गौशालाएं-----

 🙏 दोस्तों, 

                        

According to News आज का लेख हमें "इस्कॉन की गौशाला" का सफर करवायेगा। पर पहले एक सूचना- लेख के अंत में एक छोटा सा सवाल। कृपया संभव हो सके तो उसका जवाब हमारे Comment Box पर लिख भेजिएगा.....।

          "इस्कॉन" के बारे में जैसा कि हम जानते है, इसे "राधा-कृष्ण" का इंटरनेशनल मंदिर माना जाता है। जो हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित हैं। यह धार्मिक संगठन देश-विदेश से संबंधित हैं। धार्मिक (हिन्दू) सेवा के अलावा यहां और भी अनेक प्रकार की सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। खास तौर पर जरुर मंदों को.....।

खबरों के अनुसार इस्कॉन धार्मिक संगठन (मंदिर)में गौशालाएं भी स्थापित हैं। भारत में इनकी करीब 60 गौशालाएं हैं। जिन्हें चलाने के लिए सरकार की ओर से इन्हें मदद भी मिलती हैं।

आवारा या बेसहारा मवेशियों के लिए सरकार द्वारा ली गई योजनाओं में गौशाला की एक अहम भूमिका (व्यवस्था) है। सरकार द्वारा संचालित गौशालाओं में मवेशियों की सुरक्षा, देखरेख व उनके खान-पान की पूरी व्यवस्था की जाती हैं। इसके अलावा सूत्रों से जानकारी मिली है कि अगर कोई परिवार या व्यक्ति किसी आवारा गाय को पालना तथा उसकी सेवा करना चाहें तो सरकार अपनी ओर से उस परिवार या व्यक्ति को  एक मासिक धनराशि की व्यवस्था करती हैं।

हिन्दू धर्म में गाय की मान्यता है- गाय को माता के रूप में देखा जाता हैं। उसकी सेवा करना, देखरेख करना पुन्य माना जाता है। अतः हमारे देश में व्यक्तिगत तौर पर तथा विभिन्न संगठनों के माध्यम गौ-सेवा का प्रावधान हैं। जिसमें अधिकांश हिन्दू समाज के लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। फिर भी कई बार खबरों के अनुसार जानकारी मिलती हैं गौशालाओं में, सरकार और रखरखाव संगठनों की ओर से कुछ लापरवाही हों जाती हैं। जिससे गायों की बहुत दूरदशा होती दिखती हैं।

अभी पिछले सप्ताह सोशल मीडिया द्वारा पता चला है, किसी पूर्व केन्द्रीय मंत्री इस्कॉन धार्मिक मंदिर के किसी गौशाला का दौरा कर कुछ शिकायतें वया की हैं। दौरे के दौरान उन्होंने महसूस किया स्वस्थ्य और अस्वस्थ गायों व बछड़ों में मदभेद किया जा रहा हैं।

ऐसे में इस्कॉन धार्मिक संगठन ने इसे ग़लत आरोप बतलाते हुए "वृन्दावन मंदिर" के पिछे स्थापित गौशाला की संक्षिप्त जानकारी लोगों दी हैं। 

चलिए इन्हीं जानकारियों को जानने की कोशिश करते हैं......

इस्कॉन धार्मिक मंदिर की ओर से नाराज़गी जताते हुए कहा गया है कि यह गौशाला 12 एकड़ जमीन पर बना हुआ हैं। यहां सिर्फ गायों की ही नहीं बल्कि बैलों और बछड़ों की भी देखरेख की सुविधाएं उपलब्ध हैं। पशु डाक्टर, पशु पोष्टिक आहार (चारा), स्वच्छ जल, इलाज की पूरी व्यवस्था (सेवा) हैं।

गौशाला में इनके लिए अलग-अलग सेक्शन (Section) बने हुए हैं। जो इस प्रकार हैं .......

1) बुजुर्ग गाय सेक्शन में करीब 25 गाय हैं। ये सब अपने जीवन के दूसरे पावदान में हैं। ये बुजुर्ग गायें दूध नहीं देती फिर भी यहां इनकी देखभाल की जाती हैं।

2) बछड़ा सेक्शन अलग बना हुआ हैं। यहां पर 30 के करीब प्यारे-प्यारे बछड़े आपको नजर आएंगे। जिनकी सेवा निष्ठा के साथ की जाती हैं।

3) बैल सेक्शन में "एक सौ इक्कीस" के करीब अलग-अलग नस्लों के बैल मिलेंगे। इन्हें त्यागा नहीं जाता। इनकी भी यहां देखरेख होती हैं। इनके माध्यम अलग-अलग परिवार (नस्ल) को जन्म दिया जाता हैं। जिससे दूध की क्वालिटी व क्वांटिटी में फर्क  आता हैं।

4) बीमार सेक्शन में, बीमार पुरुष और महिला गायों को रखा जाता हैं। इस सेक्शन में पशु चिकित्सक तथा पशु प्रेमी (पशु भक्त) भी आते हैं। दवा और स्नेह से इनको स्वास्थ्य करने की व्यवस्था की जाती हैं। यहां करीब 4 बैल और 12 बीमार गायें रहते हैं।

5) गोपाल कृष्ण गौशाला सेक्शन में बछड़ों को उनकी माता गायों द्वारा दूध पिलाया जाता हैं। इस सेक्शन में रिश्तों की अहमियत को जाना जा सकता हैं। अपनी मां (गाय) के दूग्ध पर पहला अधिकार एक बच्चे (बछड़ा) का होता है। अतः इस सेक्शन में मां और बच्चे के रिश्ते को अनुभव किया जा सकता हैं।

6) घायल सेक्शन में इलाज सेवा प्रदान की जाती हैं। गौशाला के बाहर, कहीं आसपास घायल गाय को यहां लाकर उसका इलाज किया जाता हैं।

7) यहां के गौशाला के भीतर एक तरफ 7 एकड़ जमीन में एक और सेक्शन है। वृन्दावन क्षेत्र में कोई भी गाय, बैल, बछड़ा बीमार या भूखा हो तो उसे इस सेक्शन में लाया जाता है। और उसे इलाज तथा पोष्टिक चारा दिया जाता हैं।

8) गौशाला में एक सेक्शन ऐसा भी है जहां एक "रब स्तम्भ" (छोटा खुरदुरा खंबा) बनाया हुआ है। जब इस सेक्शन में गायों को विहार (घुमाने) करवाने लाया जाता हैं और उस दौरान अगर उन्हें अपना शरीर रगड़ना हो या शरीर में खुजली हो तो वे "रब स्तम्भ" में अपना शरीर रगड़ सकते हैं।

9) दूध सेक्शन में सिर्फ दूध देने वाली गायों को रखा जाता हैं। ऐसी गायें यहां 25 के करीब हैं। गोपाल कृष्ण गौशाला सेक्शन में पहले बछड़ों को दूध पिलाया जाता है फिर गायों का दूध निकाल कर राधे-श्याम की सेवा होती हैं। उसके बाद उसे जनमानव में बांटा जाता हैं।

10) गौशाला के समस्त सेक्शन से पॉलिथीन हटाएं रखा जाता हैं ताकि कोई भी गाय इसे न खाएं। इसके अलावा गौशाला में ट्रक भर कर चारा लाया जाता हैं।एक ट्रक चारे की कीमत अनुमानिक 80 हजार होती हैं। और यह चारा सप्ताह भर चलता है। यानी हर सप्ताह चारा भरा ट्रक आता रहता है। चारा कभी चावल का होता है तो कभी गेहूं का होता हैं। हमारे यहां पशुओं (गायों) को अलग-अलग पशु पौष्टिक आहार (चारा) दिया जाता हैं।

खबरों के अनुसार इस्कॉन धार्मिक संगठन की ओर से गौशाला की इन तमाम बातों की जानकारी देने के बावजूद उनका कहना है हमारी सेवा में कुछ कमी रह सकती हैं लेकिन हमारी उत्क्रिस्ट सेवा देने की कोशिश रहती हैं।

(प्रश्न:- सरकार द्वारा संचालित गौशालाओं की मौजूदा हालात कैसी हैं?)

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