दंड.....

 🙏 दोस्तों,

                      खबरों के अनुसार भारत सरकार की ओर से नये साल 2024 का पहला  बदलाव वाला नया कानून लागू दिया गया है। नाम है- हीट एंड रन। इसमें कानूनी तौर पर वाहन चालकों को दंड देने का प्रावधान रखा गया हैं।

अब तक यानी पिछले कुछ दिनों में हम सभी जान गए हैं "हीट एंड रन" कानून क्या है...? इसे पारित करने की वजह क्या है...? इसके तहत दंड क्या है...?पर इसके बारे में और भी कुछ जानना बाकी है। जो आगे इस लेख के जरिए जानकारी लेने की कोशिश करेंगे ....।

पहले अर्थात पुराने कानून के तहत के दंड और नये कानून के दंड में बहुत ही बदलाव किए गए हैं।

साल के शुरुआत में ही दो पहियों से चार या उससे भी अधिक पहियों वाले चालकों को कठोर दंड देने का ऐलान कर दिया गया है। इसके तहत पुलिस ड्राइवर, निजी चालक, ओला, उबर, एंबुलेंस आदि इस तरह के समस्त चालक शामिल हैं।

कहा जा रहा है लोकसभा व राज्यसभा में संविधानिक रुप से वाकायदा राष्ट्रपति महोदया के हस्ताक्षर के साथ इस नये कानून को पारित किया गया है। 

सुनने में आया है, जिनके लिए "हिट एंड रन" नामक नया कानून बनाया गया है, उस विषय पर पहले अर्थात कानून बनाने व उसे पारित करने से पहले उस क्षेत्र के किसी से बातचीत नहीं की गई और न ही देश के अन्य पार्टियों से सलाह मशवरा किया गया।

जानकारी मिली है गैर तरीके से बनाया गया यह कानून- वाहन चालकों के लिए परेशान करने वाला हैं। इसलिए देश भर में चक्का जाम हो गया है। जगह-जगह वाहनों की हड़ताल हो रखी है। बताया जा रहा है करीब 30 लाख ट्रकें थम गई हैं। दिल्ली, हरियाणा, इंदौर, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि जगहों पर ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल कर चक्का जाम कर दिया हैं।

     जैसा कि हम जानते हैं इस "हिट एंड रन" कानून के तहत वाहन चलाते वक्त चालक यदि लापरवाही से अपने गाड़ी को चलाए और उस दौरान किसी तरह से दुर्घटना हो, जिसमें किसी की मृत्यु हो जाती है और ऐसे में वो चालक भाग जाता हैं। पुलिस को खबर नहीं करता या दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल नहीं पहुंचाता तो उसे जेल तथा जुर्माना से दंडित किया जाएगा। 10 साल की जेल और 5 से 7 लाख रुपए जुर्माना के तौर पर भरना होगा।

इस तरह का बदलाव अमानिय है अतः इसका विरोध देश भर में हो रहा हैं .....।

इसी के खिलाफ चक्का जाम और आंदोलन किया गया। साल के शुरू में ही पिछले दो-चार दिनों से ऐसा देखा जा रहा है। लेकिन अब अचानक खबर मिल रही है दो-चार दिनों मे ही सरकार के रवैए बदल गये हैं। 

              मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक ट्रक ड्राइवरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है। भारत सरकार ने उनकी बातें मान ली है। फिर से ट्रांसफर क्षेत्र में सारी बातें सामान्य हो गई है।

दोस्तों, नये कानून के बदलाव से चालकों को, खास कर ट्रक ड्राइवरों को जो परेशानी होती उसके खिलाफ उन्होंने चक्का जाम किया था पर दो-चार दिनों मे ही सरकार उनकी मान गई। अतः वे सभी खुश हैं..... लेकिन इसका कारण क्या है?

अब इस कानून को बनाने और कानून पर सुलह हो जाने तक के मामले में देश के कई साधारण लोग, इन विषयों पर जानकारी रखने वाले, राजनीतिज्ञों आदि की ओर से कुछ बातें सामने आई हैं... वर्तमान भारत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जो कहा जा रहा हैं वो इस प्रकार है....

1) पहली और खास बात चालकों को यह (सुलह) समझ कर खुश होने की जरूरत नहीं है कि चार थप्पड़ की जगह हमें सिर्फ दो थप्पड़ लगें हैं।

2) सारी प्रक्रिया कर कानून बनाने से पहले संबंधित बारिकियों, व्यवहारिक पहलूओं को देखना जरूरी होता हैं।

3) कानून पारित किया गया फिर उसे रोक दिया गया। यह किसी देश के सरकार का मज़ाक़ बनना दर्शाता है।

4) हादसों पर रोक लगाने की प्रारंभिक विषयों को पहले खत्म करना होगा। जैसे- सही प्रशिक्षण, खराब रास्ते व सड़क, सड़कों की बिजली, ड्राइविंग लाइसेंस,  हर जगह सही ट्राफिक व्यवस्था, मवेशियों का उत्पात, नशा आदि।

5) 2024 के चुनाव से पहले कानून बनाकर सुलह... चुनाव बाद वापस लागू... । 

6) सरकार ने इतने कम समय में हमारी मान ली अतः खुश हो उनके हो गये फिर दोबारा सड़क पर.....। यह सिर्फ जाल में फसने वाली बात है।

7) इस तरह बिना सोचे-समझ कानून बदलने की प्रक्रिया का अर्थ पैसे इकट्ठे करना कहा जा रहा है।

8) आए दिन नये कानून पारित किये जा रहें हैं और उसके खिलाफ देशभर में आंदोलन, बंद होते दिखाई देते हैं। इससे व्यापार, शिक्षा, यात्रा जैसे अहम क्षेत्र प्रभावित होते हैं। 

9) नागरिक कानून, तीन कृषि कानून और भी अनेक कानून बनाएं गए हैं। जिसके विरोध में जान-माल दोनों का नुक़सान हुआ। बिना सोचे समझे कानून बना लिया जाता है फिर संशोधन चलता रहता है।

10) इतिहास बनाने की आढ़ में बदलाव चल रहें हैं।

           दोस्तों, हमारी सरकार का देश और देश की जनता के प्रति हित कार्य हेतु नए-नए योगदान की आवश्यकता है परन्तु जिनके लिए किया जाता हैं जब वे ही परेशान हो तो उस योगदान का क्या मतलब, उस बदलाव का क्या...? इसलिए करने से पहले सोचें बाद में सोचने से पोजीशन खराब होती हैं। हालांकि, राजनीति में शायद इन बातों का कोई महत्व नहीं .....।

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