दोस्तों 🙏
यह लेख "देवी शक्ति" पर आधारित है। भारत विभिन्न तीज-त्योहारों का देश है। जिनमें नवरात्रि भी हिन्दूओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है।
नवरात्रि में हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग देवी शक्ति की आराधना करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि की पूजा "वैदिक काल" के पहले से चलती आ रही है। और आज भी इसे बड़े निष्ठा, श्रद्धा, विश्वास, भक्ति और पवित्रता के साथ निभाया जाता है।
हिन्दूओं का महत्वपूर्ण त्यौहार "नवरात्रि" चार हैं। ये माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विनी माह में आते हैं। इनमें दो "गुप्त नवरात्रि" और दो "प्रकट नवरात्रि" होते हैं। माघ और आषाढ़ के नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है तथा चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रि को प्रकट या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।
कई लोग हैं जो सिर्फ दो नवरात्रि के बारे में ही जानते हैं। साधारणतया हिन्दू जनमानव "प्रकट नवरात्रि" पर्व को ही जानते व मानते हैं।
गुप्त नवरात्रि और प्रकट नवरात्रि में बहुत अंतर है। जो इस प्रकार हैं......।
गुप्त नवरात्रि:- माघ और आषाढ़ मास में आने वाले नवरात्रि को "गुप्त नवरात्रि" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पूजा सार्वजनिक रूप में नहीं की जाती हैं । बल्कि इस पूजा में गोपनीयता रखी जाती है। इसमें "मां काली" की आराधना की जाती है। यह पूजा साधारण घर-गृहस्थी वाले लोग नहीं करते। इस पूजा को गुप्त तरीके से संत, साधक तथा तांत्रिक लोग करते हैं। इसमें तंत्र विद्या को मानते हुए तंत्र साधना (पूजा) की जाती है। गुप्त नवरात्रि में काली की साधना आर्थिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता हैं। गुप्त तरीके से होने के कारण अधिकांश लोग इन दो नवरात्रि को न ही जानते हैं और न ही मानते हैं।
प्रकट नवरात्रि:-
अधिकतर लोग जानते हैं साल में दो ही नवरात्रि होती हैं। एक चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास में.....। जो प्रकट या शरदीय नवरात्रि के रुप में जाना जाता है। आमतौर पर इन दोनों नवरात्रि के बिच छः माह का अंतर पाया जाता हैं। इस पूजा में सर्वसाधारण के समक्ष घर-गृहस्थी वाले लोग शक्ति देवी माता दुर्गा की आराधना (पूजा) करते हैं। इस पूजा में व्रत, भक्ति, पवित्रता को ध्यान में रखते हुए देवी के नौ रुपों की पूजा की जाती हैं। यह नवरात्रि की प्रकट पूजा शत्रुओं का नाश कर उस पर विजय प्राप्त की पूजा है। मान्यता है इस पूजा के करने से लोगों के गृहस्थी में खुशहाली आती है।
साथियों प्रकट नवरात्रि की शरदीय नवरात्रि के बारे में जान लेते है आखिर यह अराधना हम साधारण लोगों में क्यों प्रचलित है.....?
जैसा कि हम जानते हैं प्रमुख रूप से शक्ति की देवी की पूजा नवरात्रि में की जाती है साथ ही इसका महत्व कहीं न कहीं प्रकृति से भी जुड़ा है। यह बसंत और शरत ऋतु की शुरुआत में तथा जलवायु और सूरज के प्रभाव का संगम माना जाता हैं। यही कारण है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्रि के पर्व को विभिन्न तरह से मनाया जाता है जिसमें आध्यात्मिक और प्रकृति का अनोखा अनुभव हम पा सकते हैं। लेकिन मूल रूप से नवरात्रि में शक्ति देवी की अराधना का कारण माना जाता है कि देवी दूर्गा ने शत्रु का बध कर उस पर विजय प्राप्त की थी।
पौराणिक कथा अनुसार प्राचीन काल में किसी समय एक राक्षस हुआ करता था। जिसका नाम महिषासुर बताया जाता है। वो ब्रह्मा जी का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार राक्षस ने ब्रह्मा जी की अराधना शुरू की। उससे ब्रह्मा जी बहुत संतुष्ट और खुश हुए। उन्होंने राक्षस से बरदान मांगने को कहा। तब राक्षस ने ब्रह्मा जी से बरदान मांग कि, मुझे कोई भी देवता या मानव न मार सके। उन्होंने उसे ऐसा ही बरदान दिया।
बरदान पा कर राक्षस अत्यंत अत्याचारी और घमंडी बन गया। वो सबों पर बहुत अत्याचार करने लगा। उसके अत्याचार से सब परेशान हो गए। तब समस्त देवतागण मिलकर एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश जी के पास गए। उन्हें राक्षस के जुल्मों के बारे में अवगत करवाया। यह सुन उन तीनों ने अपनी शक्ति का प्रयोग कर एक शक्ति देवी की सृष्टि की और उसे राक्षस के अत्याचार को रोकने का आदेश दिया।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश जी से आज्ञा पाकर शक्ति की देवी अपने भुजाओं में अस्त्र-शस्त्रों के साथ उसे पालन करने चल पड़ी।
ऐसा कहा जाता है- देवी, राक्षस के नगर की ओर उसके पास जाने लगी। इसका पता राक्षस को चल गया। तब वो स्वयं देवी के पास आया और उनकी सुंदरता देख मुग्ध हो गया। उसने देवी के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा। इस पर देवी बोली- इसके लिए तुम्हें पहले मुझसे युद्ध करना पड़ेगा। अगर तुम युद्ध जीत गए तो मैं तुमसे विवाह करुंगी।
राक्षस उनके साथ युद्ध करने को तैयार हो गया। नौ दिनों तक शक्ति की देवी और राक्षस के बीच युद्ध चला। आखिर युद्ध में देवी ने अपने त्रिशूल से राक्षस का वध किया। उसे मार डाला। देवी विजयी हुई। अशुभ शक्ति पर शुभ शक्ति ने विजय प्राप्त की....। इसलिए नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति की अराधना के लिए मनाया जाता है। यही कारण है कि इस पर्व को नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
साथियों, चारों नवरात्रि में शक्ति की देवी मां काली और माता दुर्गा की पूजा, अर्चना की जाती हैं.....।______________
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