पिंजरे में कैद--------

               
    होली और दीवाली हमारे महत्वपूर्ण त्यौहार हैं। जो हमारे जीवन में खुशियां लेकर आते है। परंतु कुछ लोगों के लिए त्यौहार की खुशी का अर्थ कुछ और ही होता है।
            हमारे देश के कई क्षेत्रों में कुछ लोग त्यौहारों की खुशियों का स्वागत शराब (नशे) के संग करते है। शराब पार्टी से त्यौहार मनाया जाता है। ऐसे लोग इसे परम्परा और सगुन के तौर पर मानते हैं।
              त्यौहार को छोड़ें, अनेक लोग हैं जो इसके आदि है। नित्य सेवन करने वाले......।
              दोस्तों, त्यौहार से शराब की बात आई और शराब से गुजरात की अद्भुत घटना याद आई। उसी को साझा करने का मन हुआ सो इस लेख के माध्यम कर रही हूं। शायद कई लोग इससे वाकिफ भी होंगे ....।
              जैसा कि आप जानते हैं पिंजरे में पशु-पक्षियों को कैद किया जाता हैं। लेकिन क्या आपने सुना है आजकल विशेष कारणवश कुछ इंसानों को भी पिंजरे में कैद किया जा रहा हैं ...?
       जी हां...... शराबियों को.....
    कितनी विचित्र और अद्भुत बात है। साथ ही मानव समाज के लिए अत्यंत शर्म की भी बात है।   
     जानवरों के पिंजरे में इंसान.....।    
         पिछले कुछ समय (सालों) से हमारे देश के कई राज्यों में कानूनी तौर पर शराब पीने से रोक लगा दी गई है। बावजूद उसके अनेक राज्यों के लोग कानूनी व्यवस्था को ताक में रखकर अपना शौक पूरा कर रहे हैं। कुछ गांवों में दिन प्रतिदिन शराबियों की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं। वे जानते हैं स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव पड़ता हैं। लेकिन लत लगा बैठे हैं।
          इसके कारण घर-परिवार में आर्थिक संकट आ पड़ता हैं। छोटे-छोटे बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता हैं।
          शराब पीकर लोग आए दिन घरों में कलेश करते हैं जिससे घर का वातावरण खराब हो जाता है। 
          शराब इंसान के सुद्ध-बुद्ध को खो देता है जिस कारण घर-परिवार के अलावा समाज भी इसके चपेटे में आ जाता हैं। कई बार देखा गया है शराबियों के जरिए अत्यंत ग़लत काम हो जाता हैं। परिवार और जिन्दगियां बर्बाद हो जाती हैं।
          इसके अलावा सुनने में आता है जहरीले शराब पीने से लोगों की मौत भी हो जाती हैं। जिससे उन परिवारों का भविष्य अंधकारमय हो जाता हैं।
          अतः इस तरह की तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए गुजरात के 24 गांवों के एक खास समुदाय ने अनोखा उपाय सोचा.....। 
     पिंजरे में कैद।
           पिछले कुछ सालों से गुजरात के 24 गांवों के खास समुदाय, गांव के सरपंच और उनके सहयोगियों ने मिलकर शराबियों को पकड़ पिंजरे में डालने का बिड़ा उठाया हैं। ताकि उनकी शराब पीने की लत छूटे।
          रात को शराब के नशे की हालत में मिलने पर व्यक्ति को पकड़ कर पिंजरे में बंद कर दिया जाता है। और जुर्माने के तौर पर 1200/ के करीब वसूला जाता है। जब तक जुर्माना नहीं मिलता उन्हें छोड़ा नहीं जाता।
          इस उपाय संबंधित खर्चों के अलावा बाकी जुर्माने से बसूले गए पैसों से गांव का विकास कार्य होता हैं।
          पिंजरे में शराबियों को सिर्फ पानी की एक बोतल और शौच के लिए कंटेनर दिया जाता है।
          लोगों को शराब से बचाने के लिए इस अनोखे प्रयोग को चालू किया गया है। ताकि व्यक्ति और उसके परिवार तथा समाज को बचाया जा सके।
          इस अनोखे प्रयोग से गांव में खलबली सी मच गई है। इसका असर भी लोगों पर पड़ा है। यह उपाय काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।
          इस उपाय से शुरू-शुरु में पिंजरे में शराबियों की संख्या अधिक थी। लेकिन बाद में धिरे-धिरे यह  संख्या कम होने लगी। अर्थात लोगों में इस अनोखे प्रयोग का खौफ पैदा हो गया और वे पिंजरे से डरने लगे।
          इससे पता चर रहा है, उन 24गांव में सुधार हो रहा हैं..... इसमें कोई शक नहीं......शराब के दलदल में फंसे परिवार तकलीफ से उबर रहे हैं।
          सच है, इंसान चाहे तो अपने-अपने तरीकों से समाज को सुधार सकता है। एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकता है। 
          सभ्य समाज के लोगों का सोशल और मोर्ल कर्तव्य होता हैं कि समाज को संवारे.....
           सिर्फ कानून के भरोसे न रहें। 
       जिससे हम अपने आसपास के समाज को सौहार्द पूर्ण रख सकते हैं। हम व हमारा भावि प्रजनन स्वास्थ्य रह सकता हैं।
          


           
        गुजरात के 24 गांवों के खास समुदाय का खास उपाय सराहनीय है। 
          वातावरण का प्रभाव इंसान पर विशेष रूप से पढ़ता है। हम जिस माहौल में पलेंगे,बड़े होंगे वैसे ही बनेंगे।
          इस अनोखे प्रयोग को दूसरे क्षेत्र के लोग भी आजमाकर देखें तो शायद वे भी शराबियों को और उनके परिवार को मदद दिला सकते हैं।
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