अनोखी योजना----

  🙏 दोस्तों,

                              

 According to News आज के आर्टिकल में हम आपको सरकार की एक ऐसी  योजना की जानकारी देंगे जिसके बारे में जानकर आप बाकई में दंग रह जाएंगे। योजना हाल (नई) ही की बतलाई जाती है और सही में ये अनोखा भी है। पर एक सूचना- इस आर्टिकल के अंत में हमारी ओर से एक सवाल आपके लिए.....जिसका जवाब हमारे Comment Box पर भेजना न भूलें ......।

"अनोखी योजना" की जानकारी के लिए इस लेख में  सभी उत्सुक व्यक्तियों का स्वागत हैं......।

अब तक आप लोगों ने अनेकों तरह के सरकारी योजनाओं के बारे में सुना होगा। आपने किसी-किसी योजना का लाभ भी उठाया होगा। या अभी भी उठा रहे होंगें। पर इस अनोखे योजना के बारे में शायद ही आप सबों को मालूम होगा। 

ऐसा भी हो सकता है किसी-किसी को मालूम हो परन्तु अधिकांश लोगों अभी तक इस योजना की जानकारी नहीं है। इसलिए इस योजना की जानकारी हम आपको इस लेख के जरिए दे रहे हैं....।

दोस्तों, योजनाएं राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार की ओर से आम जनता के लिए बनाए जाते हैं। जिनमें लाखों-करोड़ों रुपयों का निवेश किया जाता है। जो आम नागरिकों के हित के लिए किये जाते हैं। परंतु कई योजनाएं सफल होती हैं और कई योजनाएं सफल नहीं होते। ऐसा भी देखा गया है कई योजनाओं का लाभ सिर्फ कुछेक लोगों को ही मिल पाता है बाकी लोग दफ्तरों और स्थानीय राजनेताओं के भटकते रह जाते हैं उन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। सूत्रों से ऐसा भी पता चलता है कुछ क्षेत्र के लोग योजना के बारे में जानते तक नहीं है। योजना की खबर उन तक पहुंच ही नहीं पाता। इसे लोगों की नासमझी कह सकते हैं या सरकार की ओर से लापरवाही।

लेकिन सरकार की इस "अनोखी योजना" का लाभ देश के आम लोगों के लिए नहीं हैं बल्कि भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों के लिए हैं। उन्हें ही सरासर इसका लाभ मिल सकता हैं। कारण, यह "अनोखी योजना" सिर्फ देश की सीमा क्षेत्र से जुड़ा है।

दोस्तों, आप लोग मधुमक्खी के बारे में जानते ही होंगे? उसका नाम सुना ही होगा? उसके स्वभाव से वाकिफ भी होंगे? उससे मिले फायदों और हानियों की जानकारी भी आपको होगी.....? अगर नहीं, तो हम आपको मधुमक्खी के बारे में कुछ विशेष जानकारी देते हैं। यह जानकारी बहुत जरूरी हैं। क्योंकि ये जानकारी आपको इस अनोखी योजना को ठीक से समझने में  मदद करेगा.....।

साथियों, जैसा कि हम जानते हैं मधुमक्खी कीट वर्गीय सजीव प्राणी है। इसे पाला (pet) भी जाता है। ये हज़ारों-लाखों की संख्या में एक साथ झूंड में रहते हैं। जहां एक साथ रहते हैं उसे छत्ता कहा जाता हैं। मधुमक्खी का छत्ता....। छत्ता छोटा भी होता हैं और बड़ा भी, लेकिन एक साथ ये वहां झूड में रहते हैं। छत्ते में असंख्य कोटर (घर) बने होते हैं। जिनमें एक-एक मधुमक्खी रहते हैं। 

मधुमक्खी फूलों के प्रयाग से रस चूस कर छत्ते में एकत्रित कर शहद बनाते हैं। जो मिठे व पौष्टिक आहार के रूप में हमें प्राप्त होते हैं। इसके अलावा इसमें (छत्ते) से हमें मोम भी मिलता है।

मधुमक्खी हमें मिठा शहद देती है वहीं दूसरी ओर यही मधुमक्खी हमें जहर भी देती है। इसके डंक में जहर भरा रहता है। जब यह किसी मनुष्य को डंक मारती है तो उसके शरीर में जहर चला जाता है।

इसके डंक मारने से तेज दर्द, बुखार, जलन, सूजन, एलर्जी हो जाती हैं। डंक से मनुष्य को काफी तकलीफ होती हैं। 

सिर्फ एक मधुमक्खी के डंक मारने से ऐसी तकलीफ होती हैं। वहीं अगर हजारों की संख्या में मधुमक्खी एक साथ किसी व्यक्ति को आक्रमण कर डंक मारे तो तकलीफ कई गुणा बढ़ सकती हैं या उसकी जान भी जा सकती है। एक साथ उतने डंकों के जहर से इंसान की मौत भी हो जाती है। 

आपको बता दें कि मधुमक्खी अपने बचाव व आत्मरक्षा के लिए डंक मारती है। यही बात योजना से जुड़ी है.....।

हमारी जानकारी में हैं- पुलिस विभाग, पुलिसी जांच में खोज, बचाव तथा पुलिस को सहयोग करने के लिए खोजी कुत्ते (Dogs) पालते हैं। वहीं अब सीमा सुरक्षा के लिए मधुमक्खियों को  भी पाला जाएगा। 

        दोस्तों, भारत का नक्शा देखेंगे तो पाएंगे इसके कुछ सीमाक्षेत्र हैं। उन सीमाओं पर हमारे सुरक्षा बल (बीएसएफ) देश को बाहरी दुश्मनों से बचाने के लिए तैनात रहते हैं। ये देश व देशवासियों को सूरक्षा प्रदान करते हैं। फिर भी कई बार सीमाओं में आपराधिक घटनाएं घट जाती हैं। जैसे- मवेशियों की तस्करी, सोना-चांदी, नशीले पदार्थ, महिला तस्करी जैसे और भी अन्य गंभीर अपराध होने का खतरा बना रहता हैं। 

इन अपराधों को रोकने के लिए एक अनोखे तरीके को आज़माने की बात सामने आई है। यह तरीका भारत-बांग्लादेश सीमा के अंतर्गत प्रयोग किये जाने  की बात है।

खबरों के अनुसार सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि इस सीमा क्षेत्र  में मधुमक्खी के छत्ते लगाए जा रहें हैं। ताकि इस प्रकार के अपराधों को सुनिश्चित तरीके से रोका जा सके। इस तरह की यह पहली योजना है। बीएसएफ की 32वीं बटालियन द्वारा "अनोखी योजना" पहली बार शुरू की जा गई है।

जानकारी के अनुसार भारत-बांग्लादेश की सीमा करीब 4,096 कि.मी. लम्बी है। जिसमें 2,217 कि.मी. पं. बंगाल की सीमा है। इसी सीमा में सबसे  पहले और पहली बार इस तरह की योजना शुरू की गई है।

देश की सीमा बाड़, कांटेदार तार आदि से विभक्त किया रहता है। इन्हीं विभक्त सीमा घेरे को काटकर बदमाश व तस्करें अवैध कार्य को अंज़ाम देते हैं। इसलिए सीमा के बाड़ों में मधुमक्खियों के छत्ते लगाए जाएंगे।

सुरक्षा अधिकारी ने बताया- तस्करी की आशंका वाले

क्षेत्रों के सीमा बाड़ में लकड़ियों से ढांचे का प्रयोग कर  उनमें मधुमक्खियों के छत्ते लगाएं जाने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में अगर कोई बदमाश या तस्कर बाड़ को काटने की कोशिश करेगा तो बाड़ या कांटेदार तार हिलेगा। जिससे मधुमक्खियों का छत्ता भी हिलेगा और वे (मधुमक्खियां) अपने को असुरक्षित महसूस करेंगी। 

अपने बचाव तथा आत्मरक्षा के लिए मधुमक्खियों का झुंड जो की सैकड़ों और लाखों की संख्या में होगी, वो एक साथ मिलकर आक्रमण करेगी। जिसके फलस्वरूप बाड़ काटने वाले गंभीर रूप से घायल होंगे। बात जान पर भी बन सकती है। क्योंकि एक साथ अनेक संख्या के डंकों का ज़हर इंसान को खत्म भी कर सकता है।

साथियों, खबरों से जानकारी मिली है कि इस अनोखे योजना से सिर्फ सीमा पर हो रहे अपराधों और तस्करों को रोक कर देश की सीमा व देश को सुरक्षा ही नहीं दी जाएगी बल्कि सीमावर्ती इलाकों के लोगों को इस योजना के द्वारा रोजगार भी मुहैया कराया जाएगा। 

भारत-बांग्लादेश सीमा के स्थानीय लोगों को मधुमक्खी पालन के साथ जोड़ा जाएगा। ताकि सुनिश्चित सीमा सुरक्षा के साथ ही साथ वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सके। सुरक्षा बल के जवान स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस अनोखे योजना को आगे बढ़ाएंगे।

दोस्तों, भारत-बांग्लादेश सीमा पर अब सुरक्षा बल और मधुमक्खियां दोनों तैनात रहेंगे तथा अवैध कार्यों को रोकने में पूरी तरह से सफल होंगे.....।


(प्रश्न:- सीमा पर मधुमक्खियों के छात्त्ते लगाने से क्या-क्या फायदे होंगे?)

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