बैंडेज------

                        बैंडेज का प्रयोग चोट लगने के दौरान प्राथमिक चिकित्सा में किया जाता हैं। 
          साधारणतः हल्के चोट, खरोंच, छोटे कट, जोड़ों में दर्द, सुजन, मांसपेशियों में खिंचाव आदि परेशानियों में बैंडेज का उपयोग किया जाता हैं। अलग-अलग प्रकार के बैंडजों के माध्यम मरीज को राहत देने की कोशिश की जाती हैं। गहरे जख्म और अधिक रक्त बहाव में अस्पताल या विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में भी उपचार के बाद बैंडेज (गैज बैंडेज) का उपयोग किया जाता हैं।
अर्थात बैंडेज कई तरह के होते हैं।
इस आर्टिकल में आपको घरेलू व प्राथमिक उपचार में इस्तेमाल किये जाने वाले बैंडेज के विषय में बताएंगे। शायद इससे आपको मदद मिल सकती हैं।
दोस्तों, यहां हम आपको दो प्रकार के बैंडेज के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं .....
(1) स्ट्रिप बैंडेज (2) क्रेप बैंडेज .......
दोनों प्रकार के बैंडजों का Use बच्चे से बुजुर्ग, महीला व पुरुष, सभी कर सकते हैं। बिना दवाई के इनको Use कर राहत पाया जा सकता हैं।

1) स्ट्रिप बैंडेज:- शोधकर्ताओं के अनुसार हल्के घाव भरने के लिए तथा उसे धूल-मिट्टी, गंदगी, हानिकारक वैक्टेरियास आदि से बचाने के लिए स्ट्रिप बैंडेज का Use किया जाता है। इस तरह के बैंडेज "चिपकने वाले" होते हैं। जिससे शरीर में लगे घाव को ढ़क (cover) कर उसके आसपास के त्वचा में चिपकाकर फिट किया जाता हैं।
इस तरह के बैंडेज पॉलिथीन मटेरियल के बने होते हैं। जिस कारण ये वाटरप्रुफ होते हैं। त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।
स्ट्रिप बैंडेज छोटे-छोटे साइजों तथा कई आकारों के बाजार में पाए जाते हैं।
स्ट्रिप बैंडेज Use & Throw वाली बैंडेज हैं। इसे सिर्फ एक बार Use किया जाता है। दूसरी बार Use करने के लिए नये स्ट्रिप बैंडेज को Use में लिया जाता है। 
बैंडेज Use करने से पहले चोट लगे घाव वाले स्थान को बहते पानी में धोकर साफ कर लेना चाहिए। अथवा किसी छोटे कंटेनर (पात्र) में पानी के साथ किसी भी प्रकार का लिक्विड एंटीसेप्टिक मिलाकर सूती कपड़े या रुई से साफ कर लेना चाहिए। फिर थोड़ा सुखाकर स्ट्रिप बैंडेज उस पर लगाना चाहिए। लगाते समय ध्यान रखना होगा बैंडेज पर जहां दवा लगा हो उसे घाव के ऊपर रखना है। उसके बाद बैंडेज को आसपास की त्वचा में चिपका देना चाहिए। ऐसा करने पर घाव धीरे -धीरे सुख जाता है। और बाहरी गंदगी घाव तक नहीं पहुंच पाता।
             बाजार में कई आकार और साइज के स्ट्रिप बैंडेज उपलब्ध हैं। जिसे आप हल्के कट या चोट में Use किया जा सकते हैं ......।
2) क्रेप बैंडेज:- इस तरह के बैंडेज काफी लंबे आकार के होते हैं। ये "हाई क्वालिटी फैब्रिक" के बने होते हैं। "हल्के गुलाबी" और "हल्के बादामी" रंगों में अधिकतर पाए जाते हैं। जिसके एक छोर में "क्लिप" लगा रहता है।
"क्रेप बैंडेज" का उपयोग किसी तरह के खरोच या कट के लिए नहीं किया जाता। इसका उपयोग मांसपेशियों के खिंचाव, जोड़ों के दर्द, सुजन आदि में किया जाता हैं।
इस तरह के बैंडेज को घुटनों, हाथ, कलाई, कुहनी आदि हिस्सों में कस कर लपेटा जाता है और इसमें लगे क्लिप्स से फिक्स (सेट) कर बांध दिया जाता है। जिससे वो खुलता नहीं है। 
शरीर के मांसपेशियों और जोड़ों वाले हिस्सों में कसकर लपेटने से वहां स्पोर्ट मिलता है तथा गरमाहट पैदा होता हैं। जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को आराम मिलता है। 
जानकारों के अनुसार क्रेप बैंडेज को घंटों बांधे रखा जा सकता हैं। इसका Use कई बार कर सकते हैं। ये "होम वासव्ल" उपकरण है। इसे घर पर धोकर साफ किया जा सकता है और पुनः Use कर सकते हैं। एक क्रेप बैंडेज को धोकर परिवार के अन्य सदस्य भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस प्रकार के बैंडेज को प्रयोग कर, बिना दवा के कसाव (प्रेशर) से शरीर के विभिन्न अंगों के दर्द से निजात पाया जा सकता हैं।

दोस्तों, इस लेख में हमने दो प्रकार के बैंडेजों की बात कही हैं। अपनी-अपनी समस्यानुसार इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं। 
यहां आप सबों की सुविधा हेतु दोनों बैंडेजों में अंतर बताया जा रहा हैं.....।
✓दोनों बैंडेजों में अंतर- *स्ट्रिप बैंडेज में दवा लगी रहती है और क्रेप बैंडेज को बिना दवा के कसाव (प्रेशर) के साथ  Use किया जाता है।
*स्ट्रिप बैंडेज को सिर्फ एक बार Use किया जाता है और क्रेप बैंडेज को धोकर पुनः कई बार Use में लिया जाता है।
*स्ट्रिप बैंडेज को चिपका कर इस्तेमाल किया जाता है तथा क्रेप बैंडेज को कस कर लपेटा जाता है।

*स्ट्रिप बैंडेज को उपयोग कर, कई बार डाक्टर की सलाह से टिटेनस इंजेक्शन लगाना पड़ता है और क्रेप बैंडेज को बांधने का तरीका एक्सपर्ट से जानकारी लेकर बांधना (लपेटना) उचित है।

लेख में बतलाए गए दोनों घरेलू बैंडेज की विशेषताएं अलग-अलग होने के बावजूद एक विशेषता कॉमन (समान) है -दोनों तरह के बैंडेज ही हमारे त्वचा के लिए सुरक्षित हैं।
अंत में कहना जरूरी होगा, समस्या के अनुरूप हम किसी भी बैंडेज का उपयोग कर सकते हैं परन्तु जरुरत पड़ने पर अवश्य डाक्टर या एक्सपर्ट की सलाह लेना न भूलें ......।
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