मोर्टार-पेस्टल--------

          यह एक Simple उपकरण है। इसे "आयुर्वेदिक चिकित्सा" का प्रतीक माना जाता है। इसकी तुलना हम "मिक्सचर ग्राइंडर" से कर सकते है। 
इसका आविष्कार संभवतः पाषाण युग में हुआ था। और तब से आज तक इसका Use होता आ रहा है।
आज के आर्टिकल में "मोर्टार पेस्टल" के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे....।
विवरण:-
               इस उपकरण के दो अलग-अलग पार्ट होते हैं। एक पार्ट कटोरेनुमा होता है जिसे "मोर्टार" कहते है और दूसरा पार्ट छोटा सा डंडेनुमा होता है जिसे "पेस्टल" कहा जाता है।
यह उपकरण छोटा होता है पर भारी होता है। इसे मैनुअल ग्राइंडर भी कह सकते है। 
मोर्टार-पेस्टल विभिन्न मटेरियल से बना होता हैं। जैसे - लकड़ी, कांच, स्टेनस्टिल, पत्थर, सिरेमिक आदि। इसके कई छोटे-बड़े साइज भी होते। 
आविष्कार:-
                  प्राचीन काल में पत्थर का महत्व मानव जीवन में बहुत था। पत्थरों को रगड़कर आग का आविष्कार किया गया था, पत्थरों को घिसकर नोकीला बनाकर तरह-तरह के हथियार बनाएं गये थे। धीरे-धीरे उन्नति के साथ ओखली का भी आविष्कार हुआ। 
जानकारों के अनुसार ईसा पूर्व, वैज्ञानिकों ने ओखली को ध्यान में रखते हुए "मोर्टार-पेस्टल" का आविष्कार किया।
उपयोग:-
              इसका उपयोग मसाले, दवा, जड़ी-बूटी आदि पदार्थों को पिसने में किया जाता हैं। इसके अलावा इसका विशेष उपयोग प्रयोगशालाओं और फार्मेसियों में किया जाता हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका उपयोग सबसे ज्यादा होता है।
आयुर्वेद यूनानी चिकित्सा व प्राकृतिक क्षेत्र में मोर्टार-पेस्टल, ओत-प्रोत से जुड़ा है।
इस उपकरण का इस्तेमाल करने के लिए पिसने वाली सामग्री को कटोरेनुमा मोर्टार में डाला (रखा) जाता है। फिर पेस्टल नामक दूसरे पार्ट से यानी डंडे नुमा पार्ट से सामग्री को पिसा जाता है। कोई भी सामग्री को पिसते समय ध्यान देना होगा पेस्टल को ऊपर-नीचे कर उन्हें कूटना नहीं है बल्कि घुमा-घुमा कर दबाव डालते हुए सामग्री को पिसना है।
    इस उपकरण के जरिए, ऐसे पद्धति द्वारा पदार्थ को चूरा (पावडर) व दरदरा पीसा जा सकता हैं। इसमें सुखे तथा गिले दोनों तरह के पदार्थ पिसे जा सकते हैं। 
विषेशता:- 
                इस simple उपकरण की कुछ खास विशेषताएं हैं। जो इस प्रकार हैं -(1) यह उपकरण सपाट नहीं होता, बल्कि कटोरेनुमा होने के कारण सामग्री गिरता या फैलता नहीं हैं।(2) आज के आधुनिक युग में भी इसका इस्तेमाल होता है। (3) उपकरण भारी होने के कारण सामग्री आसानी से पिसा जा सकता है। (4) कम मात्रा में सामग्री को आराम से पिस सकते है। (5) चिकित्सा विभाग में "सेरेमिक मटेरियल" का बना सफेद रंग का मोर्टार-पेस्टल सबसे ज्यादा उपयोग में लिया जाता है।
साफ-सफाई :-
                      किसी भी उपकरण को Use करने के बाद उसके साफ-सफाई पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। खास कर खाने-पीने की सामग्री हो तो विशेष सफाई की जरूरत पड़ती है।
मोर्टार-पेस्टल की भी सफाई जरूरी है। बल्कि यह ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि इसमें अलग-अलग पदार्थों को बारी-बारी से पीसकर दवा  बनाई जाती है। एकं पदार्थ को पिसने के बाद उसे गर्म पानी से अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। जिससे एक सामग्री का गंध दूसरे सामग्री पर नहीं जाएंगा। इसके अलावा थोड़े से कच्चे चावल को अगर उसमें पीस लिया जाए तो ऐसे में एक सामग्री का गंध दूसरे में नहीं जाता है। अंत मे पानी से धोकर, पोंछ कर उपकरण को रखें। 

आशा है इस Simple उपकरण की जानकारी से आप सब संतुष्ट होंगे।
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