विक्ट्री मशीन-'EVM'.......

🙏 दोस्तों,

             

 खबरों के अनुसार देश में कांग्रेस पार्टी के जमाने में EVM वोटर मशीन लाईं गई थी।       एक जमाना था तब करीब सभी बड़े देशों में चुनाव के लिए इसी वोट मशीन का Use होता था। अतः हमारे देश में भी EVM मशीन से वोट प्रचलन शुरू हुआ।

          सूत्रों की जानकारी से पता चलता है विदेशों में अब इस मशीन का Use नहीं होता। टेक्नोलॉजी वाले करीब 80 देशों में EVM मशीन द्वारा वोट डालना बंद हो गया है। कारण, इस मशीन में एक तरह की चीप लगी होती है। जिसका भलीभांति मैनेज किया जा सकता है। ऐसे कार्य सत्ता पक्ष द्वारा करने की संभावना अधिक जताई जाती है। इसी कारण इस मशीन का Use जापान, अमेरिका जैसे बड़े देशों सह अनेक देशों में बंद हो गया हैं। लेकिन भारत में यह अभी भी चालू है।

देश के जिस मौजूदा पार्टी के वक्त यह मशीन हमारे देश में लाई गई थी उनके उद्देश्य से उस समय विशेष विरोधी पार्टी का कहना था- यह विक्ट्री मशीन है। तब EVM मशीन को "विक्ट्री मशीन" के  नाम से तंज कसा जाता था। क्योंकि वे सत्ता पक्ष में नहीं थे।

2023 के हल ही में हुए विधानसभा चुनाव के पांच राज्यों के परिणाम ने EVM पर फिर से सवाल पैदा कर दिया। वैसे पहले भी इस मशीन को लेकर समय-समय देश में साधारण लोगों व राजनीतिक दलों में कई अटकलें पैदा होती रही हैं। 

लेकिन इस बार (2023) के पांच राज्यों के चुनावी परिणाम देश को कुछ नागवार लग रहा है। प्रमुख दो पार्टियों के बीच के "वोट के अंतर" को देश का एक वर्ग मानने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि देश में EVM मशीन को बंद करने तथा फिर से हालिया चुनाव की चैकिंग करने की तीव्र मांग की जा रही हैं। जो वर्ग ऐसी मांग कर रहे हैं उनका यह भी कहना है- वोट संख्या में काफी अंतर है अतः अन्य तीन राज्यों में दोबारा चुनाव करवाया जाए।

             सूत्रों के अनुसार EVM पर भरोसा नहीं किया जा रहा है। यह एक मशीन है। इसमें गड़बड़ी हो सकती है या करवाईं जा सकती हैं। उदाहरण के तौर पर एटीएम मशीन, मोबाइल हैक, तकनीकी गड़बड़ी आदि बातें सामने रखी जा रही हैं। वे चाहते हैं बैलेट पेपर के माध्यम चुनाव करवाया जाए। एक तरफा रिजल्ट उस वर्ग को चकित कर रहा है। 

देश में अगर लोकतंत्र बचाना है तो विक्ट्री मशीन- EVM को हटाना होगा। इस मशीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सूत्रों की जानकारी से ऐसा सामने आया हैं।

सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है इस विधानसभा चुनाव में देश की मुख्य पार्टी 

कांग्रेस को-  4करोड़, 902और भाजपा को- 4करोड़, 812 के लगभग वोट मिले हैं।फिर चुनाव परिणाम ऐसा क्यों....?

EVM पर सवाल उठाते हुए कहा जा रहा है, इस मशीन पर भरोसा नहीं है। इसे हैंक किया जा सकता हैं।

इसके अलावा सोशल मीडिया से जानकारी मिली है कि देश के कुछ जिम्मेदार पत्रकार, सुप्रीम कोर्ट के वकील व आजाद भारत का एक वर्ग जो समझदार तथा अधिकार के पात्र हैं, इस विधानसभा चुनाव के परिणाम (अंतर) से काफी नाराज़ हैं। 

एक्जेक्ट पोल साधारण तौर पर एक लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। पर वो इस परिणाम के आगे फेल है। उनके हिसाब से चुनावी आकड़े जादू की तरह हो गया।

खबरों के अनुसार चुनाव से पहले कुछ ऐसे पत्रकार हैं जो शहर, गांव, कस्बे, बाजार, गलियों, मंडियों में सर्वे करने जाते हैं ताकि लोगों से बातें कर चुनावी रिपोर्ट का अंदाजा लगा सके। 

ऐसे ही एक सर्वे में बताया गया है कि, लोगों का कहना हैं- इलाज, नौकरी, गैस, लाड़ली आदि योजनाओं का लाभ चंद लोगों को मिला बाकी सब बंद.....। यानी लोग नाराज़ हैं। 

इसके अलावा देश के बड़े-बड़े "पाकेट मामलों" पर भी जनता का एक वर्ग नाराज व सतर्क नजर आया। उदाहरण के तौर पर लोगों का सीधा या सोशल प्लेटफार्म में कमेंट के जरिए कहना है- हाथरस कांड, किसानों को अचानक गाड़ी के नीचे कुचलना, महाराष्ट्र में लूटपाट कर वहां की सरकार बदलना, पेशाब कांड, देश के विभिन्न हिस्सों में जाति-धर्म के नाम जान-माल का नुक़सान मामला, मणिपुर मामला, गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल, भाषा अमर्यादा आदि का ध्यान लोगों में बखूबी हैं। अतः इन सभी बातों से उनके पसंद-नापसंद का पता चल जाता हैं।

           रिपोर्टिंग करने वालों के अनुसार जनता की बातें और विधानसभा चुनाव का रिजल्ट बिल्कुल विपरीत है। और यह तीन, तीन राज्यों की बात है। उनका कहना है हमें नहीं लगता इतना ज्यादा अंतर वो भी विपरीत दिशा की ओर.....?

EVM पर भरोसा न करने वालों से विजयी वर्ग के कुछेक का कहना है तीन राज्यों की ही बातें क्यों हो रही हैं? चौथे अर्थात दक्षिण भारत राज्य की क्यों नहीं....? उस पर सवाल क्यों नहीं उठ रहे हैं....? EVM मशीन को मैनेज करना होता तो वहां पर भी किया जा सकता था। दरअसल EVM बहाना है। यह सब हार की खूंदन निकाली जा रही हैं।

मिडिया न्यूज से मिली इस तरह की जानकारी पर कुछ रिपोर्टिंग करने वालों का कहना हैं- पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में 'रणनीति का खेल" खेला गया है। अधिकांश जीतों-कम से कम हारों। वरना ..... वरना खेल बिगड़ सकता हैं।

खैर, दोस्तों वर्तमान में हाल के चुनावी रिपोर्ट का देश भर में हो-हल्ला मचा हुआ है। इसमें विपक्ष पार्टियां, चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट आदि कुछ करना चाहें तो कर सकते हैं। बाकी वायकॉट भी एक विकल्प हो सकता हैं अगर लगता है EVM मशीन विश्वशनीय नहीं है तो .......। 

वैसे यह भी सही है कि विदेशों में यह मशीन बंद करवा दी गई हैं । यानी इसमें कोई बात तो जरूर है? अतः हमारे यहां भी इसे बंद करवा देना चाहिए। ताकि लोकतंत्र जीवित रहे।

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