मणिपुर हिंसा-------

         दोस्तों नमस्कार, 
                               According to report आज के लेख के जरिए हम आपको 'मणिपुर' की वर्तमान परिस्थितियों को बतलाने की एक छोटी  कोशिश करेंगे।
लेख शुरू करने से पहले एक सुचना देना चाहेंगे। वो ये है कि, इस लेख के अंत में हम आपके समक्ष एक सवाल रखेंगे। अगर संभव हो सके तो उसका सही जवाब comment box पर लिख कर भेज सकते है ..... तथा लेख विषय पर भी प्रकाश डाला सकते हैं।
         खैर,आज हम मणिपुर में हो रहे हिंसा की संक्षिप्त चर्चा करेंगे। जैसा कि हम जानते हैं मणिपुर की राजधानी "इंफाल" है और यह राज्य अपनी प्राकृतिक सौंदर्य की चादर ओढ़े हमारे देश को गौरवान्वित करता आ रहा है। इस राज्य में चारों ओर हरियाली ही हरियाली छाई हुई है। यह राज्य शानदार दर्शनीय स्थलों में से एक है। परंतु, पिछले कुछ समय से यहां की प्राकृतिक सुंदरता हिंसा की भेंट चढ़ रही है।
समाचार सूत्रों के अनुसार यह राज्य हिंसा की चपेट में आ गया है। 
यहां दो समुदाय पिछले कई वर्षों से रह रहे हैं। एक आदिवासी और दूसरा गैर आदिवासी। जो कुंकी और मैताई नाम से जानें जातें हैं।
सूत्रों के अनुसार मैताई समुदाय 1949 से इस राज्य में बसी हैं और अपना समान मौलिक अधिकार चाहते हैं। वे चाहते हैं घाटी और समतल दोनों जगह रह सके। भारतीय सांविधानिक अधिकारी के साथ वे वहां रह सके। परंतु मणिपुर की आदिवासी कुंकी समुदाय उन्हें यह अधिकार नहीं देना चाहतीं।
     3 मई से इसी कारण वहां हिंसा चल रही है। इस हिंसा ने भयावह रूप ले लिया है। बतलाया जा रहा है वहां प्रशासनिक व्यवस्था दुरुस्त नहीं है।
मणिपुर हिंसा के कारण अधिक संख्या में लोग वहां से पलायन कर रहे हैं। हिंसा की वजह से वे आस-पास के राज्यों में चले जा रहे हैं। अब तक करीब डेढ़ लाख लोग पलायन कर चुके हैं। इसके अलावा कई लोगों को अपना घर-बार छोड़कर कैंप में शरण लेना पड़ रहा हैं। कैंप में रहने को मजबूर हो रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौतें हो चुकी हैं। सैकड़ों लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। मंदिर और चर्च तोड़े जा रहें हैं। स्कूल-कालेज बंद हो गए हैं। ATM में पैसा नहीं है। खाने-पीने के सामान ठीक से नहीं मिल रहे हैं। और अगर कहीं मिल भी रहे हैं तो तीन गुना कीमत पर।
कैंप में रह रहे मजबूर लोगों को खाना, पानी, दवा आदि रोजमर्रा की जिन्दगी के सामान उपलब्ध नहीं हो रहें हैं।
वहां के करीब सभी लोगों को सामाजिकआर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं। इस हिंसा को रोकने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। लगता है यह हिंसा साम्प्रदायिकराजनैतिक रुप ले चूका है।
हजारों की संख्या में पुलिस कर्मी तैनात हैं, वाबजूद उसके हिंसा चल रही हैं।
ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Mr.Rahul Gandhi मणिपुर में दो दिवसीय दौरे में वहां के लोगों के पास गये। परंतु मणिपुर की राजधानी इंफाल एयरपोर्ट पर उतरने के बाद कुछ दूरी पर ही उन्हें रोक लिया गया। उन्हें मणिपुर के उन क्षेत्रों में जाने की मनाही की जा रही है। जहां लोग हिंसा से घिरे हैं। पर तर्क-वितर्क और बातचीत के बाद उन्हें जाने की अनुमति मिली। पर सड़क रास्ते से नहीं बल्कि आसमान मार्ग से .... राहुल गांधी जी उसी रास्ते वहां के असहाय लोगों के पास पहुंचे।
बताया जा रहा है राहुल गांधी जी के आने की बात सुनकर वहां के हिंसा से पीड़ित लोग रास्ते पर निकल पड़े। उन्हें अपने पास पाकर कई महिलाएं रोने लगी। 
लोगों को तसल्ली हो रही थी कि दिल्ली से कोई तो आया हमसे मिलने.... हमें पूछने ....।
राहुल गांधी जी ने वहां महिलाओं, बुजुर्गों, मान्य व्यक्तियों व आधिकारिक कुछ लोगों से हिंसा व उनकी समस्या के बारे में बातचीत की। उनसे बात कर वहां के लोगों में कुछ उम्मीद जगी।
इधर लोगों का कहना व मानना है कि वहां पर बैठी सरकार उनके लिए क्या कदम उठा रही हैं? वहां पर सत्ता पर बैठी सरकार चुप क्यों है? दूसरी तरफ कुछ गणमान्य लोगों का कहना है वहां सत्ता पर बैठी सरकार मणिपुर हिंसा का हल न कर दूसरे राज्यों में होने वाले चुनाव प्रचारों, भाषण व अपने कार्यों के बखान में व्यस्त हैं।
वो खुद न कुछ कर रही है और न ही दूसरे को कुछ करने दे रही हैं।
खैर, जो भी हो हम चाहेंगे मणिपुर का प्राकृतिक सौंदर्य बरकरार रहे। वहां के लोगों की शांति वापस लौट आए।

(प्रश्न- दिल्ली से अमेरिका की दूरी ज्यादा है या इंफाल की ?)
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