PDA बैठक-------

दोस्तों 🙏,
                     According to report आज के लेख में हम विपक्षियों के बैठक की चर्चा करेंगे। लेकिन पहले एक सुचना- लेख के अंत में हम आपके समक्ष एक सवाल रखेंगे और उसका सही जवाब आप हमें हमारे comment box पर लिखकर भेज सकते हैं .....।
खबरों के अनुसार भारत की वर्तमान सरकार, देश के प्रति अपना दायित्व ठीक से नहीं निभा रही हैं। कभी मौन रहती है तो कभी प्रसंगों को पलट देती हैं। जिस कारण देश भर में अराजकता फैला हुआ है। वर्तमान में देश के सामने कई जरूरी मुद्दे हैं जिन्हें सरकार हल नहीं कर पा रही हैं। जिस कारण देशवासी काफी परेशान, दु:खी, आहत, असहज व अपमानित महसूस कर रहे हैं। बावजूद उसके सरकार किसी भी सूरत में अपनी सत्ता छोड़ना नहीं चाहती।
पर ऐसा कब तक चलेगा? इस ओर देश के अन्य छोटे-बड़े पार्टियों का ध्यान गया। और उन सभी ने वर्तमान भारत सरकार को देश हित के लिए हटाना उचित समझा। आपसी कोशिशों के बाद बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने अपनी अगुवाई में विभिन्न पार्टियों को एक बैठक के लिए न्यौता दिया। 
पहली बैठक-: उन्होंने अपनी यह बैठक 23 जून 2023 को पटना में रखी। उनके अनुरोध में देश के करीब 17 पार्टियों ने इस विपक्षिय बैठक में हिस्सा लिया। लेकिन कुछ और भी पार्टियां थी जो कुछ कारणवश इस बैठक में उपस्थित नहीं हो पाई। 
उपस्थित सभी पार्टी एक जुट हो अपनी पहली PDA बैठक पर इस सरकार के खिलाफ ग्राफ बनाया। 
अगले साल 2024 में चुनाव होने वाले है अतः अभी से विपक्ष दलों ने बैठक के माध्यम मुहीम छेड़ी। मिशन-2024....
नीतीश कुमार जी द्वारा बुलाई इस पहली बैठक में ही तय किया गया दूसरी बैठक शिमला में की जाएगी। लेकिन कई नेता-मंत्रियों की विशेष परेशानियों का ध्यान रखते हुए PDA की दूसरी बैठक बैंगलूरू में रखी गई।
दूसरी बैठक-: विपक्ष (PDA) की दूसरी दो दिवसीय बैठक 17/18 ता: (2023) को कांग्रेस अध्यक्ष श्री खड़के जी ने बैंगलूरू में बुलाई। यह दो दिन की विपक्षीय बैठक बैंगलूरू के "ताज वेस्ट एंड होटल" (Taj West End Hotel) में रखी गई। 
       17जुलाई सोमवार तथा 18जुलाई मंगलवार को समुचे भारत के जानी-मानी पार्टियों के नेता- मंत्री बैंगलूरू के ताज होटल में एकत्रित हुए। उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम चोरों दिशाएं ताज होटल में एक साथ दिखाई दिये। 
पटना की पहली विपक्ष गठबंधन बैठक में 17 पार्टियां आई थी और अब बैंगलूरू के दो दिवसीय बैठक में 26पार्टियां एक जुट हुई।
पहली बैठक नीतीश कुमार जी ने बुलाई और दूसरी बैठक कांग्रेस अध्यक्ष खड़के जी ने रखी। 
बैंगलुरू के बैठक में रात्रि भोजन की व्यवस्था कांग्रेस नेता सोनिया गांधी जी की तरफ से की गई।
        खबरों से पता चला ताज होटल के अंदर एक पोस्टर नजर आया। उसमें लिखा था- "हम एक हैं"
 तथा होटल के बाहर एक अन्य बड़ा बैनर दिखा। जिसमें करीब सभी पार्टियों के नेता मंत्रियों के फोटो नजर आए।
 विपक्ष बैठक में एक जुट होने का मूल उद्देश्य- "मिशन 24"..... अर्थात अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाला है। जिसमें भारत की वर्तमान सरकार को हटाने की रणनीति की गई....।
बैठक में एक फार्मूला तैयार किया गया जिसमें ग्यारह सदस्यता की टीम बनाई गई। जो अपने कार्य भार संभालेंगे। अगले साल मुकाबले के लिए अभी से सब एकजुट हो गए। गिरते तथा उभरते ग्राफ की तैयारी की गई।
 2024 में देश को देखने को मिलेगा- 
 "किसमें कितना दम है"?
असल में PDA (विपक्ष गठबंधन )और NDA (सत्ता गठबंधन) का मुकाबला 2024के चुनाव में होगा। किसके पास कितने दल हैं? उनकी वोटर लिस्ट क्या है? इसी आधार पर किसका ग्राफ गिरता या उबरता हैं इस पर ध्यान दिया जाएगा।
2024 में PDA दलों की भूमिका रहेगी तथा उनका अपने पार्टी की भी मांग है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण- वर्तमान सरकार पर फोकस करना है .....। इसके लिए दो दिवसीय गठबंधन बैठक में कुछ फैसले लिए गए हैं .... वे इस प्रकार हैं -1) मोदी को कुर्सी से हटाना। 2)दस साल बाद सत्ता में वापसी। 3) 60% वोट हासिल करना। 4) हर सीट पर एक प्रत्याशी। 5) विवादों पर समझौता। 6) EVM पर चर्चा। 7)सीट शेयरिंग फार्मूला। 8) कॉमन मिनिमम पर प्रोग्राम।9) गठबंधन पर चर्चा। 10 भविष्य की आपसी डील आदि इस तरह का फार्मूला बना हैं।
         दो दिवसीय इस बैठक में आगे निर्णय लिया गया अगली बैठक यानी तीसरी बैठक "महाराष्ट्र" में होगी। कब, कहां तय करना बाकी है ....।
सूत्रों के अनुसार अगर विपक्षी दलों में आपसी सहमति रही तो चुनाव 2024 कई लोगों के लिए काफी दिलचस्प रहेगा।
दो-दिवसीय बैठक में सबसे पहले विपक्षी दलों के गठबंधन का नया नाम रखा गया..... "INDIA".
पहले यानी शुरू में गठबंधन का नाम PDA रखा गया था लेकिन राहुल गांधी जी ने अद्भुत दाव खेला और विपक्ष दलों के गठबंधन का नाम I-N-D-I-A रखा। हालांकि सबों की सहमति से "इंडिया" नाम पड़ा।
         माना जा रहा है कि इस गठबंधन को अगर कोई अपने शब्दों के वाण से आहत करना चाहेगा तो वो वाण सीधे हमारे "देश भारत" को लगेगा। अतः गठबंधन को भला-बुरा कहने से पहले, कहने वाला दो बार सोचेगा फिर कुछ बोलेगा। 
पिछले कई सालों से सत्ता पक्ष द्वारा बेइज्जत करने के लिहाजे से राहुल गांधी जी को "पप्पू" नाम से संबोधित किया जाता रहा है और आम जनता के जहन में भी यही बात डाल दी गई थी। जिस कारण उनको नासमझ की संज्ञा दी जाती रही। लेकिन राहुल गांधी जी ने सब बर्दाश्त करते हुए गठबंधन का ऐसा नामकरण किया कि सत्ता पक्ष और उसके साथी चारों खाने चित हो गए। अब सवाल उठता है, फिर नासमझ कौन?

(प्रश्न- क्या विपक्ष दलों की आपसी सहमति बनी रहेगी?)
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