प्रतिबंध-----

                            1st. जुलाई 2022 से हमारे देश में प्लास्टिक युज पर प्रतिबंध लग गया है। जी हां, "सिंगल युज प्लास्टिक" से बने कई आइटम्स में सरकार ने बैन (प्रतिबंध) लगा दिया हैं।
प्लास्टिक के कई स्तर हैं। पर सिंगल युज प्लास्टिक में प्रतिबंध लगा दिया गया है। शायद बहुत लोग यह नहीं जानते हैं कि "सिंगल युज प्लास्टिक" क्या है? आपकी जानकारी के लिए बता दे- जिस प्लास्टिक से बने चीजों का इस्तेमाल हम एक बार करके फेंक देते हैं, उसे सिंगल युज प्लास्टिक कहा जाता है। जैसे- पानी की बिसलेरी बोतल, स्ट्रीट फूड स्टॉल में दिये जाने वाले प्लास्टिक चम्मच, कोल्ड ड्रिंक्स के स्ट्रो, लालिपॉप का स्ट्रीक आदि।
संभवतः 1950 से प्लास्टिक का उत्पादन शुरू हुआ है। जो धीरे-धीरे हमारे दैनिक जीवन के साथ इस कदर जुड़ गया है कि बिना इसके Use के हम सोच ही नहीं पाते। हर वर्ग के लोगों को इसके Use की आदत सी पड़ गई हैं। इसके अलावा कई लोग हैं जो इस (प्लास्टिक) व्यवसाय से जुड़ कर अपनी जीविका चला रहे हैं। ऐसे में आम लोगों के साथ व्यापारियों को भी इसके प्रतिबंध से समस्या होगी।
     जानकारी के अनुसार-* पहले से ही 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाला प्लास्टिक बैन हो चुका है। * 75माइक्रोन से कम मोटाई वाला प्लास्टिक पर भी प्रतिबंध लग चुका है। * अब 1st.जुलाई 2022 से सिंगल युज प्लास्टिक (100माइक्रोन) पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
 * और तो और यह भी सुनने में आ रहा है शायद 31 दिसम्बर 2022 से 120माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक आइटम्स पर भी बैन लगा दिया जाएगा।
केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से कहा गया है प्रतिबंध न मानने या इसके खिलाफ जाने पर कार्रवाई के अनुसार जुर्माना और सजा हो सकती है। 
आम नागरिकों के लिए 500/ से 2000/ तक जुर्माना लग सकता हैं और व्यापारियों के लिए करीब 20हजार से एक लाख तक का जुर्माना लग सकता है। जेल भी हो सकती है।
केन्द्र और राज्य दोनों की नजर सिंगल युज प्लास्टिक के अवैध निर्माण तथा वितरण पर होगी। प्रदुषण नियंत्रित बोर्ड और पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी को इसका जिम्मा दिया गया हैं। इसके अलावा हर क्षेत्र के नगर निगम इस पर अपना काम करेगी।
         जानकारी के मुताबिक सिंगल युज प्लास्टिक पर बैन लगाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को नुक्सान होने से बचाना है। ऐसे प्लास्टिक, न ही मिट्टी के साथ मिल जाते हैं और न ही पानी में घुल जाते हैं। बल्कि इनके संपर्क में रहकर खतरनाक रसायनिक छोड़ते है। इन्हें जलाने से भी इनसे जहरीले गैस और खतरनाक केमिकल निकलते हैं। जो समस्त प्राणी जगत के लिए ख़तरनाक साबित होते हैं। नदी-नालों की सफाई में भी ये बाधा बनते हैं।
      पूरे देश भर से हर रोज कई टन ऐसे प्लास्टिक कचरे के रूप में जमा होते हैं। यही कारण है कि हमारे देश में सिंगल युज प्लास्टिक को बैन किया गया है।
         जिन लोगों की जीविका इससे जुड़ी हुई है उनका कहना है- बैन करने से पहले इसके विकल्प के बारे में अवगत करवाना चाहिए था तथा हमें समय देना चाहिए था। ताकि हम अपना स्टोक खाली कर अपनी पुंजी घर ले आते।
         इस पर, विकल्प के तौर पर सरकार का कहना है- इस तरह प्लास्टिक के बजाय बांस, मिट्टी, मैटल, कपड़े आदि से बने आइटम्स को प्रयोग में लिया जा सकता हैं। इसके इस्तेमाल से प्रदुषण नहीं फैलेगा। अतः इस तरह के मैटीरियल से बने आइटम्स के Use की सलाह दी जा रही हैं।
         इनमें भी व्यापार के अच्छे मौके हैं। सरकार हर संभव सहायता करेगी।
         शायद दोनों अपनी जगह सही हैं.....।
 खैर दोस्तो, सिंगल युज प्लास्टिक प्रतिबंध का ध्यान रखें। वरना, जुर्माना और सजा.....। 
 सचेत रहें.....।
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