कैलेंडर-------

दोस्तों! हर साल की तरह इस साल भी आप लोगों ने अपने-अपने घरों में साल का न जेया कैलेंडर जरुर लगा लिया होगा।
        नए साल के अब तक का हर तारीख किसी न किसी के इतिहास का साक्षी बनकर हमारे समक्ष कैलेंडर के माध्यम आ रहा है और आगे के लिए इतिहास रचता चला जा रहा हैं।
        कैलेंडर, कुछ पुराने और कुछ नए इतिहास रचना से हमें अवगत कराता रहता हैं।
        जन्म, मृत्यु, विवाह, त्योहार, उत्सव आदि का साक्षी बनता चला जा रहा है यह कैलेंडर......।
        उदाहरण के तौर पर, लेख लिखने से पहले दिन का तारीख (6-2-2022) लता मंगेशकर जी (स्वर कोकिला) के निधन ने इतिहास बना दिया। जो कैलेंडर में अंकित हो गया। और वह बहुत दुखद है।
    कहा जाता है बुद्धिमान लोग इतिहास पढ़ते हैं। इतिहास किसी भी क्षेत्र से संबंधि हो सकता है। इससे ज्ञान बढ़ता है और ज्ञान हमारे जीवन में पथ- निर्धारित करने में सहयोग करता है। अतः आज कैलेंडर के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हैं।
नया साल शुरू होने से पहले ही कईओं के घरों में नया कैलेंडर आ जाता हैं। घर, पाकेट, पर्स और मोबाइल हर माध्यम से कैलेंडर हमें सहयोग करता हैं। यह दिन, वार, सप्ताह, महीने,साल आदि से हमें जोड़ता रहता हैं।
कैलेंडर हमें हमारे उम्र से भी अवगत करवाता रहता हैं। एक-एक दिन के चले जाने का अहसास दिलाता है।
     दुनिया भर के हर जाति-धर्म के लोग इसके  निर्देशानुसार अपना कार्य, त्यौहार, शादी-व्याह, खेती आदि करते व मनाते हैं। यही कारण है कि कैलेंडर हर एक के जीवन में अहम स्थान बनाएं हुए हैं। शायद इसके वगैर जीवन में ठहराव सा आ जाएगा....... लेकिन क्या कभी हम सोचते हैं कि कैलेंडर के बारे में हमें जानना चाहिए? जिससे हम अपने जीवन के गतिविधियों को निर्धारित करते हैं?
विशेष कर नई पीढ़ी को इसके इतिहास के बारे में जानना चाहिए .....?
      तो आईए, संक्षिप्त में कैलेंडर के इतिहास से परिचित होते हैं......
      यहां अंग्रेजी कैलेंडर की चर्चा करते है। क्योंकि साधारणतया इसी को हम फोलो करते हैं।‌
      जिस अंग्रेजी कैलेंडर को फोलो करते हैं उसे "ग्रेगोरियन कैलेंडर" के नाम से जाना जाता है। दुनिया भर के लोग इसी कैलेंडर को फॉलो करते हैं।
      जानकारों के अनुसार कैलेंडर का आविष्कारक "रोमानियन" है। अर्थात रोमन है।
      रोम सम्राट ने पहली बार कैलेंडर बनवाया था। काफी बदलाव तथा सुधार के बाद 1582 में कैलेंडर का आविष्कार किया गया।
       उस समय रोम के पोप "ग्रेगोरी" (आठवें पोप) ने ज्योतिष-शास्त्रज्ञय से इस बारे में सलाह ली। और कई पहलुओं में विचार कर कैलेंडर बनवाया।     जिसका नाम पोप के नाम पर "ग्रेगोरियन कैलेंडर" रखा गया।
       पहला शब्द "ग्रेगोरियन" और दूसरा शब्द "कैलेंडर"।
       दरअसल, पहला शब्द रोम के आठवें पोप के नाम पर रखा गया। जिनकी वजह से इसका (कैलेंडर) आविष्कार हुआ था।
       बात करते है दूसरे शब्द कैलेंडर की....रोम में माह के पहले दिन को "कैलेंडि"कहा जाता था। इसे दूसरे रुप में कह सकते है- "कैलेंडियम"....।इसका अर्थ है "हिसाब का बही"। इसी से अंग्रेजी में "कैलेंडर शब्द" की उत्पत्ति हुई है। इसलिए दोनों को मिलाकर "हिसाब का बही" रुपी कैलेंडर का नाम "ग्रिगोरियन कैलेंडर" पड़ा।
       आगे जैसे-जैसे दिन बितते गए इसमें कई सुधार हुए परंतु आज भी दुनिया भर में कैलेंडर के हिसाब से ही लोग नया साल आरंभ करते हैं तथा "जीवन के हिसाब का बही" कैलेंडर के हिसाब से ही करते हैं। और कैलेंडर की जननी रोम को ही मानते है।
       अंग्रेजी कैलेंडर में अंकित बारह महीनों के अधिकांश नाम भी रोम सम्राट और उनके देवी-देवियों के नाम के अनुसार रखा गया है।
       रोम के आविष्कार ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार पूरी दुनिया चलती है लेकिन आज की तारीख में दुनिया भर में करीब 40 प्रकार के भिन्न-भिन्न कैलेंडर है। जो कहीं-कहीं व्यवहार किए जाते हैं।
       कहा जाता है कैलेंडर के आविष्कार से पहले सूरज की किरण, धूप, छांव आदि को केन्द्र कर "जीवन का हिसाब" किया जाता था। बाद में कैलेंडर के हिसाब से हिसाब रखा जाता रहा.....।
जो आज भी कायम है....।
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