रेड क्रॉस डे-------

           मानवता दिवस! ऐसा भी कह सकते है।
  जब तक सूरज और चांद, उदय-अस्त होते रहेंगे तब तक दुनिया से मानवता नहीं जाएगी। भले ही मनुष्य में मानवीय बोध कम हो लेकिन खत्म नहीं होगी। कम से कम 8 मई -"रेड क्रास डे" इसे लुप्त होने नहीं देंगा। यह मनुष्य के मानवीय बोध को प्रेरित करता रहेगा।
       "रेड क्रॉस" महज एक चिन्ह मात्र नहीं है बल्कि यह मानवता सेवा का प्रतीक है.... चिकित्सा सेवा का प्रतीक है.....।
       कई स्कूलों में बच्चों को फास्टेड बॉक्स (First Aid) बनाना सिखाते हैं। और उसके बारे में उन्हें अवगत करवाते हैं। बचपन से ही सेवा भाव व मानवता का पाठ पढ़ाया जाता है।अतः इसे भूलना असंभव है। 
       इसके अलावा किसी भी चिकित्सा संस्थान में जाने से वहां हमें "रेडक्रॉस" चिन्ह दिखाई देता है। 
       अंतरराष्ट्रीय संगठन की ओर से इस तरह के  चिन्ह को बनाया गया था। इसका मतलब था- किसी भी देश में आपातकाल के दौरान, बिना भेदभाव के, मानवता को ध्यान में रखते हुए निस्वार्थ भाव से वहां के ज़ख्मी व घायल लोगों की मदद की जाए। भोजन, चिकित्सा और सुरक्षा प्रदान की जाए।
      * रेडक्रॉस चिन्ह और दिवस से जुड़ी, छोटी पर गहरी घटना के बारे में कुछ जानकारी लेते है.....।
       सन् 1800 की बात है। स्विट्जरलैंड के एक विजनेस मैन थे। जिनका नाम जीन हेनरी था।उनका जन्म 8 मई 1828 को यहां के "जिनेवा शहर" में हुआ था। 
       बड़े होने पर 1859 में उन्होंने इटली में हुए एक भयंकर युद्ध को देखा। युद्ध के दौरान हजारों सैनिक मारे गए, लाखों सैनिक बुरी तरह से घायल हुए। तब क्लिनिक सेंटर नहीं थे। 
       ऐसे दृश्य से वे (हेनरी)बहुत आहत हुए....बहुत दुःखी हुए। उनकी मानवता ने उन्हें दस्तक दी। 
       समय न गंवाएं उन्होंने अपने आसपास तथा कुछ जान-पहचान वालों को इकट्ठा किया और जख्मी सैनिकों की सेवा में लग गए। 
       कहा जाता है इस घटना के दो-तीन साल बाद उन्होंने एक पुस्तक लिखी। जिसमें एक संगठन स्थापित करने का सुझाव रखा। तत्काल करीब 16 देशों ने इस सुझाव को स्वीकार किया।
       सुझाव में था- इस संगठन की प्राथमिकता मानवीय सेवा होगी। विकट परिस्थितियों में निस्वार्थ भाव से प्राकृतिक आपदा, महामारी, युद्ध आदि के दौरान घायल व जख्मी लोगों को सेवा और भोजन प्रदान करेगा। यह संगठन किसी भी देश के लोगों को सहायता करेंगा।
             तमाम देशों के सहयोग से, कई विचार व     सलाह से, कुछ उतार-चढाव के बाद 'हेनरी' (स्विट्जरलैंड के व्यापारी) ने 1863 में "रेड क्रॉस" संगठन की स्थापना की और चिन्ह को रखा।
             सबों के सहयोग से संगठन का चिन्ह "रेडक्रॉस" किया गया। ताकि इस चिन्ह को देख लोग आसानी से पहचान सके कि यहां चिकित्सा व्यवस्था व अन्य सेवाएं उपलब्ध होगी। खासतौर पर युद्ध के दौरान सैनिकों के लिए....।
             इसलिए आज भी दुनिया भर में चिकित्सा संस्थानों में "रेडक्रॉस" चिन्ह दिखाई देता है। डॉ. बॉक्स, डॉ कार,फास्टेड बॉक्स, एम्बूलैंस, क्लिनिक, नर्सिंग होम, अस्पताल या इस विभाग से जुड़े अन्य संस्थानों में रेडक्रॉस चिन्ह अवश्य देखने को मिलते है।
      इस चिन्ह को देख हम समझ जाते है कि यहां चिकित्सा व्यवस्था है।
             रेडक्रॉस जैसे महान कार्य, मानवता के संगठन के स्थापक को दुनिया का पहला नोबल शांति पुरस्कार, व्यापारी जीन हेनरी को मिला था। और बाद में उनके सम्मान में उनके जन्मदिवस पर 8 मई को 'रेडक्रॉस दिवस" के रूप में पूरी दुनिया मनाने लगी। खासतौर से चिकित्सा विभाग.....।
             भारत में  रेडक्रॉस की एक संस्था 1920 को बनी। तब से यहां भी यह सेवा शुरू हो गई।
             वैसे 1800 से 2000 तक का समय काफी लम्बा होता है। इसलिए समय के साथ-साथ रेडक्रॉस सोसायटी में काफी बदलाव आया हैं। लेकिन चिन्ह मौजूद है और मानवीय बोध का कुछ अंश अभी भी हैं।
            समाचार सूत्रों के अनुसार उदाहरण के तौर पर हम ले सकते है दुनिया के एक छोर पर पिछले कई दिनों से चल रहे युद्ध के दौरान की परिस्थितियों को....।
       बतलाते चले की 8 मई "रेडक्रॉस दिवस" होने के साथ ही "मदर्स डे" भी है। 
       कहीं न कहीं देखा जाए तो रेडक्रॉस सेवा की आवश्यकता इन्हें (माताओं को) भी होती आई है....। अतः दोनों दिवस बहुत महत्वपूर्ण है.....।
                       ______________