"प" for.......

 🙏दोस्तों,

                       

  मिडिया न्यूज के अनुसार इन दिनों देश में हिन्दी वर्णमाला के व्यंजन "प" का ट्रेंड चल रहा हैं। 

पिछले कई महीनों से हम "प" for "पप्पू" सुनते आए है। अब पिछले कुछ दिनों से "प" for "पनौती" सुन रहे हैं। हालांकि ये राजनैतिक भाषा की अभिव्यक्ति आवाजें बताई जाती है..... और अगर विज्ञान की बात करें, चूंकि जमाना विज्ञान का है तो हम कह सकते है- न्यूटन नियम (Low) के अनुसार प्रत्येक क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। यहां शब्दों की प्रतिक्रिया हमारे सामने हैं।

हिन्दी भाषा जानने वाले अति साधारण से साधारण लोगों का मानना हैं- इन दो शब्दों का अर्थ दो विपरीत दिशा की ओर इशारा करता हैं- पप्पू और पनौती। एक प्यारा और दूसरा बुरा....। लेकिन कुछ सालों से "पप्पू शब्द और उसके अर्थ को ऐसी संज्ञा दी गई कि हम अच्छे और बुरे फ़र्क में उलझ कर रह गए। भूल बैठे पप्पू का अर्थ प्यारा, दुलारा होता है। अब शायद कोई परिवार अपने लाड़ले का नाम "पप्पू" रखने से पहले दो बार सोचेगा। 

वहीं दूसरे शब्द पनौती को मजाक के तौर पर अपने बिगड़ते कार्य के जिम्मेदार व्यक्ति के लिए इस्तेमाल करेगा।

दरअसल, राजनीति स्तरिय भाषा पिछले कुछ सालों से इतनी बिगड़ गई है या कह सकते है बिगाड़ दिये गये हैं कि जहरीली हवा की तरह इसका प्रभाव आमलोगों तक फैल गया हैं। 

राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जहां विपरीत पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं, कटाक्ष करते हैं लेकिन अब भाषाएं अमर्यादित हो गई है। बोलने की सीमा लांघ ली गई हैं। 

पहले राजनीतिक बातों में बजन होता था, बोलने कला होती थी। उसी में समझने वाले समझ जाते थे किसे या किसके लिए क्या कहा जा रहा है। सुनने में बुरा नहीं लगता पर अर्थ में विपक्ष को मात देने की शक्ति औरहोती थी। आज यानी कुछ सालों से ऐसा नहीं रहा।

खबरों के अनुसार अब व्यक्तिगत प्रहार के साथ परिवार, खून, बहन-बेटी-बहू, धर्म , जाति पर भी शब्दों के अलग-अलग अर्थों के साथ खुलेआम देश की जनता के सामने बार-बार अपशब्द कहे जाने लगे पर हैं। जिससे लगता है इन दिनों राजनीति में संभ्रांत परिवार या व्यक्ति के प्रति कोई सम्मानित शब्दों की जगह ही नहीं बची।

           जमाना सोशल मीडिया का है अतः इसका प्रभाव आमलोगों तक पहुंच रहा हैं। यही वजह है कि आज देश में अशुभ अर्थात "पनौती" शब्द का ट्रेंड चलने लगा। हमें होश ही नहीं है कि यह प्रहार (शब्द) किसके लिए है? हम किसकी ओर इशारा कर रहे है? उच्च पद के एक सम्मानित व्यक्ति को सम्मान न देना देश में अराजकता फैलने जैसा लग रहा है।

दरअसल देशभर में "पनौती" शब्द का अचानक से आविर्भाव खिड़की प्रेमियों की व्यथा की आवाज है। मिडिया खबरों के अनुसार 2023 का विश्व कप मैच भारत जीतते जीतते रह गया। उसे हार का सामना करना पड़ा। इसी का खौफ है....।

खेल प्रेमियों का कहना है फाइनल मैच के पहले जब सारे मैच हमारे देश के जांबाज खिड़कियों ने जीते तो फाइनल भी जीत जाते। ऐसा भरोसा उनकी ओर से जताया जा रहा है। 

उनका कहना है हमारे खिलाड़ियों को उनके परिचित पिचों पर न खिलवा कर उन्हें अपरिचित पिच पर खिलवाया गया। जब विश्व कप जैसे फाइनल मैच की बात थी तब अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ की चिंता न कर देश तथा खिलाड़ी प्रेमियों के बारे में सोचकर निर्णय लेना उचित था। ताकि वे अपने चिर-परिचित पिच पर खेल तीसरी बार देश को विश्व कप दिलाते। परंतु ऐसा नहीं हो पाया। अतः गुस्से, दुःख और खौफ में आकर खिलाड़ी प्रेमियों ने अपने अभिवावक को आड़े हाथों ले लिया। और प for पनौती नामक शब्द का संज्ञान दे डाला।

          दोस्तों, ऐसे किसी को जिम्मेदार ठहराना और अपशब्द का प्रयोग करना अत्यंत ग़लत है पर घुमफिर कर बात वही आती है। बच्चे बड़ों से सीखते हैं तथा विज्ञान का न्यूटन नियम....।

देश के एक वर्ग ने "पप्पू" जैसे प्यारे शब्द को विकृत रूप दे दिया था। वहीं अब देश के एक अन्य वर्ग ने "पनौती" शब्द का अचानक से इस्तेमाल कर दिया।                                               पप्पू और पनौती शब्दों का प्रयोग दो अलग-अलग व्यक्तियों को निचा दिखाने, अपमान करने के लिए किया गया। मगर सोचने वाली बात है ये दो व्यक्ति दो अलग-अलग पदों में है। दोनों शब्दों में एक शब्द अर्थात "पनौती" शब्द देश के विशेष पद की गरीमा को नष्ट करता है।जो अत्यंत दुखदाई व अपमानजनक है। 

देशभर में इन शब्दों के व्याख्यान का बड़ा शोर है। वैसे प for पप्पू का असर कम हो गया है पर प for पनौती ने अब उसकी जगह ले ली है। ऐसे में हिन्दी के कुछ जानकार समझाते हुए कह रहे हैं- इन शब्दों के अर्थ गलत नहीं है। बल्कि पवित्र भी माना जाता है।

        पप्पू शब्द के बारे में हम सभी जानते हैं। उसके अर्थ के बारे में भी हमें जानकारी है। बस बोलने और उसे परिभाषित करने का अंदाज अपमानजनक था। इसलिए इस शब्द पर किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया जानकारों की ओर से फिलहाल नहीं है। प्रतिक्रिया है तो पनौती शब्द पर है। कारण वाकई इसका सीधा अर्थ बुरा या अशुभ ही है। इसे किसी भी तरह से बोलने या परिभाषित करने की जरूरत नहीं है। यह अपने आप में ही बुरा और अशुभ है। इसलिए जानकारों ने कड़ी मेहनत कर इस शब्द को एक अच्छा रुप देने की कोशिश की है।

              

जानकारों का देश के विशेष वर्ग से कहना है- पनौती का अर्थ बुरा या अशुभ ही नहीं है वरन् पवित्र भी है। इस नाम का भारत के यूपी में एक गांव है, ऐसा बतलाया जाता है। जहां लोग रहते हैं। दूसरी ओर नेपाल के काठमांडू क्षेत्र में पनौती नामक एक शहर है और उस शहर में महादेव जी का एक विख्यात व पवित्र मंदिर है। जिसका नाम पनौती मंदिर है। 

सूत्रों के अनुसार बताया गया है भारत के कुंभ मेले की तरह उस मंदिर क्षेत्र में भी एक महीने के लिए मेला लगता है। जिसकी काफी मान्यता है। वहां के लोगों के लिए वो अत्यंत पवित्र मंदिर है। अतः पनौती शब्द का रिश्ता पवित्र से भी है। इसलिए किसी वर्ग या व्यक्ति को अपमानित होने की जरूरत नहीं है।

दोस्तों, अगर हम अच्छे चीज़ को अपनाएंगे  , अच्छा सोचेंगे तो सब अच्छा ही अच्छा है....। फिर भी हमें अपना मुंह खोलने से पहले सोच लेना चाहिए। कहीं मुंह से निकला शब्द किसी को आहत तो नहीं कर रहा?

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