जशन------

🙏 दोस्तों, 
                          According to report आज के लेख में हम राजनैतिक जशन की बात करेंगे। कौन सी पार्टी कब और क्यों उत्सव मना रही हैं, इसी की चर्चा करेंगे। लेकिन पहले एक सूचना- हर लेख की तरह इस लेख के अंत में भी हमरी ओर से आपके लिए एक सवाल रहेगा और अगर संभव हो सके तो हमारे comment box पर उसका जबाव भेज सकते हैं।
खैर, राजनीति पार्टीयों को अपने मकसद पूरा होने पर या फिर अपनी जीत पर जशन मनाते देखा गया हैं। जिसे विभिन्न उत्सव के रुप में मनाते हैं। 
गुलाल, मिठाई, फूल-मालाएं, जय-जय कार के नारे, विद्रोही नारे, विरोधी पार्टी को अपशब्द कह कर जशन मनाने का रिवाज हैं। हालांकि हर पार्टी के उत्साह उल्लास का अलग-अलग तरीक़ा हैं।
       2019 में कांग्रेस नेता व संसद "राहुल गांधी" जी पर "सूरत कोर्ट" तथा "गुजरात हाईकोर्ट" में वर्तमान सरकार के एक विधायक द्वारा 'मानहानि' का केस दायर किया गया था। मामला "सरनेम टिप्पणी" पर था। जिसमें उन्हें दो साल की सजा मिली। कुछ समय बाद जमानत पर संसदीय सदस्यता चली गई साथ ही सरकारी मकान।
           जिस समय कोर्ट के अंदर उसके मानहानि का केस चल रहा था, बहस हो रही थी उस समय कोर्ट के बाहर, वर्तमान सरकार के पार्टी सदस्यगण जशन मना रहे थे। उन्हें खुशी हो रही थी। क्योंकि राहुल गांधी जी पर पहले केस, सजा, सदस्यता खत्म, सरकारी मकान खाली, जेल आदि प्रीप्लानिंग की प्रक्रिया पूरी होने वाली थी। जो उनके खुशी का कारण था।
           इसके अलावा मीडिया में इस पार्टी नेताओं द्वारा तरह-तरह की अपमान जनक टीका- टिप्पणियां बरकरार थी। सामने वाले की हार और अपनी जीत की खुशी.....।
          करीब चार साल तक इस तरह चल रहे जशन ने जैसे अपना रुख बदल लिया।
राहुल गांधी जी को दो कोर्ट से हार और सजा मिलने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने "मानहानि केस" की याचिका दायर की।
वे चुपचाप सब कुछ बर्दाश्त करने के बाद, अपना सब कुछ दांव पर लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किये। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही कम समय के साथ केस की सुनवाई की और राहुल गांधी जी को इस सजा से राहत दिलवाईं।
सुप्रीम कोर्ट ने सूरत कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट के सामने एक सवाल रखा, उसी का 'संतोषपूर्वक' जवाब न मिलने पर उनकी सजा पर रोक लगा दी गई।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था- "सारे कायदे की बातें समझ आ रहा है पर इस केस में सबसे अधिकतम सजा (2साल) क्यों सुनाई गई?"  
इसका स्पष्ट जवाब न ही सूरत कोर्ट ने दिया और न ही गुजरात हाईकोर्ट ने दिया।
अतः पिछले शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट की ओर से 4ता:2023 को सजा पर रोक लगा दी गई। 
इसमें कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी तथा कांग्रेस पार्टी की जीत समझी। इस कारण अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जशन का माहौल बन गया है। खुशियां पहले कोई मना रहा था अब कोई और मना रहा हैं।
दोस्तों, सब वक्त-वक्त की बात है.....। जशन पहले किसी के पलड़े में थी अब किसी ओर के पलड़े में है।
खबरों के मुताबिक एक पार्टी चाह रही थी केस को चुनाव तक खिंच लिया जाए ताकि चुनावी पक्ष हमारी ओर हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट का, चुनाव से पहले निर्णय लेना दूसरी पार्टी के लिए आक्सीजन का काम कर गई।
कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की जीत पर मिठाई बांट रही हैं। नाच रही है। वापस उनकी सदस्यता की सोच रही है। उनके सरकारी मकान वापस पाने की आस लगा रही है। वे सब चाहते हैं राहुल गांधी फिर से सदन में आकर आम लोगों की समस्या की बात रखें। वे चाहते हैं वर्तमान सरकार के गलत फैसलों को रोके और भारत की साधारण जनता को राहत दिलाए। 
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के कुछ नामी नेता व प्रवक्ता अब उस पार्टी को जबाव देने में लगी हैं जिनके जरिए मानहानि केस दायर की गई थी। बड़े गर्व और खुशी के साथ मुंह तोड जवाब दिया जा रहा हैं।
2019 के मानहानि केस में पहले भारत की वर्तमान पार्टी ने अपने तरीके से जशन मनाया और अब कांग्रेस पार्टी जशन मना रही है। 
लेकिन, क्या पार्टियों का जशन मनाना उचित हैं? कारण सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला है अतः पहले पक्ष को जशन मनाने से पहले थोड़ा इंतजार करना चाहिए और दूसरे पक्ष को भी इतना उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि सिर्फ सजा पर रोक लगी है ......सजा अभी खत्म नहीं हुई। 
खबरों के अनुसार इस केस में सूरत कोर्ट ने सजा का निर्णय खारिज कर दिया पर हाईकोर्ट ने अभी नहीं किया है। शायद इसीलिए किसी भी तरफ़ यह केस करवट बदल सकता है। वैसे भी कहा जा रहा हैं, मानहानि केस के अलावा उन पर और भी अनेक केस लगे हुए हैं। 
अभी फिलहाल खबरों के मुताबिक राहुल गांधी जी को अपनी संसदीय सदस्यता वापस मिलने की खबर है। कहा जा रहा है संसद में करीब 136 दिनों बाद उनकी एंट्री हुई है। 
दोस्तों, राजनीति पार्टीयों को जशन मनाने का मौका मिला रहा है पर आम जनता को जशन मनाने का मौका कब मिलेगा? 

(प्रश्न:- क्या सूरत कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट की उच्चतम सजा इस मानहानि केस के मामले में गलत है?)
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