कब्जा ......

🙏 दोस्तों,
                        According to report आज के लेख में हम सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने वाली कुछ महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करेंगे....
इससे पहले लेख के अंत में आप सबों के लिए एक सवाल रखा गया है। संभव हो सके तो उसका जवाब हमारे Comment Box पर जरुर लिख भेजिएगा.....।
खैर, इस लेख में कब्जे की अर्थात अतिक्रमण की बात करेंगे। पहले यह जान लेना जरूरी है कि अतिक्रमण (कब्जा) कितने प्रकार के होते हैं.....?
साधारणतः कब्जा तीन प्रकार के होते हैं -
1) व्यक्ति कब्जा
2) संपत्ति कब्जा
3) भूमि कब्जा

       लेकिन आज के आर्टिकल में हम भूमि अतिक्रमण (कब्जा) पर चर्चा करेंगे। वो भी सरकारी भूमि की..... जो कि बहुत आसान है। इसके पीछे कारण है शुरुआती लापरवाही.....।
      खबरों के अनुसार भारत में करीब हर छोटे-बड़े शहर, गांव, कस्बे में भूमि कब्जा देखने या सुनने को मिलता हैं। जहां-तहां, खास कर सरकारी जमीन पर लोग कब्जा कर लेते हैं। 
जैसे यह fundamental rights के दायरे में आता हो....।
वैसे आम लोगों की पड़ी खाली जमीनों पर भी कब्जा कर बैठ जाते हैं। खाली मकान पर भी कई लोग अपना कब्जा जमा लेते हैं। 
शहरों के फूटपाथ, सरकारी खाली जमीन, रेलवे भूमि आदि जगहों पर डेरा डालना आम बात हैं। ऐसी जगहों पर अवैध कब्जा करना बहुत ही आसान हैं। पहले कच्चा और उसके कुछ समय बाद पक्का निर्माण कर लिया जाता हैं। किसी प्रकार की कोई कानूनी डर नहीं। ऐसे लोग सरकारी जमीनों पर कब्जा करने को अपना हक मानते हैं।
खाली जगहों व भूमि पर बस्ती बसा लेते हैं या व्यापार शुरू कर देते हैं। 
देश के अधिकांश शहरों में दूकानदार फूटपाथ पर अपनी दूकान बढ़ा लेते हैं या अन्य लोग छोटी दूकान खोल लेते हैं। पब्लिक के फूटपाथ पर से चलना मुश्किल हो जाता हैं। सड़कों पर गाड़ी, वहीं लोगों का फूटपाथ छोड़ सड़कों पर चलना बहुत ही खतरे की बात हैं। और तो और फूटपाथ के नीचे सड़क किनारे भी अतिक्रमणों का नजारा देखने को मिलता हैं। अवैध पार्किंग .....। कई लोग वहां से कमाई भी करते हैं। इसके अलावा धार्मिक स्थल का अवैध निर्माण कर जगहों को कब्जे में कर लेते हैं। कितने लोग हैं जो अपनी बालकनी रोड़ की ओर बढ़ा लेते हैं।
अगर हम सोचते हैं कि यह कार्य घुसपैठियों द्वारा किया जा रहा हैं तो हम बिल्कुल ग़लत हैं। अवैध कब्जे में स्थानीय लोग, वहां की समिति, प्रसाशन, राजनीति क्षेत्र के कुछ लोग, अधिकारीगण आदि जिम्मेदार हैं।
इस तरह के अवैध कब्जे स्थायी सा हो गया है।
अवैध कब्जे में कुछ आम लोगों के भी खाली जमीन, खाली मकान पर अतिक्रमण हो जाता है और ऐसे मामलों में असली मालिकों को पीछे हटना पड़ता है। इस मामले में कानूनी दांव-पेंच कुछ ऐसे हैं .....।
दोस्तों, किसी की खाली जमीन का अतिक्रमण अपराध की श्रेणी में आता है खास तौर पर सरकारी भूमि या जगह अतिक्रमण(कब्जा) करना कानूनी अपराध है लेकिन ऐसा अपराध आए दिन, खुलेआम, सरकार के नाक के नीचे बैखौफ हो देश भर में हो रहा हैं। 
सरकार की तरफ से कोई कारवाई नहीं होती। 
पहले से सचेत नहीं रहते। जहां कब्ज़ा करते देखा वही तत्परता दिखानी चाहिए। भूमि व जगह तुरंत खाली करवानी चाहिए। ताकि जमकर न बैठें। सरकार को चाहिए अपने-अपने क्षेत्रों में अधिकारियों द्वारा स्थलों का संज्ञान लगातार लेते रहे। वाबजूद उसके अगर कोई कब्जा कर रहा हो तो कानूनी व्यवस्था लेते हुए कठोर दंड देना चाहिए। जगह ख़ाली करवाने के साथ आर्थिक दंड यानी जुर्माना लगाना चाहिए। मौके (फील्ड) पर नियमित निगरानी रखना चाहिए ताकि पुनः जगह ज़ब्त न करें।
सरकार की ओर से इस तरह के कार्य तुरंत और लगातार करने से अवैध कब्जे नहीं हो सकते। चाहे बस्ती के बहाने हो या फिर कमाई की व्यवस्था के लिए ही हो। देरी होने पर कब्जाकारी लम्बे समय का हवाला देते हुए अधिकार, मजबूरी, न्यायालय, शिकायत, आदेश वगैरह मामला सामने ले आते हैं। जिससे जगह खाली करवाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।
        खबरों के अनुसार देखा गया हैं प्रतिवाद के तौर पर लड़ाई, झगड़े, मारपीट, अवरोध, धरने वाली बातें आ जाती हैं। ऐसे में कई बार मौत होते हुए भी देखा गया है। सरकारी की ओर से, चाहे अवैध कब्जा करने वालों की तरफ़ से सही लेकिन नुकसान किसी एक का हो जाता है।
अवैध कब्जा के कारण आम लोगों को दिक्कतें होती हैं, दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ता है.....। इसके अलावा और भी अनेक परेशानियां आए दिन देखने को मिलता हैं।
अतः अवैध कब्जे की बात न्यायालय तक जाने से पहले सरकार को अपनी ओर से अपने तथा आम नागरिकों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए शुरू से ही लगातार खाली भूमि व जगहों पर निगरानी रखना उचित है।

(प्रश्न-: क्या अतिक्रमण के मामलों में न्यायालय को सख्त होना चाहिए?)
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