जांच एजेंसी------

दोस्तों 🙏

                         

According to report आज के आर्टिकल के जरिए हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि भारत सरकार की "ED जांच एजेंसी" इन दिनों चर्चा का विषय क्यों बना हुआ है? लेकिन उससे पहले आप सभी को सुचित किया जाता हैं, आर्टिकल के अंत में दिए गए एक सवाल का जवाब संभव हो सके तो हमारे Comment Box पर लिख भेजिएगा.....।

        खैर दोस्तों, चलिए जांच एजेंसी के साथ आगे बढ़ते हैं। खबरों की जानकारी के अनुसार भारत सरकार की कई खुफिया जांच एजेंसी हैं। जो अलग-अलग विषयों पर कार्य करतीं हैं। एजेंसियों के जांच क्षेत्र अलग-अलग हैं। 

भारत सरकार की मुख्य जांच एजेंसियों में ED भी एक एजेंसी है.....जिसकी संक्षिप्त जानकारी ले लेते हैं....... ED का मुख्य कार्यालय दिल्ली में है। यह केन्द्र सरकार की एक एजेंसी है। इसका मुख्य कार्य देश के आर्थिक अपराधों की जांच करना तथा उसके खिलाफ कार्यवाही करना है। आर्थिक अपराध से तात्पर्य है ग़लत तरीके से कमाई करना और सही टैक्स न भरना। इसके ये दो मुख्य कार्य माने जाते हैं। यानी हम इसे धोखाधड़ी मामला कह सकते है। ED इस क्षेत्र में अपना काम करती है।

खबरों के अनुसार यह जांच एजेंसी काफी शक्तिशाली है। PMLA (धन-शोधन निवारण अधिनियम)की विशेष धारा के नियमानुसार ED के पास वो सारे अधिकार व ताकत है जिससे ये किसी को भी गिरफ्तार कर सकती हैं। इसे इतने अधिकार मिले हुए हैं कि अगर इसके लपेट में कोई भी आ जाए तो उसके बहुत कुछ खत्म हो सकतें हैं। यह एजेंसी किसी भी नेता, मुख्यमंत्री या साधारण व्यक्ति के जांच करने का अधिकार रखता है। यह एजेंसी इतनी पावरफुल है कि बिना बोले, बिना नोटिस के, बिना जानकारी दिए वह किसी की भी जांच कर उसे गिरफ्तारी कर सकती है। उसकी संपत्ति जब्त कर सकती है। छापे मार सकती है....... ये सारे उनके अधिकार का हिस्सा हैं।

परंतु भारत सरकार की इतनी क्षमताशाली जांच एजेंसी इन दिनों काफी चर्चा में है। देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां तक कि यह एजेंसी (ED) सुप्रीम कोर्ट की नजर में भी आ गया है।

जहां हर एक इससे डरकर बैठा हैं। वहीं पूरे देश भर में इसकी चर्चा है। आए दिन विभिन्न मिडिया के माध्यम ED द्वारा छापे पड़ने की या गिरफ्तारी की खबर सामने आती हैं। इस एजेंसी ने अच्छे अच्छों के नाक में दम कर रखा है। खबरों के मुताबिक आए दिन खासतौर पर किसी न किसी विपक्षियों के घर के सामने यह एजेंसी खड़ी मिलती है।

सूत्रों से मिली जानकारी से पता चलता है इसके चर्चा का मुख्य कारण है, सरकार की ओर से इसके कार्यकाल का समय एक साल बढ़ा दिया गया है और दूसरी तरफ देखा जा रहा है ED अपनी ताकत का ग़लत इस्तेमाल कर लोगों के संविधान के अधिकारों का हनन कर रही हैं। यह बात पिछले कुछ सालों से देखने को मिल रहा हैं।

       

 पिछले कुछ सालों से वर्तमान भारत सरकार की विपक्षी पार्टी और विपक्षीय राज्यों में ED का कहर जारी हैं। इसके अलावा खबरों के मुताबिक जानकारी मिली है- कुछ स्वतंत्र पत्रकार जो सरकार से सवाल-जवाब करती हैं वे भी इस एजेंसी के शिकार हुए हैं।

अभी हाल ही की बात है कुछ घोटालों, देशद्रोह, दुश्मन पड़ोसी देश से हाथ मिलाने व उनसे अपने कार्य के लिए पैसे लेने के अपराध पर मंत्री और पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया हैं। वो भी बिना नोटिस के, बिना जानकारी दिए.....। इसके अलावा हरियाणा हाईकोर्ट का एक केस सुप्रीम कोर्ट में आय है जिसको मद्दे नजर रखते हुए भी देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस एजेंसी पर सिकंजा कसा है।

दरअसल, मनीलैडिंग मामले में "बंसल केस" को हरियाणा हाईकोर्ट में खारिज करने के बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट ने आया। 

सुप्रीम कोर्ट का कहना है- गिरफ्तारी रद्द की जाए। किसी को गिरफ्तारी से पहले उसे लिखित तौर पर उसकी गलती की नोटिस दी जाएं। मौखिक जानकारी से काम नहीं चलेगा। उसे गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी। 

कोर्ट ने आगे कहा- जहां मर्जी, जिसे मर्जी यह एजेंसी उठा ले जाती हैं। बिना बजह किसी को हिरासत में उठा नहीं ले  जा सकती। उसे परेशान नहीं कर सकती। एजेंसी को अपने दायरे में रह कर अपना कार्य करना चाहिए। 

किसी से प्रतिशोध लेने के लिए ED का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

दोस्तों, खबरों के अनुसार अब तक देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट देश की केन्द्र जांच एजेंसी को फटकार लगाती रही पर अब नकेल कसेगी, एक्शन लेगी। जो एजेंसी को भारी न पड़ सकता है या इससे इस्तेमाल करने वालों को भी..., ऐसा मिडिया के माध्यम सुनने में आया है।

(प्रश्न:- क्या जांच एजेंसी को अपना इस्तेमाल करने देना चाहिए या फिर न्याय संगत कार्य करना चाहिए?)

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