कृतिम बारिश-----

🙏 दोस्तों,

                

According to News इस लेख में हम आपको "कृतिम बारिश" यानी नकली बारिश की जानकारी देंगे। इससे पहले आपको बता दें कि लेख के अंत में एक सवाल रहेगा जिसका जवाब हमारे Comment Box पर भेज सकते है......।

            साथियों हम जानते हैं बारिश होने पर उसके पानी से समस्त गंदगियां बह जाती हैं। सड़क, रास्ते, खाल यहां तक कि हवा में घुले दुषित भी बारिश के पानी के संग बह कर निकल जाते है। जिससे चारों ओर साफ़ हो जाता हैं। लेकिन यह सिर्फ बरसात के मौसम में ही संभव हो पाता है। फिर देश के किसी क्षेत्र में कम बारिश होती हैं तो वहां पूरी तरह सफाई नहीं हो पाती। दूसरी ओर अन्य मौसमी समय में भी ऐसा नहीं हो पाता।

अतः बारिश की बहुत आवश्यकता होती है।

इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए विदेशों में कृत्रिम बारिश की व्यवस्था है। वहां कृतिम बरसात कर क्षेत्रित वायु तथा निचले स्तर की सफाई पर ध्यान रखने की कोशिश की जाती हैं।

हमारे देश भारत मे ये व्यवस्था पहले नहीं थी। पर खबरों से जानकारी मिली है कानपुर IIT के वैज्ञानिक पिछले 5-7 सालों से कृत्रिम बारिश करवाने की कोशिश में जुटे हैं। और उसमें उन्हें सफलता भी मिली हैं। 

देश की राजधानी दिल्ली में संभवतः 18 से 20 दिसम्बर तक कृतिम बारिश शुरू करवाए जाने की परिकल्पना है। कारण देखा गया है अक्सर दीपावली के आसपास यहां की हवा दूषित हो जाती है। 

नकली बारिश, हवा में घुले दुषित पदार्थ को साफ करने की एक पहल है।

कृतिम बारिश कैसे हो सकता है....? 

आइए जान लेते हैं......।

इस बारे में हमारे देश (कानपुर) के वैज्ञानिकों से जानकारी मिली हैं- जिस क्षेत्र में बारिश करवानी हो उस क्षेत्र में 40% बादल जमा होने चाहिए। तभी  उस क्षेत्र में कृत्रिम बारिश करवाने की संभावना हो सकती है। इसकी संक्षिप्त जानकारी के लिए बता दें कि खास तकनीकी के माध्यम से कुछ केमिकल के डस्ट (पावडर) बादल के चारों ओर के वायुमंडल में छोड़ दिये जाते हैं।  जिससे बादल में मौजूद पानी के कण मजबूत (एक्टिव) हो जाते है और झमाझम बारिश शुरू हो सकती है। सुनने में शायद आसान लग रहा है परंतु यह एक जटिल प्रक्रिया है।

कानपुर IIT वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत से ऐसा कर पाना उनके लिए संभव हुआ।

दोस्तों, हर साल दिल्ली व उसके आसपास के इलाके शहरों में प्रदूषण बढ़ते है। इसका मुख्य कारण "पराली" बताया जाता है। इसके अलावा वाहन, भट्टी, तंदूरी को भी कुछ ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा हैं।

       इन दिनों दिल्ली तथा उससे सटे इलाकों में जहरीली हवा से लोग काफी प्रभावित हैं। इसके चलते वहां के लोगों को सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश, आंखों में जलन हो रही हैं। प्रदुषण के चलते बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर व्यक्तिओं को बहुत ज्यादा असुविधा हो रही हैं।

खबरों के अनुसार दिल्ली सरकार की ओर से इसके लिए काफी महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं सुनिश्चित करवाईं जा रही हैं.....* वाहनों को ओड/इवन प्रक्रिया में लाना, * कुछ समय के लिए स्कूलों को बंद रखवाना, * तंदूरी-भट्टियों को बंद करवाना, * पराली जलाने में रोक आदि। बावजूद उसके जहरीली हवा से दिल्ली तथा उसके निकटवर्ती स्थानों के लोगों को राहत नहीं मिल रही हैं। 

यही कारण है कि कृतिम बारिश की प्रक्रिया को आजमाने की कोशिश कर वहां फैले प्रदूषण के भयंकर रूप को काबू में लाने की कोशिश की जाएगी। बारिश का पानी हवा में घुले प्रदुषण को धोते हुए जमीन के नीचे ले जाएगा जिससे वायु मंडल प्रदुषण मुक्त हो जाने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन बात 40% बादल की है। 

वैज्ञानिकों के मुताबिक तभी कृतिम बारिश करवाना संभव है जब कृतिम बारिश वाले क्षेत्र में 40%बादल हो। अगर ऐसा है तो दिल्ली वासियों को जहरीले हवा (प्रदुषण) से राहत दिलाई जा सकती हैं।


( प्रश्न:- क्या पटाखे भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है?)

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