चलते हैं 2023 की ओर.......

 🙏 दोस्तों,

                   हैप्पी न्यू ईयर..... सभी को नये साल की शुभकामनाएं देते हुए हम, कुछ समय के लिए इस लेख के जरिए आप सबों को 2023 की ओर ले जाना चाहते हैं। कारण कुछ स्मरण करवाना चाहेंगे। 

          पिछले साल की कुछ बुरी घटनाएं आगे यानि 2024 में पुनः न घटे यही हमें देखना है। हमारे आसपास की घटनाओं पर भी टीम के साथ ध्यान देना है। नये साल में सकारात्मक सोच व संकल्प के साथ आगे बढ़ना हैं। 

          बीते साल हमारे देश में कई बुरी तथा बड़ी घटनाएं घटी हैं लेकिन यहां हम चर्चा करेंगे 2023 में महिलाओं के साथ घटी कुछ दयनीय अवस्थाओं की..... दोस्तों, गौर करने वाली बात है, हमारा देश जब चन्द्र यान की उड़ान भर रहा है वहीं इस देश में महिलाओं के प्रति जघन्य अपराधों के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। हमारी सोच गर्त में समाती चली जा रही हैं।

खबरों के मुताबिक देश में पिछले 8- 10 सालों में महिलाओं के प्रति अनुमानिक 75% अपराधिक मामले बढ़े हैं।

पहले महिलाएं कम पढ़ी-लिखी होती थी लेकिन आज हर घर में, शहर-गांव में महिलाएं-लड़कियां पढ़ी लिखी हैं। घर-बाहर के कामों से जुड़ी हुई हैं।  करीब हर क्षेत्र में महिलाएं हैं। बावजूद इसके उन पर शारीरिक या मानसिक तौर पर अत्याचार हो रहे हैं। जो आप या हमारे घर, समाज से हैं।

यहां अत्याचार करने वालों और सहने वालों दोनों की बात की जा रही हैं... जो आपके या हमारे घर से संबंध रखते हैं।

2023 की अनगिनत सामान्य वर्ग की बच्चियों, लड़कियों तथा महिलाओं से जुड़े आपराधिक व जघन्य मामले हैं। पर आज के लेख में चर्चा करेंगे उन खास महिलाओं की जो सह रही अत्याचार की सीमाएं लांघ चुकी हैं...।

पढ़ीलिखी, होनहार, देश, समाज व परिवार का नाम उज्जवल करने वाली कुछ महिलाएं आज की तारीख में भी दयनीय अवस्था में दिख रही हैं। मिडिया रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 2023 तक नजर आई। आगे ऐसा न हो किस भी महिला के साथ....इस बात का ध्यान रखना, परिवार  से ही शुरू करना होगा। प्रशासन या कानूनी तौर पर भी लोगों को कदम उठाने की जरूरत हैं...। 

** आईए, चर्चा करते है भारतीय महिला खिलाडियों (कुश्ती) के दूर्दशाओं की... खबरों के अनुसार पिछले आठ-दस सालों से देश और विदेश में विभिन्न जगहों पर विभिन्न तरह से महिला पहलवानों का यौन शोषण किया जा रहा हैं। उसी के प्रतिवाद में पिछले साल (2023) के शुरू में भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के खिलाफ खिलाड़ियों ने सड़क पर प्रदर्शन किया। क्योंकि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप है। 

हमारे लिए कितनी शर्म की बात है कि देश की ओलंपिक पदक विजेता और उनके पदक आज की तारीख में सड़क पर हैं। 

**आईए दूसरी घटना का जिक्र करते हुए आगे बढ़ते है। 2023 के रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा जगत से जुड़ी महिलाओं को जाति-धर्म के हथियार का वार सहना पड़ रहा हैं। दलित जात के आधार पर प्रताड़ना करना जैसे सामान्य बात हो गया हैं।

एक शिक्षित शिक्षिका को उनके जाति के कारण जलिल कर फिर नौकरी छिन लेने जैसे अपराध किए जा रहे हैं।

असल में मिडिया रिपोर्ट से पता चला है दलित पढ़ीलिखी व वोल्ड एक मात्र महिला शिक्षिका को कांटेक्टवेश नौकरी से निकाल दिया गया है। जबकि दूसरे सभी शिक्षक/शिक्षिकाओं को बहाल रखा गया।

          आप कह सकते है, कांटेक्टवेश नौकरी में ऐसा ही होता है। रखा भी जा सकता है ओर निकाल दिया भी जाता है। लेकिन यहां उन शिक्षिका का कहना कुछ और है.....वो तीन बातों को सामने रखते हुए कालेज प्रांगण में इसके खिलाफ पिछले 100 दिनों से ज्यादा समय से धरने पर बैठी हुई है। उनके समर्थन में कुछ जागरूक दलित लोग भी शामिल हैं। 

वो कहती है- √क्लास लेते वक्त समय-समय पर अपने स्टूडेंटस से जातिप्रथा व भेदभाव पर खुलकर चर्चा करतीं हैं। जातिगत मुद्दे की बात करतीं हैं। उनके अधिकारों की चर्चा करतीं हैं और इस में बच्चे भी रुचि लेते हैं। लेकिन जो उच्च स्तरीय सदस्य हैं उन्हें यह मंजूर नहीं है। ✓दूसरी बात दलित या छोटी जाति से आए शिक्षक शिक्षिकाओं और विद्यार्थियों को जलिल कर मानसिक यातनाएं देते हुए उन्हें अपमानित करना। ✓इसके अलावा तीसरी वज़ह सिर्फ एक को नौकरी से निकालना किसी बदले की भावना से मामला ग्रसित है।

ये भी शिक्षित महिला आज अपनी जाति और हक के प्रतिवाद में खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन कर रहीं है।

साथियों, अक्सर इस प्रकार की अनगिनत अपराध से हमारे देश की महिलाएं जुझ रहीं हैं। इन्हें न्याय दिलाने वालों की बहुत कमी हैं। 

आज महिलाएं डाक्टर, शिक्षिका, सिपाही जैसे अन्य विभिन्न क्षेत्रों के साथ "जज" भी है। 

** बात करते हैं न्याय दिलाने वाली "जिला जज" महिला की... आज यह परिस्थिति है कि वो दूसरों को न्याय दिलाने के बदले खुद न्याय के लिए दर-बदर भटक रहीं हैं। 

देश की वर्तमान परिस्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि UP की एक "महिला जिला जज" (सिविल) थक हार कर अपनी 'इच्छा मृत्यु" की गुहार लगा रही है। न्याय दिलाने वाली महिला खुद 'अन्याय' की शिकार हों गई है। 

दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल होने से पता चला है- दूसरों को न्याय दिलाने वाली जिला महिला शारीरिक तथा मानसिक उत्पीड़न की शिकार हुई है। उन्हें अपने ही कार्य क्षेत्र के लोग (कुछ) रात को मिलने बुलाते हैं। अपनी जिंदगी से परेशान व बेवश होकर 'मुख्य न्यायाधीश" से इच्छा मृत्यु की प्रार्थना कर रही है। 

उत्पीड़न की शिकार जिला जज महिला की कहीं पर भी किसी तरह से सुनवाई नहीं हो रही थी अतः में हार कर उन्होंने अपने जीवन को ही खत्म करने की ठानी और मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई कि- सर, मुझे अपने "इच्छा मृत्यु" की अनुमति दी जाए। मैं मर जाना चाहतीं हूं। 

देश की ऐसी हालत गंभीर चिंता जनक है। देश का कानून और समाज महिलाओं के प्रति इतना उदासीन हो गया है कि आम तो आम, खास महिलाओं को भी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। उत्पीड़न की शिकार हों रही हैं।

इस लेख के जरिए सबों को दस्तक दिया जाता हैं नये साल 2024 में 2023 की पुनरावृत्ति महिलाओं के साथ नहीं होने दे। आग्रह  किया जाता है 2023 में घटित जघन्य घटनाएं पुनः इस साल घटने न दिया जाए...सिर्फ साल ही नहीं....पंचांग, तिथि, कैलेंडर ही नहीं..... बल्कि बदलें उसके साथ अपने विचार, नजरिया और सोच..... इन्हें बदलने की भी जरूरत हैं। 

दोस्तों, इन्हीं संकल्पों के साथ आईए चलते हैं 2024 की ओर.......।

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