जिम्मेदारी-------

दोस्तों 🙏
               According to News आज का आर्टिकल 'एक जिम्मेदार व्यक्ति' के "व्यक्तित्व" को 'दर्शाने' की कोशिश करेगा..... लेकिन पहले आप सबों को बता दे कि आर्टिकल के अंत में दिये गऐ एक सवाल का जवाब हमें हमारे Comment Box पर जरुर लिख भेजिएगा......।
इंसान के जीवन में उसके कुछ फर्ज होते हैं, जिसे निभाना ज़रुरी होता हैं। जिसकी उसे पूरी कोशिश करनी चाहिए। अपने स्तर के हिसाब से इंसान को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए। अब चाहे वो अपने लिए हो, अपने परिवार, समाज या राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी, निभाने की चेष्टा करनी चाहिए। तभी वह व्यक्ति 'आदर्श इंसान' कहलाता है।
हालांकि सब ऐसा नहीं कर पाते। कई लोग इसे  निभा नहीं पाते जबकि कई करना नहीं चाहते, वे अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं। दूसरी ओर देखे तो हम पाएंगे देश-दुनिया में अनेक ऐसे लोग हैं जो अपनों और दूसरों, दोनों के प्रति जीवनभर जिम्मेदारी निभाते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर ताजे रिपोर्ट के अनुसार देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी की बात कह सकते है। जिन्होंने करीब 90साल की उम्र में भी अपनी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश की है।
       खबरों के अनुसार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी एक इकोनोमिस्ट, पोलेटिशियन और एक उच्च शिक्षित प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। इन सभी पदों को उन्होंने पूरी जिम्मेदारियों के साथ निभाया। और आज जब वे करीब 90साल की उम्र में शारीरिक अस्वस्थता अवस्था में है, तब भी देश वासियों के प्रति अपने फर्ज को नहीं भूले।
        7.8.2023 को राज्य सभा में संसद के रूप में उन्होंने एंट्री ली। शारीरिक अस्वस्थता के कारण 'व्हील चेयर' में बैठकर अपनी जिम्मेदारी निभाने राज्य सभा पहुचे।
जैसा कि हम जानते हैं दिल्ली राजधानी में वर्तमान केन्द्र सरकार अध्यादेश बिल पास करवाना चाहती थी। जिसका विरोध समस्त विरोधी पार्टियां कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके हक में फैसला दिया, उसी को निष्क्रिय करने के लिए देश की वर्तमान सरकार 7.8.2023 को जल्द वोटिंग के जरिए बिल पास कराने की ठानी। ऐसे में विरोधी पार्टियों ने सभी सांसदों को मतदान करने के लिए आमंत्रित किया। ताकि अधिक से अधिक वोट पड़े और अध्यादेश बिल पर रोक लगाई जा सके। यहीं कारण था कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह अपनी इच्छा से व्हील चेयर पर बैठ सभा में उपस्थित हुए।
सूत्रों के अनुसार कुछ साल पहले की बात है मनोहर परिकर जी, जो कैंसर से पीड़ित थे, नाक में नली लगी थी, शारीरिक व मानसिक परिस्थिति सही न होने पर भी ऐसी हालत में अपनी जिम्मेदारी निभाने घर से बाहर आए। यह भी सुनने में आता है कि अटल बिहारी वाजपेई जी भी राष्ट्रपति चुनाव के वोट के लिए व्हील चेयर पर आ गये थे। इसे कहते है जिम्मेदारी निभाना।
लेकिन खबरों के मुताबिक राजनीति दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो न खुद किसी प्रकार की जिम्मेदारी निभाते हैं और न ही दूसरों को ऐसा करते  देख उसे बर्दाश्त कर पाते हैं। उल्टे तंज कसते हैं। जिम्मेदारी का मज़ाक़ उड़ाते हैं।
एक वक्त था जब डॉक्टर मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। ऐसे उच्च शिक्षित, संयमी, शांत स्वभाव  व्यक्ति को खूब कटाक्ष किया जाता था। उनकी शिक्षा का मज़ाक़ उड़ाया जाता था। उनके कम बोलने पर कटाक्ष किए जाते थे। उनके उद्देश्य में कहा जाता था- रैन कोट पहन कर कैसे नहाया जाता है, यह डॉ मनमोहन सिंह जी से अच्छा कोई नहीं जानता .....। इस प्रकार की कई अपमान जनक टीका-टिप्पणियां एक प्रधानमंत्री के लिए की जाती थी।
लेकिन वे चूप व शांत रह अपना कार्य करते रहते। उन्होंने देश की आर्थिक परिस्थिती को सुधारने में भारत को एक नई दिशा दी। इसके लिए कुछेक लोगों को छोड़ देश का हर व्यक्ति उन्हें याद करता रहेगा। उनका देश ऋणी रहेगा।
सूत्रों के अनुसार 1991 साल में भारत की अर्थव्यवस्था बहुत खराब हो गई थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री के कहने पर मनमोहन सिंह जी ने कदम उठाया और देश के सोने को इंग्लैंड में गिरवी रख पैसा लिए। उन पैसों से P.P.P. के आधार पर देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। यानी उधारी करण, वैश्विक करण और निजी करण के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया में तीसरे स्थान पर खड़ा कर दिया। जो चौंकाने वाला था।
          जब वे प्रधानमंत्री थे तब उन्हें जलील किया जाता था और आज उन्हें व्हील चेयर पर सभा में देख वे लोग ही तरस खा रहे हैं। और इस बहाने अब उनकी पार्टी (कांग्रेस) को कटाक्ष किया जा रहा हैं। उस वक्त डॉ मनमोहन सिंह चूप रहते थे लेकिन आज उनकी पार्टी चूप न रहकर उन लोगों को अपने तरीके से जवाब दे रही हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी को जलील करने वाली पार्टी और उनकी पार्टी के बाद-विवादों के बीच आज भी वे खामोशी से अपनी जिम्मेदारी निभाने में लगे हैं। यह आदर्श व्यक्ति की पहचान है। इस उम्र में आकर भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं रहे .....।

(प्रश्न- डॉ मनमोहन सिंह जी के नीली पगड़ी का राज़ क्या है?)
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