राजनीति स्तर------

दोस्तों 🙏
                According to report आज के लेख में गिरते राजनीति स्तर की चर्चा करेंगे। चाहे वो सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का..... लेकिन पहले एक सूचना- लेख के अंत में हमारी ओर से एक सवाल, जिसका उत्तर आप हमारे comment box पर भेज सकते है।
खैर दोस्तों, आपने ध्यान दिया होगा इन दिनों देश का करीब-करीब हर क्षेत्र अस्वस्थ नज़र आता हैं। खास तौर पर राजनीति क्षेत्र....इसका स्तर बहुत नीचे गिर गया है। और यह गिरावट दिन-प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है।
        राजनीति, एक देश की रीढ़ होती है। देश की सुरक्षा और विकास राजनीति पर काफी हद तक निर्भर करता हैं। परंतु हमारे देश में जितनी भी पार्टियां हैं करीब सबों ने अपनी मर्यादाएं खो दी हैं। विशेष कर सत्ता पक्ष.....।
          एक जमाने में लोग, नेता-मंत्रियों को अपशब्द नहीं बोलते थे। उनका आदर व सम्मान किया करते थे। अगर नाराजगी जताई जाती थी तब भी उसमें शालीनता होती थी। निम्न स्तरीय भाषाओं का प्रयोग नहीं होता था। व्यक्तिगत प्रहार नहीं किए जाते थे। यहीं बात हर राजनीतिक दलों में भी विद्यमान थी। वे बेलगाम नहीं बोलते थे। भाषणों के शब्द वजनदार हुआ करते थे।  आजकल, एक साधारण से साधारण व्यक्ति भी देश के प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचारी, अनपढ़, गवांर, चौकीदार, चायवाला और न जाने कितने अपशब्दों से उनको संबोधन करते हैं। जो कि कतेई उचित नहीं..... यह शोभनीय नहीं है....।
जमाना आधुनिक व टेक्नोलॉजी का हैं। अतः मौका भी बहुत हैं। सोशल मीडिया पर आए दिन असम्मानित शब्दों और उल्टे सीधे आचरणों के साथ विडियो वायरल होता रहता हैं। ठंडे दिमाग से सोचा जाए तो लगता है हमारा देश किस राह की ओर चल रहा है?.... क्या यह सही है?
        दोस्तों, देश के करीब हर क्षेत्र में राजनीति ने अपने पैर पसार लिए है। जन्म से मृत्यु, पढ़ाई से कैरियर, नौकरी से रिटायर, घर से कानून, शादी से तलाक, अस्पताल से शमशान जैसे और भी अनेक क्षेत्रों में राजनीति ने अपने पांव रख दिए हैं। हर मामले में राजनीति आ जाती हैं इसलिए आज के दौर में राजनीति का महत्व अधिक बताया जाता हैं। पर यही समस्त माहौल को खराब करने में लगा है। क्योंकि राजनीति स्तर गिर गया है और इसका प्रभाव इन सभी क्षेत्रों में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पड़ रहा हैं।
खबरों के अनुसार पहले के जमाने में खास व विशेष लोग राजनीति में शामिल हुआ करते थे। पर अब ऐसा नहीं है। लगता है यह (राजनीति) कमाई का एक जरिया बन गया है। शायद राजनीति स्तर के गिरने का यह भी एक कारण हो सकता है। इससे भी महत्वपूर्ण कारण सत्ता पर बैठे राजनीति दल की जिम्मेदारी बनती है कि देश सही राह पर चले....।
और अपने दल का स्तर न गिरे......।
सत्ता पर हमेशा एक ही पार्टी नहीं रहती। बदलती रहती है.....। अतः उन पर देश की समस्त जिम्मेदारी होती हैं। देश व देशवासियों को सही रास्ते पर ले जाया जाए, उनकी समस्याओं पर ध्यान दिया जाए, न की मुंह मोड़ अपनी सत्ता कायम रखे। खबरों के अनुसार ऐसा ही होता दिख रहा है।
      मान लीजिए सरकार की तरफ से कोई योजना बनी तो उसका कुछ प्रतिशत (पैसा) उसमें Use होता है बाकी का पता नहीं चलता। यही कारण है कि बाकी योजना आधी-अधूरी रह जाती है या फिर पूरी होने के कुछ दिनों बाद ध्वस्त हो जाते हैं। कई योजनाएं उन लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं जिनके उद्देश्य से वह बनता है। ऐसे में सरकार को सतर्क रह कर कार्य करना चाहिए। बात कागज़-कलम तक या अपने दल तक सीमित न रखें।
राजनीति एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां से आप सोशल वर्क कर सकते हैं। लोगों की मदद कर सकते हैं। किसी की सेवा कर सकते हैं। अपने देशवासियों को खुश रख सके....। परंतु अब ऐसा कहां......?
           आज की राजनीति उस जमाने से बिल्कुल भिन्न है। आम लोग तथा विपक्ष दल सक्रिय हैं ही, साथ सत्ता पक्ष भी अपना स्तर गिराने में पूरी तरह तैयार रहते हैं। आम व साधारण लोगों को वक्षते नहीं तथा विपक्ष दलों को हमेशा अपशब्दों के जरिए प्रहार करते हैं। किसी को नक्सली, आतंकवादी, टुकड़े-टुकड़े गैंग न जानें उनके लिए किन-किन भाषाओं का प्रयोग करते हैं। झूठा इल्जाम लगाया जाता हैं। खुद की गलतियां दूसरों पर थोप दी जाती हैं। जबकि देश का सत्ता दल सबसे पावरफुल होता है।
सत्ता दल के मुखिया खुद ताली बजा-बजाकर, शब्दों को हिचकोली खिलाकर, बैंच पीट-पीट कर और व्यक्तिगत तौर पर बात करने में कोई कसर नहीं छोड़ते...। 
देश के सत्ता का मुखिया पक्ष-विपक्ष, आम-खास, देश-समाज का अभिवावक होता है। उनकी अपनी मर्यादा होती है। उन्हें अपने व्यवहार और भाषा का ग़लत इस्तेमाल न कर अपना और अपने पद की गरिमा के सम्मान को बनाए रखना चाहिए। राजनीति अपने मर्यादा में रहकर करना चाहिए। अपने ताकत का ग़लत इस्तेमाल कर दूसरों को डराया, धमकाया जाता है, बेइज्जत किया जाता है, गिरफ्तार भी किया जाता हैं। याद रखें बड़े जैसा करतें हैं छोटे वही सीखते और करते हैं। अतः बड़ों को चाहिए सीमा में रहकर शालीनता से काम लेंतथा राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएं.....।
             संसद जैसे माहौल में बुरी तरह चिकना- चिल्लाना, संविधान व देश की गरिमा को नष्ट करना होता हैं। साथ ही अपना और अपनी पार्टी की राजनीति स्तर को भी निचे गिराना होता हैं।
किसी भी दल के उच्च पद पर बैठे नेताओं को चाहिए किसी की आलोचनाओं को स्वस्थ्य ढंग से करने की कोशिश करें। मुद्दे की राजनीति करनी चाहिए न कि किसी से द्वेष करें।
देश की सत्ता पर बैठी पार्टी की जिम्मेदारी मजबूत होनी चाहिए कारण सब इतिहास बनता चला जाता है। यही कारण है कि हम उस जमाने की राजनीति की तुलना आज की राजनीति स्तर से करने को मजबूर हो रहे हैं।
खबरों के मुताबिक एक उदाहरण देते हुए हम बताना चाहेंगे- हाल ही की मणिपुर घटना....। देश की डोर जिस राजनीतिक दल के हाथों में है, उन्हें इस बारे में गलत बात, व्यवहार, आलोचना करना शोभा देता है? मेरा-तेरा कर विपक्ष पर इल्ज़ाम लगा अपने कर्तव्यों से भागना उचित हैं?
मणिपुर की घटी घटना बहुत ही गंभीर है। देश ही नहीं विदेशों में भी इसकी चर्चा हो रही है और वे अपनी-अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं ऐसे में सत्ता पक्ष को इस विषय में सतर्कता के साथ ठोस कदम उठाने की जरूरत थी। ताकि देश और देशवासी सुरक्षित रहे।
लेकिन सत्ता दल तब भी चुनाव प्रचार में व्यस्त थी और आज भी जब विडियो दुनियां के सामने आ गई है तब भी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं।
मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है राजनैतिक क्षेत्र में प्रचार की जरूरत नहीं उनका काम खुद व खुद प्रचार कर देता है......। देश की जनता उसी राजनीति पार्टी को पसंद करती और चाहती भी है जो उसके लिए सोचें।
     अतः दोस्तों, इन समस्त बातों से लगता है, आज का राजनीति स्तर बहुत नीचे गिरता चला जा रहा है। भाषा, शालीनता, आवभाव, झूठ सब के साथ देखा जाए तो देश उन्नति के मार्ग से दूर होता जा रहा है।
अगर राजनीति स्तर की गिरावट को रोका जाए तो हमारा देश उन्नत की दिशा तय कर सकता है.....।

(प्रश्न- क्या सही में आज राजनीति स्तर गिरता चला जा रहा है?)
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