हीट एनर्जी---------

      यह प्राकृतिक देन है। जो स्वाभाविक तौर पर मनुष्य के विशेष उम्र और व्यक्तित्व पर असर छोड़ता है।
             हीट यानी गर्मी तथा एनर्जी यानी ऊर्जा। इसके संबंध को जोश, सकारात्मकता या विकास से जोड़ा जा सकता हैं।
            कई बार देखा गया है कई मौकों में हम युवा अवस्था (14-15 बर्षीय)को उनके अल्हड़पन के कारण उन्हें गलत समझ बैठते हैं। घर-बाहर अनेक जगह, कई मौकों पर उन्हें दोषारोप करते हैं। कभी-कभी अभिवावकों पर भी उंगली उठाई जाती हैं। लेकिन इस उम्र का अल्हड़पन प्राकृतिक देन है जो हम भूल जाते हैं। युवा अवस्था में प्राकृतिक गुण छलकता है।
            बचपन की दहलीज को लांघ कर जवानी की पहली सीढ़ी में कदम रखते है। स्वाभाविक तौर पर अधिकांश पैर लड़खड़ा जाते हैं। हालांकि नियंत्रण की कोशिश पर ध्यान देना आवश्यक होना
चाहिए।
           यहीं अर्थात जीवन के इसी मोड़ पर उनका परिचय "हीट एनर्जी" से होता है। मानों पूरी दुनिया उनकी मुट्ठी में हो...... दुनिया की सारी खुशियां उनके कदम चूमती हो...... किसी बात की फ़िक्र नहीं.....रंगीन सपने देखना....उनके चारों ओर सकारात्मक ही सकारात्मक ऊर्जा फैली हो.....।
        अद्भुत है यह "हीट एनर्जी".....।
    विकास के हर पहलुओं को बांटती हैं। सपनों को संजोती है। इसी दहलीज से शारीरिक विकास भी शुरू होता हैं। चाहे लड़का हो या लड़की....सोच के साथ शरीर  का भी विकास होने लगता हैं।

            लड़कों की आवाजों में परिवर्तन आता है। हल्की हल्की मूंछें निकालती हैं। कंधे और छाती चौड़ी होने लगती हैं। फूर्ति से भरा समय...... दूसरी ओर लड़कियों के भी शारीरिक गठन में बदलाव दिखने लगता हैं। मासिकचक्र से गुजरना पड़ता हैं। अकारण बात-बात में हंसी का आना।
     इस स्टेज पर चिखना-चिल्लाना, शोर-शराबा, मस्ती-धमाल आदि करते रहना। विपरीत लिंगी की ओर आकर्षित होना।
     ऐसे समय शरीर में रक्त प्रवाह ज्यादा होना जिससे मुंह में कई बार मुंहासों का निकलना स्वाभाविक होता हैं। 
     खुबसूरती, आंखों की चमक, घने बाल, चमकती त्वचा, स्फूर्ति से भरा "टीन एज" ....।   कारण, हीट एनर्जी.....।
     दिलों का धड़कना, प्रजनन शक्ति का संचार, यही प्राकृतिक देन हैं। इसलिए देखा गया है कई समय गलतियां हो जाती है। जो उनके और परिवार के लिए दुखदाई बन जाता है। 
     किसी के लिए कुछ करने की ललक बनी रहती हैं। 
     "टीन एज" के दाखिले पर, "हीट एनर्जी" यह सब करवाती हैं।
    ..... उपाय हैं। परन्तु प्रकृति को रोकना कुछ मुस्किल सा भी है।  वैसे यह हीट एनर्जी धीरे- धीरे उम्र के साथ कम होती चली जाती है। जो प्रकृति का नियम है।
     उम्र के साथ हीट एनर्जी का असर मनुष्य में कम होता जाता हैं लेकिन कुछ लोगों में इसके बदले रूप का संचार होता है। जो आजीवन उनके साथ ही रह जाता है।
     जैसे-जैसे जीवन आगे बढ़ता है उस हिसाब से हीट एनर्जी के क्वालिटी में परिवर्तन होता रहता है। धुंधला होने लगता है। हांलांकि इसका असर लोगों में बहुत ही कम दिखता है।
      आपने ध्यान दिया होगा जीवन में कुछ ऐसे व्यक्तित्व वाले लोग हैं जिनके चेहरे और आंखों में हमेशा हर परिस्थिति में मुस्कान दिखाई देते हैं। ऐसी-ऐसी बातें करते रहते हैं, बिना हंसे आप रह नहीं सकते। खास माहौल में इनका होना चार चांद लगाने जैसे होता हैं। माहौल में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। किसी भी काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। दूसरों की मदद करने में आलस नहीं करते। ज़िन्दगी को हर पल जीते हैं। उनमें सकारात्मकता भरी रहती हैं। ऐसे व्यक्तियों से मिलकर मन प्रसन्न हो जाता है।
      ऐसे कई महिला-पुरुष है जो "एभरग्रीन" होते हैं। अपनी उम्र से कम दिखते हैं। यही है हीट एनर्जी की दूसरी क्वालिटी.....।
      लेकिन दुनिया भर में हीट एनर्जी और इसके दूसरे क्वालिटी का प्राकृतिक प्रभाव कुछ टीन एज व व्यक्ति पर पड़ नहीं पता। अगर पड़ता भी है तो जिंदगी के दर्द (बोझ) तले दब कर रह जाता है।
      ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई की गहराई में दबे बीज (हीट एनर्जी) का अंकुर निकलना ही नहीं चाहता। और एक वक्त आता है जब वह मानसिक और शारीरिक तौर पर इस ऊर्जा से बंचित रह जाता हैं। जीवन बित जाता है पता ही नहीं चलता......।
      हो सकता है टीन एज में हीट एनर्जी का प्रभाव पड़ा हो लेकिन बाद में जिंदगी के क्रूर कर्तव्य को निभाते हुए- नेगेटिविटी, उदासी, गुस्सा, स्वभाव में परिवर्तन आदि समस्याओं से जूझना पड़ता हैं। दुःखी हो जीवन गुजारना पड़ता है।
      वैसे जानकारी के अनुसार इसका इलाज है जो शानदार जिंदगी जीने की कला बताते हैं। शरीर तो नहीं पर मन को युवा बनाए रखने का उपाय बताते हैं। सकारात्मकता सोच के साथ जीवन का विकास कराते हैं।
    कई आधुनिक इलाज हैं......।
      खैर,प्रकृति की देन "हीट एनर्जी" है......
      पर,क्या हमारी कोई देन नहीं हो सकती......?
            ढलती उम्र में जीने की सीख.....।
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