कान की मशीन--------

                       यह मशीन उन लोगों के लिए उपयोगी हैं जिन्हें ठीक से सुनाई नहीं देता।
अगर किसी व्यक्ति को बहरेपन की शिकायत है तो वो कान के मशीन का इस्तेमाल कर सकता है। 
            कान से कम सुनाई देने वाले या सुनाई में किसी भी प्रकार की दिक्कत हो रही हो तो ऐसे व्यक्तियों के लिए कान की श्रवण मशीन काफी मददगार है। इससे व्यक्ति अपने आसपास के हर आवाज या ध्वनि को स्पष्ट रूप से सुन पाता है।        
            दोस्तों, आज के लेख में हम जानेंगे, कान की एक छोटी मशीन के भिन्न विषयों के बारे में...... 
            
*साधारणतः देखा जाता है अधिक उम्र यानी बुढ़ापे में अधिकतर मनुष्य की सुनने की क्षमता कम हो जाती है। उन्हें कम सुनाई देने लगता है। इसके अलावा चोट लगने से या फिर अन्य कारणों से  इंसान को कम उम्र में भी बहरेपन की शिकायत आ जाती हैं। जिस कारण उन्हें और उनके सम्पर्क में आने वाले हर इंसान को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।
कम या न सुनाई देने की वजह से बातचीत के समय, चाहे घर हो या बाहर कार्य स्थल पर उनसे जोर-जोर से तेज आवाज में बोलना पड़ता हैं या एक ही बात को कई बार दोहराना पड़ता है। जिस वजह से लोग उनसे (बहरेपन वालों से)विर्कत हो जाते हैं, गुस्सा हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर कम सुनाई देने वाले व्यक्ति को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत परेशानी झेलनी पड़ती हैं। देखा जाए तो दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।
कम सुनाई देने की वजह से ऐसे लोगों को घर के बाहर- रास्ते, बाजार में बहरेपन के कारण मोटर, गाड़ी आदि से दुर्घटना होने का डर बना रहता है। कुल मिलाकर ऐसे व्यक्तियों को घर-बाहर दोनों जगह निजी जिंदगी में समस्या आती रहती हैं।
ऐसे व्यक्ति दुनिया के स्वर और शोर दोनों से बंचित रह जातें हैं। लेकिन इस समस्या का हल कान की एक छोटी मशीन है। कान की मशीन बहरेपन का इलाज है। अतः ऐसे लोगों को इस उपकरण की आवश्यकता होती हैं और उन्हें इसका उपयोग भी करना चाहिए। पर, अवश्य डाक्टर की सलाह लें...।

*मूलतः कान की मशीन के तीन हिस्से (पार्ट) होते हैं- (1) माइक्रोफोन (2) एंप्लीफायर और (3) स्पीकर।
इन तीनों पार्ट के माध्यम पीड़ित व्यक्ति ठीक से सुन पाता हैं। दरअसल, कान के मशीन का पहला हिस्सा "माइक्रोफोन"बाहरी आवाजों को पकड़ता (Catch) है फिर उसे दूसरे पार्ट "एंप्लीफायर" में भेज देता हैं। दूसरा पार्ट आवाज को तेज कर "स्पीकर" अर्थात मशीन के तीसरे हिस्से (पार्ट) के जरिए व्यक्ति के कानों तक अधिक क्षमता के साथ भेजता है। इस तरह से ये तीनों पार्ट आपसी मेल से अपना कार्य करते हैं। जिस कारण बहरेपन वाले व्यक्ति जो कान की मशीन Use करता हो, उसे स्पष्ट सुनाई देता है।

*दोस्तों, कान की मशीन के मुख्य तीन पार्ट के अलावा यहां "बैटरी" की भी विशेष भूमिका है। ज्ञात होना चाहिए कि इस तरह के उपकरण बैटरी से संचालित होते हैं। अगर मशीन में बैटरी न डाला जाए तो कान की मशीन के मुख्य तीन पार्ट अपना काम नहीं कर पाएंगे। अतः इनमें बैटरी की आवश्यकता होती है।
इस उपकरण में बैटरी का Use दो प्रकार से किया जाता हैं .....(1) रिचार्जेबल बैटरी
                 (2) डिस्पोजेबल बैटरी
हम अगर रिचार्जेबल बैटरी वाली कान की मशीन Use करते हैं तो उसे (बैटरी को) समयानुसार रिचार्ज करना होता है। तभी मशीन काम करेगी। यानी कि बैटरी में चार्ज रहेगा तो उसके माध्यम सुनाई देगा वरना नहीं।                                  दूसरी बैटरी है डिस्पोजेबल...इस तरह की बैटरी वाले कान की मशीन को रिचार्ज करने की जरूरत नहीं होती। बिना चार्ज किये ये काफी दिनों तक चलता है। अर्थात जब तक बैटरी का पावर खत्म नहीं होता, मशीन के Use करने पर सुनाई देता है।पावर खत्म होने पर बैटरी को निकाल फेक देते है और फिर नई बैटरी लगा लिया जाता है। जिससे दोबारा वह चलने लगती है। ध्वनि सुनाई देने लगता है।
डिस्पोजेबल बैटरी वाली कान की मशीन में बार-बार चार्ज करने की दिक्कत नहीं होती। यही अंतर है रिचार्जेबल बैटरी और डिस्पोजेबल बैटरी वाली मशीन में .....हम अपनी सुविधानुसार कान की मशीन खरीद सकते है....।

*आगे बात करेंगे इस उपकरण के प्रकार की....
वैसे कान की मशीन कई प्रकार की होती हैं .....
           यहां हम मूलतः चार प्रकार की मशीनों की बात करेंगे- IIC, CIC, ITC और BTC. 
इन मशीनों की संक्षिप्त जानकारी लेने की कोशिश करेंगे।
1) IIC -: यह कान की सबसे छोटी मशीन होती है। जो कान के बाहर पूरी तरह दिखाई नहीं देता। इसे कान की गहराई तक फिट किया जाता है। इस मशीन के सामने वाला हिस्सा, जो कान के भीतर की ओर जाता है वो हिस्सा कान के पर्दे तक पहुंच जाता है।
2) CIC -: जैसा कि हम जानते हैं हमारे कान का बाहरी हिस्सा सीधा नहीं होता। कान में बाहरी ओर दो मोड़ होते हैं। इस तरह की मशीन का आकार कुछ ऐसा होता है कि वो कान के दूसरे मोड़ पर  फिट बैठता है और उसकी गहराई तक पहुंच जाता है।
3) ITC -: इस प्रकार की मशीनों की बनावट ऐसी बनाई जाती है कि यह कान के बाहरी कटोरीनुमा हिस्से में ठीक से फिट हो जाती है। इसे Use करने वाला व्यक्ति खुद, मशीन को आसानी से लगा सकता है और बाहर निकाल भी सकता है। कान का यह मशीन हल्के व मध्यम ध्वनि के बहरेपन के लिए उपयोगी हैं।
4) BTC -: यह बड़े आकार का यानी करीब कान के साइज़ का बना होता है। जो कान के पिछे हिस्से में लगाया जाता है। इसकी सहायता से, इसे Use करने वाला व्यक्ति अपने आसपास के हर आवाजों को स्पष्ट रूप से सुन पाता हैं। बड़े आकार के होने के वाबजूद व्यक्ति को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती है।

*जानकारों के अनुसार कान की मशीन खरीदते समय कुछ विशेष बातें ध्यान में रखना चाहिए ....
जैसे- मशीन की गुणवत्ता, मशीन किस प्रकार के बैटरी से संचालित है, उसमें ध्वनि को कम और अधिक करने वाला बटन, फिटिंग, कान व उसकी त्वचा की सुरक्षा, हो सके तो मशीन छोटी लेनी चाहिए, गारंटी और वारंटी आदि। इसके अलावा अगर दोनों कानों के लिए मशीन लेना हो तो दोनों मशीनों में समान ध्वनि संचालित क्षमता भी देख लेना चाहिए।

*महत्वपूर्ण सूचना-
                दोस्तों, लेख में कान की मशीन की जानकारी के अलावा हम आपको बताना चाहते हैं कि हर साल "3 मार्च" को "बर्ल्ड हियरिंग डे" मनाया जाता है। इस दिन विश्व के कम सुनने वालों को जागरूक किया जाता हैं। इस दिवस के माध्यम उन्हें सलाह दी जाती है अपने शारीरिक अक्षमता (बहरेपन) को कान की एक छोटी मशीन द्वारा दूर कर सकते हैं। 
अतः हो सके तो हमें भी "बर्ल्ड हियरिंग डे" पर अपने आसपास के अंजान व जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए। मशीन के बारे में बतलाकर, चैरिटी संस्था के बारे में जानकारी दे कर अथवा अपनी तरफ से किसी को मशीन चैरिटी कर आदि .....।

*बिना दवाई के बहरेपन का इलाज है- 
                                "कान की मशीन" .....।
उम्मीद है, पढ़ने वाले सभी पाठकों को यह लेख पसंद आई होगी.........।
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