हरी बिंदी- लाल बिंदी--------

            दोस्तों! वैसे तो बिंदी महिलाओं की सुहाग की निशानी है। पर इस लेख में हरी बिंदी और लाल बिंदी का तात्पर्य शाकाहारी और मांसाहारी के स्त्रोत की निशानी से हैं।
             बजार में खाने की विभिन्न सामग्रियों के बंद डिब्बों और पैकेट बंद पैक के ऊपर कंपनी का नाम, मूल्य, तारीख आदि के साथ हरी बिंदी और लाल बिंदी देखने को मिलती हैं। बिंदी यह सुनिश्चित करता है कि पैक के अंदर शाकाहारी आइटम है या मांसहारी.....। 
            अगर हम खाद्य पदार्थ (खाने की चीजों) संबंधित व्यापार करते हैं तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी ही होती हैं। अतः सुरक्षा साबित करने के लिए खाद्य लाइसेंस की जरूरत पड़ती हैं। "Fssai" नामक सरकारी संस्था इसे (लाईसेंस) मूहइया कराती है।
             Fssai संस्था के कुछ नियम है। जिन्हें ध्यान में रखते हुए खाद्य-पदार्थों का व्यापार किया जाता है। चाहे स्ट्रीट फूड हो या बड़े-बड़े होटल और रेस्टोरेंट... सभी व्यापारियों को लाईसेंस लेकर ही काम करना पड़ता हैं। 
             खुला खाद्य पदार्थ हम देख सकते है लेकिन डिब्बा बंद और बंद पैकेट के अंदरूनी खाद्य पदार्थ दिखाई नहीं देते इसलिए हरी बिंदी और लाल बिंदी के द्वारा दर्शाया जाता हैं कि अंदर किस प्रकार की खाद्य सामग्री है। जिसे देख व्यक्ति अपने हिसाब से  खरीदते हैं।
         खाद्य लाईसेंस देने वाली सरकारी संस्था Fssai के निर्देश अनुसार- पूर्ण शाकाहारी आइटम जो कि पेड़-पौधों के स्त्रोत के द्वारा बनाया जाता है उस बंद पैकेट पर हरी बिंदी तथा मांसाहारी यानी जो खाद्य पदार्थ पशु-पक्षी,अंडे आदि से बनाया जाता हैं उस पैकेट पर लाल बिंदी अंकित किया जाना अनिवार्य होता हैं। ताकि किसी के धार्मिक भावनाओं और संवेदनाओं को ठेस न पहुंचे।
         हमारे देश में शाकाहारी, मांसाहारी और सर्वाहारी सेवन करने वाले लोगों का सम्यव्य हैं। इन सबों को ध्यान में रखते हुए खाद्य-पदार्थों के लिए लाइसेंस जारी किया जाता हैं।
         लेकिन खाद्य लाईसेंस के नियमानुसार दो स्त्रोतों से मिलाकर जो खाद्य पदार्थ बनाते हैं उसमें 5% से कम वजन का वह हो तो खास नियम की जरूरत नहीं पड़ती। जैसे-पौटेटो चिप्स, नूडल आदि।
         हाल ही की बात है, जानकारी के मुताबिक पता चला है कि संस्था (Fssai)के इस तीसरे नियम के पिछे पूर्ण शाकाहारी लोगों की भावनाओं को आहत किया जा रहा हैं। ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है।
         इस तरह के खुलासे के बाद न्यायालय की तरफ से कहा गया है कि इस तरह के दो स्त्रोतों वाली सामग्री वाले खाद्य उत्पादन की ओर अब से विशेष ध्यान दिया जाए। ताकि किसी भी प्रकार से लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ न हो सके। खाद्य उत्पादनों में जो भी सामग्रियां दी जाएंगी उसकी पूरी जानकारी दी जाए। सामान्य प्रतिशत में भी पैक पर लाल बिंदी ही लगाई जाए। उन्हें मांसाहारी ही माना जाएगा। ऐसे पैकों पर हरी बिंदी नहीं लगाई जा सकती। पेड़-पौधों के स्त्रोत से बनी सामग्रियों पर ही सिर्फ हरी बिंदी लगाई जाए।
         अतः पैक बंद खाद्य-पदार्थों से जुड़े व्यापारियों को इस आदेश पर ध्यान देते हुए अपना-अपना व्यापार करना उचित होगा। जिससे अपनी मुश्किलें पैदा न हो, साथ ही पूर्ण शाकाहारी लोगों के धार्मिक भावनाओं को भी ठेस न पहुंचे...।
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