बेघर----

🙏 दोस्तों,
                           According to report इन दिनों देश में सजा के तौर पर शायद लोगों को बेघर करने का सीजन (मौसम) चल रहा हैं। आज के लेख में हम इसी विषय पर खुल कर बात करेंगे। पर पहले एक जानकारी- लेख के अंत में हमारी ओर से आप सबों के लिए एक सवाल रहेगा, जिसका उत्तर हमारे Comment box पर भेज सकते है.....।
      साथियों, क्या आप जानते हैं हमारे देश के किसी एक हिस्से मे बुलडोजर द्वारा तोड़े गये घर से बेखबर नन्हा बच्चा अपने पिता से रोटी की ज़िद कर रहा है? उसे छत का होश नहीं पर भूख की अनुभूति है, इसलिए उसे अपने पापा से खाने को रोटी चाहिए। पर पिता परेशान, लाचारी की हालत में तड़प रहा है। रोटी के बाद जरुरत पड़ेगी सर पर छत की...... मजदूर पिता उसके लिए कैसे छत की व्यवस्था करेगा? खबरों के अनुसार सरकार ने घर दिया और सरकार ने ही बेघर कर दिया। अब पिता परिवार के साथ रास्ते पर .....यह कैसा दंड? वो समझ नहीं पा रहा है ....।
दोस्तों, जैसा कि आप जानते हैं हमारे देश में कुछ समय से बुलडोजर प्रक्रिया चल रही हैं। जिसके माध्यम सजा के तौर पर लोगों के घरों को तोड़ा जा रहा हैं और उन्हें बेघर किया जा रहा हैं। यह काम कानूनी तौर पर हो रहा है या गैरकानूनी या राजनीति तौर पर, यह ठीक से नहीं मालूम.......यह भी नहीं मालूम कि यह प्रक्रिया किस सजा के अंतर्गत आता हैं। परन्तु इस प्रक्रिया के जरिए अब तक बहुत परिवार बेघर हो चुके हैं। 
मान लीजिए अगर परिवार के एक सदस्य को किसी वजह से सजा देनी भी है तो, इस प्रक्रिया के चलते पूरा परिवार सजा के दायरे में आ जा रहा हैं। जो शायद सही नहीं है। 
इस सजा में बुजुर्ग, बच्चे, मरीज भी हो सकतें हैं.....।
यहां बेघर वालों को सरकार से क्यों कोई उम्मीद या मांग नहीं? समझ नहीं आता?
         दूसरी ओर मणिपुर में दो समुदाय के बीच की हिंसा ने कई परिवारों को बेघर कर दिया है। जिसमें दोनों समुदायों के लोग शामिल हैं। उन्हें अपना बसा बसाया घर छोड़ कैंप पर रहना पड़ रहा हैं।
वहां के लोगों की यह मजबूरी है। क्योंकि उस राज्य की सरकार प्रशासनिक कोई व्यवस्था नहीं ले पाई है। कई लोगों के घरों को जला दिया गया है तो अनेकों के घरों को तोड़ा गया है। कईयों को हिंसा के डर से घर छोड़ चले जाना पड़ा हैं। 
खबरों के अनुसार कुल मिलाकर कई हजारों की संख्या में लोग, पिछले तीन महीने में बेघर हो गए हैं। 
         इस मामले में सरकार बेघर होने वालों को उनके घरों में लौटाने की कोई कोशिश नहीं कर रही हैं। हिंसा के चलते आज भी यानी कुछ महीनों से वे बेघर ही हैं। 
यहां भी सवाल बुजुर्ग, बच्चे, मरीज़ सबों का हैं।
          दोस्तों, अब तक हमने आप लोगों को देश के  कुछ आम जनता के बेघर होने की जानकारी दी। अब खास व्यक्ति की भी जानकारी देते है। वे भी अपने देश में बेघर हो गए है।
खबरों के अनुसार देश का हर वर्ग इन दिनों बेघर हो रहा है और आगे भी हो सकता हैं। जिस देश में खास व्यक्तित्व वाले व्यक्ति को बेघर करवाया जा रहा है, वहां देश की आम जनता, साधारण लोगों का क्या?
खैर, हम यहां बात कर रहे हैं देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पड़पोते राहुल गांधी जी की..... जो सम्मानित परिवार के सम्मानिय व्यक्ति है। इस परिवार ने देश को अब तक कई प्रधानमंत्री दिए हैं। तथा वे देश के सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के नेता भी है, संसद में सांसदीय पद पर भी थे। ऐसे खास व्यक्ति को भारत सरकार द्वारा बेघर होना पड़ा।        ‌         
असल में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी जी के पोते राहुल गांधी जी पर, वर्तमान भारत सरकार के एक विधायक द्वारा मानहानि केस दायर किया गया था।
          दोस्तों, शायद आप लोगों को महात्मा गांधी जी के विचारों के तीन बंदरों वाला प्रतीक ध्यान होगा। एक बंदर ने अपने दोनों हाथों को दोनों कानों पर लगा रखा है, दूसरे ने दोनों हाथों को अपने मुंह पर और तीसरे ने दोनों हाथों से आंखों को ढक रखा हैं। जो सबको बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो का उपदेश देना चाहते हैं। लेकिन अब समय बदल गया है। अब इन उपदेशों का मोल तुच्छ सा हो गया हैं।
इसलिए आज की तारीख में सही बोलने की सजा आपको मिलेगी। अब तो बुरा ही बुरा बोलो पर सही न बोलो....इसके लिए कानूनी कार्रवाई हो सकती है। जैसा राहुल गांधी जी के साथ हुआ।
बात 2019 की है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी जी के बेटे राहुल गांधी जी ने 2019 में किसी भाषण के दौरान "मोदी सरनेम" पर कुछ टिप्पणी की थी। जिस कारण सूरत के किसी विधायक के द्वारा कोर्ट में मानहानि का केस कर दिया गया था। 
केन्द्र भी अपना, राज्य भी अपना, कोर्ट भी राज्य का अतः जिसकी लाठी, उसी की भैंस..... कहावत के अनुसार, कोर्ट ने राहुल गांधी जी को सज़ा सुना दी। दो साल की सर्वोच्च सजा। 
जानकारी के मुताबिक ऐसी सजा, ऐसे मामले में आज तक नहीं हुई। 
खैर, बताया जाता है कि संसद सदस्यता के नियमानुसार अगर किसी सांसद को दो साल की सजा होती हैं तो उनकी सांसदी सदस्यता नहीं रहती। चली जाती है अतः पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी जी के बेटे श्री राहुल गांधी जी की  सदस्यता भी चली गई। सदस्यता चली गई तो सरकारी मकान भी खाली करने को कह दिया गया। मकान भी छीन लिया गया।
ये सारी प्रक्रिया एक के बाद एक होती चली गई और वे बेघर हो गए। सूत्रों ने अनुसार जहां वे पिछले 19 सालों से रह रहे थे एक झटके में उनका मकान छिन लिया गया। और उन्हें बेघर कर दिया गया।
राहुल गांधी जी ने सरकारी मकान खाली कर उसकी चाबी सरकारी अफसरों को सौंप दी।
          लेख में बतलाएं गये बेघर लोगों का यह किस्सा भले ही अलग-अलग हो लेकिन कहीं न कहीं बात एक तार से जुड़ा है।
अचानक आश्रयहीन हो जाना, यह समाज और देश के लिए अच्छा संकेत नहीं होता हैं......।
मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा जाए तो इसका प्रभाव भयंकर रूप ले सकता है। चाहे प्रत्येक्ष रुप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से ......।
जिस देश में खास व्यक्तित्व वाले व्यक्ति को अगर एक झटके में अचानक बेघर होना पड़ता हो, उसी देश में साधारण नागरिकों को बेघर होना पड़े, बसा बसाया आवास छिन जाए तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं। दुःख की बात हो सकती है पर चकित होने वाली बात नहीं....... क्योंकि इसे ही राजनीति कहते है जो अति सत्य है।

(प्रश्न- क्या ये बेघर लोग किसी षड्यंत्र के शिकार हैं?)
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