तीन बदलते कानून------

🙏 दोस्तों,
                   According to report आज के इस आर्टिकल में ऐसे तीन कानूनों के बदलने की बात करेंगे जिन्हें मौजूदा सरकार बदलने जा रही है।तीन कानून की चर्चा करने से पहले हम आपको बताना चाहेंगे- इस लेख के अंत में एक छोटा सा सवाल आप सभी के लिए...... जिसे हमारे Comment Box पर जरुर लिख भेजें .....।
         खैर, दोस्तों जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ सालों से हमारे देश में बहुत कुछ बदला जा रहा हैं। खासतौर पर नाम....विभिन्न क्षेत्रों, स्थानों, संस्थाओं, महत्वपूर्ण इमारतों आदि के "नाम" बदल दिए जा रहे हैं। 
मेरा मानना है, यादें हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए यादों को हमेशा संजोकर रखना चाहिए। पर व्यक्तिगत और सार्वजनिक बात अलग होते हैं। इसलिए.....।
     यहां देश के कानून की बात है। जिसे बदलने की बात चल रही हैं। मानसून सत्र सभा में देश के तीन मुख्य कानून को बदलने की बात सामने आई है। कारण, कहा जा रहा है वर्तमान में तीन कानून बहुत पुराने, अंग्रेजों के जमाने के है तथा इन कानूनों के चलते लोगों को ठीक से व समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा हैं अतः उन्हें बदलना जरूरी हैं।
       खबरों के अनुसार इन तीनों कानून को बदलने की खास वजह है- हम अंग्रेज़ो के गुलामी की यादों से आजाद हो जाएंगे। इसके अलावा महिलाओं और बच्चों की तरफ ध्यान देते हुए उन्हें उचित न्याय दिलाने की कोशिश की जाएगी, पुलिस को अपने अधिकारों का अनुचित इस्तेमाल करने से रोका जा सकेगा, वकील व न्याय जबाव देही होंगे, कोई भी केस वर्षों पड़े नहीं रहेंगे, अपराधियों की उचित सजा होगी आदि की दलील दी गई हैं। इस तरह के और भी अनेक जटील समस्याओं का निवारण हो सकेगा, अंग्रेजों के जमाने की तीन कानूनों को बदल कर.....।
देश की मौजूदा सरकार की ओर से तीनों कानूनों के सिर्फ नाम ही बदले जाएंगे या तीन कानूनों में इस्तेमाल किए जाने वाले कानूनी शब्दों, वाक्यों और भाषा शैली को भी बदला जाएगा या फिर कानूनों में Use किए गए धाराओं को भी बदला जाएगा? अभी यह स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन पुराने तीनों कानून को बदल दिया जाएगा। यह तय हो गया है। 
क्योंकि अगर बोटिंग होती भी है तो कानून (तीन) बदले जाएंगे, कारण वर्तमान भारत सरकार की बोटिंग संख्या ज्यादा हैं। अगर किसी कारण वश किसी ने विरोध भी किया तो वो कारगर नहीं होगा.....।
जान लेते है वे कौन-से तीन कानून हैं, जिसके बदलने की बात हो रही हैं- 
(1) IPC (Indian Penal code) 
(2) Crpc (Code of Criminal Procedure)
(3) Evidence Act (Indian Evidence Act)
      जानकारी के अनुसार हल्के शब्दों में साधारण नागरिकों के समझाने के लिए इनमें हत्या, दंड, सबूत जैसी प्रक्रियाएं होती हैं। इन्हीं आपराधिक प्रक्रियाओं में सुधार की व्यवस्था होगी, इन्हें बदलने के बाद....। 
लेकिन सूत्रों से पता चलता है, कानूनों के कुछ जानकारों का कहना है इनके नाम बदले जा रहें हैं। अंग्रेजी नामों को हिन्दी में परिवर्तन किया जाने वाला हैं। अदालत में अंग्रेजी में काम होता हैं और कानूनों के नाम हिन्दी में लिये जाएंगे। तीन कानूनों में सुधार नहीं हो रहा हैं बल्कि इनमें कुछ धाराऐं जोड़ी जा रहा हैं और कुछ खत्म की जा रही हैं। अंग्रेजों के कानूनों को मजबूत करते हुए दंड और भी कठोर किये जा रहे है।
खबरों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी की, किसी कारणवश हत्या कर देता है तो प्रमाण होने पर उसे उम्र कैद होती है अर्थात उम्र कैद की सज़ा सुनाई जाती है। और यही हत्या अगर पांच या उससे ज्यादा लोग मिलकर करते हैं तो उन्हें सात साल या कुछ अधिक सजा मिलेगी। 
देश में सामाजिक परेशानी बहुत जटिल है ऐसे में मौलिक अधिकार पाना काफी पेचीदा नज़र आता है। जानकारी के अनुसार कहा जा रहा है यह बदलाव असंवैधानिक है। 
अंग्रेजों के जमाने के अंग्रेजी नाम को बदलकर हिन्दी नाम इस प्रकार से रखे जाने की बात हो रही हैं .....
1) IPC नाम बदलकर-भारतीय न्याय संहिता
2)  Crpc नाम बदलकर-भारतीय नागरिक सुरक्षा
3) Evidence Act-भारतीय साक्ष्य अधिनियम।

खबरों के अनुसार वर्तमान सरकार का कहना है अंग्रेजों के संसद द्वारा पारित किया गया राजद्रोह व देशद्रोह कानून अब नहीं चलेगा। हमारा देश लोकतांत्रिक देश है अतः सबको बोलने का हक है। सबको मौलिक अधिकार मिलेगा। 
तब दंड देने के लिए कानून बने थे लेकिन अब कानून से देश चलेगा.....इस कारण अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही ये तीन कानून बदले जा रहें हैं।
लेकिन कई कानूनी जानकारों के अनुसार कानून बदलने का लक्ष्य अगर वाकई में देशवासियों को उनके मौलिक अधिकार दिलाने के लिए बदले जा रहें है तो इस विषय पर ठीक से स्टडीज करनी पड़ेगी। भारत को अपने आसपास के अन्य देशों चीन, जापान, सिंगापुर, अमेरिका आदि जैसे देशों के कानूनों को देखना, पढ़ना और उन्हें फ़ॉलो या कॉपी करना होगा। तब जाकर भारतीय न्याय संहिता कानून बनाना उचित होगा।
सूत्रों के अनुसार तीन कानूनों को बदलने पर कहा जा रहा हैं यह तो "नई बोतल में पुरानी शराब" वाली बात होगी।
अगर देश में चौतरफा हो रहे अपराध खत्म करने हैं, न्याय जल्दी और सटीक देना हैं तो हमारे आसपास के देशों के कानूनों के अनुसार कानून बनाने पड़ेंगे। अन्यथा इन बदलाव का कोई मतलब नहीं होगा। ऐसा कहना कानूनी क्षेत्र के जाने-माने व्यक्तित्व वालों का हैं।
(प्रश्न-: हमारे देश में झूठ बोलना पाप है, पर क्या यह अपराध की श्रेणी में आता है?)
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