मेडिकल सोक्स--------

        मेडिकल क्षेत्र की चिकित्सा संबंधीत अपनी अलग भाषा होती हैं। जिसे जानना और समझना आम लोगों के लिए जरा मुश्किल हैं। मेडिकल भाषा में कई बिमारियों व उपकरणों के नाम से हम अधिकांश लोग अपरिचित हैं। 
       ऐसा ही एक नाम है- वेरिकोस (Varicose vein) और उपकरण की बात करें तो- स्टोकिंग (Stocking).....। शायद अधिकतर लोग इसे जानते नहीं हैं।
आज का लेख Stocking पर आधारित है।
यह मेडिकल शब्द है। जिसका अर्थ सॉक्स (मोजा) है।
हम आम लोग मोजा, जूराब या सोक्स से तो परिचित हैं मगर Stocking शब्द से नहीं।
खैर, आज हमने जाना Stocking यानी मेडिकल सोक्स.....।
         इस लेख के माध्यम हम जानने की कोशिश करेंगे मेडिकल सोक्स होता क्या है? इसका उपयोग, इसके फायदे और इसका विवरण .....इन पहलुओं को ठीक से समझेंगे। इसके बारे में जानकारी रखना जरूरी है। कारण कभी भी किसी चीज की हमें जरूरत हो सकती है।
दोस्तों, मेडिकल सोक्स का इसका विवरण- 
                     Stocking (मेडिकल सोक्स) उच्च क्वालिटी फैब्रिक मटेरियल का बना होता हैं। जैसे- ऐरोमेक्स, काटन, माइक्रो फाइबर, नायलान पॉलिमर आदि। इस तरह के उच्च कोटी के मटेरियल के मेल से बना मेडिकल सोक्स पैरों की देखरेख बखुवी करता है।  
                     Market में महिला और पुरुष, दोनों के लिए उपलब्ध हैं। ये सोक्स पैरों के त्वचा के अनुकूल होते हैं। इससे पैर व उसकी त्वचा सुरक्षित रहती हैं। Stocking डिजाइन पैरों में हवा पास होने के योग्य होते हैं। जिस वजह से इसे पहनने पर पैरों में न पसीना आता है और न ही दुर्गंध आने की संभावना रहती है। अच्छे मटेरियल से बने सुन्दर, सुरक्षित डिजाइन के Stocking बाजार में कई ब्राड और साइज के उपल्ब्ध हैं।
इस तरह के सोक्स की लम्बाई दो तरह के होते हैं-
1) नी-लैंथ (घुटने तक)
2) थाई-लैंथ (घुटने के ऊपर तक)

पहला, पैरों के पंजे, एड़ी और पिंडलियों को कवर करता हुआ घुटने तक की लम्बी होती है तथा दूसरे साक्स की लम्बाई उससे भी ज्यादा ऊपर थाई तक होती हैं।
दोनों ही लम्बाई वाले साक्स की डिजाइनों में पैरों की अंगुलियां बाहर (खुली) निकले रहने की व्यवस्था रहती हैं। इस प्रकार की डिजाइनों को "ओपन-टो" डिजाइन कह सकते हैं।
गर्मियों के दिनों में ओपन-टो के कारण मेडिकल साक्स आराम दायक होते हैं।
कुल मिलाकर ओपन-टो मेडिकल सोक्स की क्वालिटी, लम्बाई व डिजाइन सभी महिला और पुरुषों के पैरों को सुरक्षा प्रदान करता हैं।

अब बात करते हैं इस तरह के सोक्स का उपयोग कैसे किया जाता हैं। तो दोस्तों, इस लेख में आप सभी को तीन तरह के तरीके बताए जाएंगे। 

पहला तरीका:- सबसे पहले हाथों के सहारे सोक्स को ऐडी पाकेट (जेब) तक उल्टा किया जाता है। जिससे उसकी लम्बाई कम हो जाती है फिर पैर के पंजे वाले हिस्से को सोक्स के अंदर डाला जाता है। अब सोक्स को उसी अवस्था में सीधे कर हल्के हाथों से ऊपर की ओर यानी घुटने या थाई की ओर खिंचा जाता हैं। फिर हथेली के सहारे धिरे-धिरे ऊपर की ओर सरकाया जाता है ताकि वह पैरों में ठीक से सैट हो जाए।
अगर मेडिकल सोक्स (Stocking) "नी-लेंथ" वाली है तो घुटनों से करीब दो अंगुली (एक इंच) नीचे तक पहना जाता है। अर्थात सोक्स से घुटनों को कवर (ढका) नहीं करते और यदि "थाई-लेंथ" वाली हो तो उसे घुटनों के ऊपर थाई तक पहना जाता है।
दूसरा तरीका:- बाजार में Stocking के कुछ ब्रांड ऐसे हैं जो इसके (मेडिकल सोक्स) साथ एक एप्लीकेटर (ग्लाइडर) उपलब्ध कराते है।
यह एप्लिकेटर कोननुमा एक छोटा सा प्रोडक्ट होता है। इस प्रोडक्ट के सहारे मेडिकल सोक्स पहन सकते है।
इस पद्धति में पहले ग्लाइडर को पैरों के पंजे में डाला जाता हैं। फिर सोक्स को आधा उल्टा कर ग्लाइडर के ऊपर से डालते हुए घुटनों व थाई की ओर खींच कर पहना जाता है। ऐसे में सोक्स आसानी से जल्द पहन लिया जाता है। इसके बाद "ओपन-टो" वाले खुले जगह से ग्लाइडर (एप्लिकेटर) को पंजे से बाहर निकाल लिया जाता है।
तीसरा तरीका:- "डोनर पद्धति" यानी "Donner Method" के जरिए भी मेडिकल सोक्स को पहना जाता है। Donner एक प्रकार का सांचा होता है। जिसके बीच में गोलनुमा एक अंश होता है। उसी हिस्से में सोक्स को सीधे ओर से करीब आधा हिस्सा उसमें डाला जाता है। फिर सांचे में फंसे सोक्स के अंदर पंजे को डालकर सांचे के दोनों तरफ के हिस्से को ऊपर की ओर (घुटने/थाई) खींचकर Stocking को पहना जाता है। इस प्रकार मेडिकल सोक्स को पहन सकते है।
             इन तरीकों से सोक्स को पहन कर दो-चार बार खिंचकर ऊपर की ओर सेट कर दिया जाता है। मेडिकल सोक्स की लम्बाई अधिक होने के कारण इस तरह की पद्धतियों को अपना कर आसानी से इन्हें पहना जाता हैं।
दोस्तों, अब तक हमने जाना Stocking के बारे में तथा उसके पहनने के तरीकों के बारे में..... इसके बाद लेख के जरिए हम जान लेंगे मेडिकल सोक्स के फायदे और उसके सफाई के नियम क्या है.....?
आइए आगे बढ़ते हैं.....।
फायदे:- Stocking, Varicose vein से ग्रसीत लोगों के पैरों को आराम दिलाता है। दरअसल, इस तरह के सोक्स पैरों के विकृत नसों को एक्टीव करने में मदद करता है।
यह एक प्रकार का "कंप्रेशर सोक्स" होता है। अर्थात पैरों में दबाब बनाए रखता है। इस प्रकार के सोक्स पैरों को मालिस करने का काम करते हैं। थके पैरों को दबाने से जिस प्रकार आराम महसूस होता है उसी प्रकार मेडिकल सोक्स को पहनने से महसूस होता है।
कई लोग ऐसे हैं जो घंटों बैठे रहते हैं या कारणवश बैठे रहना पड़ता हैं, ऐसे में उनके पैरों में रक्त प्रवाह न होने की संभावना पैदा हो जाती है। फलस्वरूप पैरों में भारीपन, सूजन, थकावट, सून्नता, दर्द आदि महसूस होता हैं। अनेकों के पैरों में नसें हरे-नीले रंगों की नजर आती हैं।
रक्त का प्रवाह (संचार) न होने से पैरों में ही रक्त जमा हो जाता हैं और हृदय तक जल्दी पहुंच नहीं पाता। 
इसका निदान Stocking के Use से पूरा होता है और लोगों को आराम मिलता हैं। असल में इस तरह का सोक्स पैरों में दबाब डालते हुए जमे रक्त के प्रवाह को संचार कर हृदय तक पहुंचाने में मदद करता हैं। विकृत नसों को एक्टीव करता हैं और पैरों की तमाम तकलीफों से राहत दिलाता हैं।
मेडिकल सोक्स (Stocking) के Use से पैरों व उसके नसों की देखरेख होती हैं तथा Varicose veins से ग्रसीत समस्याओं से निजात मिलता हैं।
             लेख के माध्यम हम आपको सलाह देना चाहेंगे कि अगर आप दूर यात्रा पर जा रहें हो या आपकी जीवनशैली कुछ ऐसी है कि चलने-फिरने का अधिक मौका नहीं मिलता हो तो जानकारों की सलाह से मेडिकल सोक्स (Stocking) का Use अवश्य करनें की सोचे......।

किसी भी प्रोडक्ट के Use करने के साथ ही उसके साफ-सफाई पर भी ध्यान देना जरूरी हैं। यहां हम आपको बताते चलें कि मेडिकल सोक्स को भी साफ रखना चाहिए। साफ करते वक्त ध्यान देना होगा कि इन्हें गर्म पानी, डिटर्जेंट पाउडर, मशीन आदि से साफ नहीं करना हैं। 
साफ करने के लिए साधारण पानी, लिक्विड साबून या शैम्पू से हल्के हाथों धोकर साफ करें। इसे सुखाने के लिए लटका कर न सूखाएं। समतल या सपाट जगह पर बिछाकर ही सूखाएं। ऐसे सफाई कर सूखाने से सोक्स की क्वालिटी और साईज खराब नहीं होती हैं।

पैरों के लिए Stocking एक आदर्श प्रोडक्ट है....।
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