दोस्तों 🙏
According to report आज के लेख में कुछ ऐसे संबंधों की बात करेंगे जो कानूनी और सामाजिक तौर पर अमान्य होते हैं.....
लेकिन पहले बता दें कि लेख के अंत में दिये सवाल का जबाब हमरे Comment Box पर भेज सकते हैं।
साथियों मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ख़ास तौर पर हमारे देश की परम्परा के अनुसार समाज का ध्यान हम सभी रखकर चलते हैं। हमारे देश में हिन्दू समाज की "संस्कृति" का विशेष महत्व होता है।
लेख में संबंध का सीधा तात्पर्य दो बालिग का आपसी बंधन से हैं।
संबंध यानी रिश्ता, जो अनेक प्रकार के होते हैं। जिसमें शादी संबंध भी एक पवित्र रिश्ता होता है। इस संबंध के बारे में हम जानते आए है- विवाह अर्थात शादी, जिसमें समाज और कानून दोनों (अग्नि साक्षी और रजिस्ट्रेशन) की ही सहमती होती हैं। साधारण तौर पर बालिग लड़का और लड़की के परिवार वालों की उपस्थिति में दोनों की फेरों के साथ की शादी ही "तनाव रहित" होती हैं। ऐसी शादि में पति-पत्नी तथा आगे की आने वाली पीढ़ी महफूज रहतीं। ऐसे परिवार हेल्थी/ स्वास्थ्य परिवार माने जाते हैं।
लेकिन समाज में और भी शादी के तरीके अर्थात इस रिश्ते से जुड़ने के तरीके हैं। कह सकते हैं- भाग कर शादी, लव मैरिज, पुनः विवाह, विधवा विवाह आदि शादियां भी हैं। इस तरह वाले शादी संबंधों को भी परिवार और समाज में जगह मिल जाती हैं। इसका स्थान दूसरे कैटगरी में आता हैं। पर समाज व परिवार ऐसी शादियों को भी मान लेते हैं। कानून भी बैध मानती हैं।
इन शादियों के अलावा आजकल कुछ और तरह यानी पाश्चात्य सभ्यता वाले संबंध का प्रवेश हमारे यहां हुआ हैं। पाश्चात्य संस्कृति के वैवाहिक संबंध पिछले कुछ समय से हमारे देश में चलन सा बन गया हैं। ऐसे संबंधों को न ही समाज मान्यता देती है और न ही कानून इसे बैध मानता हैं। हमारे देश में ऐसे संबंधों को नहीं मानते। खासकर समाज इंकार करता है।
खबरों के मुताबिक यहां आपको दो संबंधों की बात बताएंगे। इनमें एक तो है "लिव इन रिलेशन" दूसरा "समलैंगिक संबंध" .....।
समाज की बात करें तो ये संबंध विकृत मानसिकता, डरावना और अवैध माने जाने वाले हैं। हमारे यहां इस प्रकार का चलन गरिमामय नहीं है। इसे अपमानित जीवन जीना कहा जा सकता हैं।
लेकिन आधुनिक युग का स्त्रोत, नई पीढ़ी का कल्चर इस प्रकार के संबंधों को आमंत्रित कर रहा हैं।
समलैंगिक की बात करें तो इस बारे में इतना कहना काफी होगा- यह एक प्रकार का विकृत और अप्राकृतिक मानसिकता का प्रतीक है। हर कदम पर, शुरू से अंत तक हास्यास्पद स्थिति वाली योजना या रिश्ता कह सकते हैं। इसलिए इसे छोड़ दूसरे संबंध की बात करते है-लिव इन .....।
क्योंकि इस संबंध में अगर कोई काफी समय से रह रहा हैं तो वहां शादी वाली बात हो सकती है। रिश्ते के अवैध संबंध से वैध में बदलने की गुंजाइश रहती है। जो मानने योग्य है। परंतु कम समय साथ रहने की बात अलग है ....। जो बहुत डरावना होता है।
"लिव इन रिलेशन" जिसका भयंकर और अवैध प्रभाव उन लोगों के जीवन में पड़ता हैं जो इस अवैध संबंध में जी रहे हैं।
लिव इन रिलेशन का अर्थ है- दो विपरीत लिंग वाले बालिग प्रेमी जोड़ा या दोस्त, जो आपसी सहमति से बिना शादी के एक कमरे में पति-पत्नी के रूप में रह रहे हो।
उनका मानना व कहना है किसी के साथ लम्बी जिंदगी जीने के लिए उसे जानना, समझना और परखना बहुत जरूरी हैं। किसी को देखकर या कुछ बातें कर इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। अतः "लिव इन" का संबंध आवश्यक है। इस संबंध से हम बिना शर्त और बिना जिम्मेदारी के एक दूसरे को समझ सकते हैं। हमें पता चलेगा उसके स्वभाव, आदत, विचार,आदि के बारे में, अगर हमें साथी (पार्टनर) की ये सारी बातें पसंद आई तो फिर शादी कर आगे की जिन्दगी अच्छे से जी सकते हैं। वरना नहीं। जो बहुत सहज होगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस रिश्ते में जाने के लिए ये सारी ऊपरी बातें "गौण" रह जाती हैं उन "मुख्य" बातों के आगे, जो इस संबंध में छिपा हुआ रहता हैं।
जमीनी हकीकत का सामना होने पर आधुनिकता, कल्चर, एडवांस सोच धरी की धरी रह जाती हैं। ऐसे संबंधों से अपना ही नहीं इससे अगर कोई ज़िन्दगी की आने की संभावना रहती है तो उसका जीवन भी ध्वस्त हो जाता है। क्योंकि समाज ऐसे रिश्तों को स्वीकारता नहीं है।
News report से हमें पिछले कुछ समयों से ऐसे संबंधों (कम समय) के बुरे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। ऐसे संबंधों में एक पार्टनर की निर्मम तरीके से मौत (हत्या) को अंजाम दिया जा रहा हैं। जिसमें अधिकांश महिला पार्टनर को निशाना बनाया जा रहा हैं। इसके बाद पुरुष पार्टनर की जिन्दगी सलाखों के पीछे बर्बाद हो जाती है।
अतः खबरों के अनुसार "लिव इन रिलेशन" जैसे पाश्चात्य संबंधों को अपनाने से पहले इसके बारे में ठीक से जानकारी जुटा लेना अत्यंत आवश्यक हैं।
सूत्रों के अनुसार जाना गया है कानून, जीवन जीने की आजादी पर रोक नहीं लगा सकती। इसलिए जब दो बालिग अपनी आपसी सहमति से एक साथ रहना चाहते हैं जो कि उनका मौलिक अधिकार है, तो कानून उसे वैध क़रार देती हैं और इस तरह के संबंध में कानून इसे अवैध नहीं मान सकती। बसरते उसके (कानून) अपने कुछ नियम बंधे होते हैं।
परंतु कानून से आगे समाज आ जाता है। जिसके चलते जीवन में कई दिक्कतें आ जाती हैं। जिसका सामना महिलाओं को अधिकतर करना पड़ता हैं। चूंकि इस प्रकार के संबंध रखने या बनाने में किसी की यानी समाज व कानून की जरूरत नहीं होती अतः अगर यह संबंध जब टूटता है तो मदद के लिए या बीच-बचाव के लिए कोई आगे नहीं आता। इसका विकल्प FIR/हत्या के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचता।
खबरों के रिपोर्ट के अनुसार हमने जाना है इस तरह के संबंध में महिलाएं अकेली रह जाती है या उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है, उसकी मृत्यु हो जाती है।
दरअसल, लिव इन रिलेशन एक ऐसी व्यवस्था है जो बिना किसी जिम्मेदारी के "सैक्सूअल जीवन" जीने का एक तरीका है। जो वर्तमान में अधिकांश नई पीढी को पसंद आ रही है ....। वे वर्तमान में जी रहे होते है पर उन्हें इसका क्रुर्र परिणाम नहीं दिखता। जो उनके लिए अत्यंत भयंकर होता है।
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