ा। लोग उन्हें लाफिंग बुद्धा के नाम से पुकारने लगे। 

    हमने देखा है कि हमारे आसपास के कई क्षेत्रों में "लाफिंग क्लब" या "लाफिंग क्लासें" चलती हैं। वहां जाकर लोग हंसते हैं या हंसने की प्रेक्टिस करते हैं। हंसने से दिलों-दिमांग पर अच्छा प्रभाव पड़ता हैं। मन खुश रहता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से माना जाए तो हंसी एक प्रकार का टॉनिक है। जो हमें खुश रखता है। इसलिए हंसना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी होता है।
            
    हंसी से माहौल सकारात्मक होता है। जिससे इंसान को एक प्रकार की उर्जा मिलती है। जो उसके उन्नति की ओर अग्रसर होने की संभावनाओं को बढ़ाता है।

फेंगशुई का लाफिंग बुद्धा भी सकारात्मक ऊर्जा को हंसी के माध्यम से बढ़ाता है।

आप नोटिस करेंगे, किसी को रोता देख, हमारी आंखें भी नम हो जाती है। वहीं किसी को हंसता देख हम भी मुस्कुराने लगते हैं। खूश होते हैं। कई बार बात को बिना समझे ही या आधी अधूरी बात जाने ही कई लोग दूसरों के साथ यूं ही हंसने लगते हैं। ऐसा हमारे साथ कई बार होता हैं। 

ऐसे ही लाफिंग बुद्धा के हंसी के चलते वहां का वातावरण खुशनुमा हो जाता। जिससे लोगों में सुख-समृद्धि, मन की शांति, अच्छा स्वास्थ्य, अत्यधिक सकारात्मक ऊर्जा, कार्य-कौशलता को बढ़ने में मदद मिलती हैं। 

हंसी एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्य को खुश रखने की सीख देता है। और यह कार्य "लाफिंग बुद्धा" करता है।

चीन और जापान के फेंगशुई के अनुसार लाफिंग बुद्धा शुभ तथा सकारात्मक ऊर्जा (पोजेटीव एनर्जी)का प्रतीक है।

उनके वास्तुशास्त्र के अनुसार लाफिंग बुद्धा की अलग-अलग 12 मूर्तियां हैं......। ये मूर्तियां अलग-अलग मनोकामनाओं और खुशियों को लेकर हमारे घर आती हैं। अलग-अलग मूर्तिओं की अलग-अलग मान्यता है।

अपने इच्छाओं के अनुसार या मनोकामना के अनुसार लाफिंग बुद्धा की मूर्ति लाकर घर के पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए। तथा उस मूर्ति को रोज देखना चाहिए। कहते है ऐसा करने से परिवार के सदस्यों में सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दोष दूर होते हैं।
लाफिंग बुद्धा का महत्व सिर्फ चीन या जापान में ही नहीं हैं। बल्कि विश्व में है। साथ ही हमारे देश में भी है।
        जीवन के तमाम परेशानियों के बीच अगर हम लाफिंग बुद्धा को याद कर अपने घरों में उसे लाकर रखें तो हो सकता है परेशानियों से कुछ राहत मिले और हमारे में सकारात्मक ऊर्जा पैदा हो। हम हमेशा हंसते रहे, खुश रहे.......।

याद रखें, सृष्टि के सभी प्राणियों में मानव एक मात्र प्राणी है जो हंस सकता है.....।
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