इनहेलर ------

               यह चिकित्सा विभाग का एक सेल्फ उपकरण है। इसका उपयोग अस्थमा से पीड़ित मरीज करते हैं। अर्थात जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, वे इसका उपयोग करते हैं और सांस की दिक्कत से निजात पाते हैं।
आज के लेख में हम आपको इनहेलर उपकरण मशीन के बारे में बताएंगे। उसके प्रकार और उपयोग के बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे।
              इनहेलर एक छोटा सा उपकरण है। अस्थमा (दमा) मरीजों को अपने पास यह उपकरण अवश्य रखना चाहिए। क्योंकि अस्थमा से पीड़ित मरीजों को इस रोग के कारण सांस लेने में दिक्कत होती हैं और इनहेलर उपकरण के जरिए वे इस दिक्कत से निजात पा सकते हैं।
जब अस्थमा मरीज को सांस लेने में परेशानी होती हैं अर्थात जब उन्हें अस्थमा (दमा) का अटैक आता है तब डॉक्टर उन्हें इनहेलर Use करने की सलाह देते हैं।
डाक्टर के बताए दवा का इस्तेमाल इनहेलर उपकरण प्रक्रिया के माध्यम से की जाती है।
अस्थमा मरीज दवा की खुराक तरल, स्प्रे, पावडर आदि के माध्यम से ले सकते हैं।
इनहेलर उपकरण मशीन चिकित्सा संबंधी सामग्री से बना होता हैं। इसमें दवा भरा रहता है या भर कर Use किया जाता है। दवा तरल, पावडर, स्प्रे आदि के रूप में होता हैं। 
कई उपकरणों में दवा की खुराक दिखाई देती हैं और कई उपकरण मशीनों में दवा दिखाई नहीं देता। जिन इनहेलर उपकरणों में दवा दिखाई नहीं देता उन्हें हाथों से हिलाकर अनुमान लगाया जाता है कि दवा खत्म हो गया है या नहीं। अगर दवा की खुराक खत्म होने का अनुमान लगता है तब उसमें दवा भरी जाती है। फिर उसे पुनः Use किया जाता है।
बाजार में कई ब्राड के इनहेलर मशीन उपलब्ध हैं। लेकिन, किसी-किसी इनहेलर मशीन में दवा की एक डोज (खुराक), किसी में अधिक तो किसी में पूरा भरा रहता हैं। दवा से पूरा भरा हुआ इनहेलर उपकरण ठीक माना जाता है क्योंकि यह काफी दिनों तक चलता है इनमें बार-बार दवा भरने की आवश्यकता नहीं होती। परंतु कम खुराक दवा वाले इनहेलर में चैक करना पड़ता हैं और जल्द दवा भरने की चिंता रहती है।

घरेलू इनहेलर उपकरण मशीन के तीन पार्ट होते हैं.........*माउथपीस- मशीन के इस हिस्से को अस्थमा मरीज अपने मुंह के भीतर रखकर दवा की खुराक लेते हैं।
*कैप- मशीन का यह ढक्कन वाला हिस्सा होता है। इससे माउथपीस ढका रहता है। ढक्कन खोल कर इनहेलर उपकरण के माउथपीस को Use में लिया जाता है।
*कंटेनर- मशीन के इस पार्ट में दवा की खुराक भरी जाती है।

दोस्तों, आमतौर पर बाजार में दो तरह (टाइप) के इनहेलर पाए जाते हैं......
(1) रिलीवर इनहेलर:- इस तरह के उपकरण सांस की तकलीफ़ से तुरंत राहत दिलाती है।
(2) प्रेवेटर इनहेलर:- इस तरह के उपकरण सांस से होने वाली तकलीफ़ को कंट्रोल करने में मदद करता है।
डाक्टर की सलाह से अस्थमा मरीज दोनों तरह के इनहेलर मशीन का उपयोग कर सकते हैं।
लेख में बतलाए गए दो प्रकार के इनहेलर उपकरण मशीन को चार तरीकों से Use किया जा सकता हैं। जिनके अलग-अलग हिस्से होते हैं.....।
*मीटर्ड (MDI)
*ड्राई पावडर (DPI)
*सॉफ्ट मिस्ट (SMI)
*नेबुलाइजर
प्रत्येक प्रकार व तरीकों के फायदे हैं। अस्थमा मरीजों के लिए सभी सुरक्षित, आसान और राहत दिलाने वाले होते हैं। लेकिन यह मरीजों की शारीरिक परिस्थिति पर निर्भर करता हैं कि कौन सा तरीका उसे अपनाना होगा।
मरीज के शारीरिक गतिविधियों, स्थितियों, लक्षणों आदि को चैक कर, डाक्टर सलाह देते है कि कौन सा तरीका किस मरीज के लिए उपयोगी है। किस प्रकार व तरीके से मरीज को इनहेलर के माध्यम दवा लेनी है।
अब बात करते हैं इसका उपयोग कैसे करते है....?
                उपयोग करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि अस्थमा (दमा) मरीज को सांस लेने में दिक्कत क्यों आती है....? किस कारण सांस लेने में परेशानी होती है.....?
असल में यदि किसी कारणवश व्यक्ति के श्वासनली में सुजन आ जाए या फिर वहां कफ (बलगम) जम जाए तो शरीर में हवा का आदान-प्रदान फेफड़ों के जरिए ठीक से नहीं हो पाता है। फेफड़े सही तरीके से पंप कर हवा को न ही शरीर के अंदर खींच पाता है और न ही बाहर निकाल पाता है। श्वासनली में सुजन या कफ (बलगम) होने के कारण फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते। यही कारण है कि व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। वह सहज तरीके से सांस नहीं ले पाता। जिसे अस्थमा या दमा (रोग) कहा जाता है।
मनुष्य बिना सांस लिए जीवित नहीं रह सकता। अतः ऐसे में डाक्टर अस्थमा मरीजों को इनहेलर उपकरण Use करने की सलाह देते हैं। ताकि इसकी सहायता से वे ठीक से सांस ले सके।
         उपयोग:- हमेशा अपने पास इस उपकरण को रखना जरूरी है। क्योंकि अस्थमा अटैक आने पर तुरंत इसका उपयोग करना पड़ता है। वरना दिक्कत झेलनी पड़ सकती है।
 बहुत ही आसान तरीके से इनहेलर का उपयोग किया जाता है। साधारणतौर पर इस उपकरण को Use करने से पहले दो-तीन बार हाथों के जरिए अच्छे से हिला लिया जाता है। फिर इनहेलर के माउथपीस पार्ट में लगे कैप (ढक्कन) को खोल सीधे खड़े होकर या सीधे बैठकर उसे मुंह में रखा जाता है। और हाथों से धीरे-धीरे दबाकर दवा की खुराक ली जाती है। खुराक लेने के बाद माउथपीस को मुंह से निकाल, थोड़ी देर मुंह बंद रखते हुए धीरे-धीरे सांस लेना पड़ता है।
इस प्रक्रिया से अस्थमा के मरीज़ दवा लेते हैं। दवा की खुराक श्वासनली से होते हुए सीधे फेफड़ों तक पहुंचाती है। ऐसे में शरीर के अन्य हिस्सों को दवा प्रभावित नहीं करती।
डाक्टर के कहे अनुसार यह प्रक्रिया दोहराई जा सकती हैं। इसके फलस्वरूप श्वासनली का सुजन कम होता है, कफ (बलगम) निकलने लगता है। जिससे फेफड़े आराम से अपना काम करने लगते हैं। अर्थात फेफड़े पंप का कार्य आसानी से शुरू कर देते हैं। शरीर में हवा का आदान-प्रदान होने लगता हैं। और अस्थमा मरीज को सांस की तकलीफ़ से राहत मिलती है। 
घरेलू इनहेलर उपकरण मशीन को Use करने के पश्चात मरीज को अपना मुंह और मशीन दोनों अच्छे से धोकर, साफ कर लेना चाहिए।
इसके अलावा और भी पद्धति के माध्यम अत्याधुनिक इनहेलर मशीन का प्रयोग किया जा सकता हैं। जिसकी जानकारी मशीन के मेनुअल से मिल जाती है या जानकारों द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं।
हमने इस लेख में इनहेलर उपकरण मशीन की मोटी-मोटी जानकारी देने की पूरी कोशिश की हैं। उम्मीद करते है इससे आप लोगों को अवश्य कुछ मदद मिलेगी ......।
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