गौतम बुद्ध के अष्टमार्ग ------

बुद्ध पूर्णिमा के दिन "भगवान गौतम बुद्ध" का जन्म हुआ था। वे "बौद्ध धर्म" के संस्थापक थे। बौद्ध धर्म को मानने वालों का यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।
                       जानकारी के अनुसार, विष्णु के अवतार होने के कारण गौतम बुद्ध को "भगवान गौतम बुद्ध" कहा जाता है।
        इस त्योहार की मान्यता भारत के साथ ही श्री लंका, कोरिया, वर्मा, जापान आदि अनेक देशों में भी हैं।
दुनियां के विभिन्न देशों में बुध पूर्णिमा का खास महत्व है।
भगवान बुद्ध के जीवन के बारे में बहुत लोग जानते होंगे लेकिन उनके "अष्टमार्ग" की जानकारी अल्पसंख्यकों को ही होगी। इसलिए आज के लेख के जरिए अष्टमार्ग और उसकी विशेषता के बारे में जानकारी ले लेते हैं.......।

          सांसारिक जीवन व्यतीत करते हुए गौतम बुद्ध की दृष्टि, संसार के चार दृश्यों पर पड़ी ....।
 बिमारी, बुढ़ापा, मृत्यु और संन्यासी .....। इन दृश्यों ने उनका जीवन बदल कर रख दिया। क्योंकि ये बहुत कष्टकारी थे.... पीड़ादायक थे....। इनमें उन्हें सिर्फ दुःख ही दुःख नजर आया।
        मनुष्य को इससे छुटकारा दिलाने के लिए वे अपने विलासीत (सुख-सुविधाओं से भरपूर) जीवन का त्याग कर सत्य की खोज में निकल पड़े।
        कुछ वर्षों पश्चात गौतम बुद्ध को सत्य की खोज मिली। 
        सत्य की खोज ने उन्हें "सिद्धार्थ" से "गौतम बुद्ध" बना दिया।
         संसार के दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गौतम बुद्ध ने मनुष्य को जो रास्ता बतलाया उसे "अष्टमार्ग" कहते हैं .....।
         अगर मनुष्य अष्टमार्ग को अपनाने की कोशिश करें तो उसके जीवन से दुःख दूर होंगे।
         आइए दोस्तों! भगवान गौतम बुद्ध के अष्टमार्ग और उसकी विशेषताओं की जानकारी लेते हैं......।
                1) सम्यक(सम्पूर्ण) दृष्टि- जीवन में सुख-दुख दोनों होते हैं। मनुष्य को अपने जीवन में इनका संतुलन बनाए रखना होगा।
                2) सम्यक संकल्प- अगर जीवन से दुःखों को दूर करना है तो संकल्पों की आवश्यकता है। अतः संकल्पों को अपनाएं।
                3) सम्यक वाक- मनुष्य को अपनी वाणी को नियंत्रण में रखना चाहिए तथा उसकी पवित्रता पर भी ध्यान देना चाहिए। वरना जीवन में दुःख निश्चित है।
                4) सम्यक कर्मात- मनुष्य के जीवन में अच्छे आचरण का होना आवश्यक है। इसके लिए क्रोध, द्वेष और दुराचार को त्यागना बहुत जरूरी हैं।
                5) सम्यक आजीव- अन्याय के पथ पर चलकर जीवन के साधनों की व्यवस्था की जाए तो उसका परिणाम भुगतना पड़ता है। अतः मनुष्य को न्याय के पथ पर चलकर जीवन के साधनों की व्यवस्था करनी चाहिए। न्याय और अन्याय को उसे समझना होगा।
                6) सम्यक व्यायाम- अपने जीवन से अशुभ को त्याग कर शुभ लक्षणों को अपनाने का हमेशा प्रयास करना चाहिए।
                7) सम्यक स्मृति- मानव जीवन में एकाग्रता अतिआवश्यक है। इससे विचार और भावनाऐं उत्तम प्रकृति के होते हैं। इसके लिए अर्थात मन की एकाग्रता के लिए शारीरिक और मानसिक विलासिता से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
                8) सम्यक समाधि- अष्टमार्ग के मार्गों को अपनाकर, मानव अपने मन को एकाग्रह और शुद्ध कर सकता हैं। जो समाधि है और यही समाधि धर्म है......। मनुष्य को सदा धर्म के साथ चलना चाहिए।

गौतम बुद्ध के शिक्षा का मूल मंत्र है- 
संसार दुखों से भरा है। 
दुःख का कारण वासनाएं है।
वासनाओं को दूर करने से दुःख दूर होंगे।
और वासनाओं को दूर करने के लिए अष्टमार्ग को अपनाकर उस पर चलने की कोशिश करनी हैं।

        अतः भगवान गौतम बुद्ध के अष्टमार्ग को अपनाकर हम अपने जीवन के दुखों को नष्ट कर सकते हैं। जो आज....इस युग में भी संभव है.....।
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