सम्मानीय.....

🙏 दोस्तों,

                     सम्मान एक प्रकार का आवेश है, जो किसी भी व्यक्ति या व्यक्ति समूह द्वारा किए गए विशिष्ट कार्यों के मूल्य और योग्यता के दौरान अनायास ही प्रकट होता है। ऐसे व्यक्ति या व्यक्ति समूह हमारे लिए सम्मानीय, आदरणीय होते हैं। उनके आगे नतमस्तक होते हैं।

इस लेख में हम सम्मानिय महिलाओं से रुबरु होंगे।

वे कौन हैं? उनके विशिष्ट कार्य क्या है? वे सम्मानिय क्यों हैं? आगे सभी जानकारियां लेने की कोशिश करेंगे...।

दरअसल उन्होंने अमानवीय, जघन्य अपराधों अर्थात अपराधी और उन्हें शेय (साथ) देने वालों के खिलाफ सही फैसला सुनाया है। इस फैसले से देश का हर एक इंसान कानून के प्रति और ज्यादा आस्वस्त होने लगा। तथा सही न्याय के लिए उन दो विशिष्ट महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने लगे।

दोस्तों,आधुनिक काल में व्यक्ति के एक दूसरे के प्रति आदर-सम्मान में काफी गिरावट आई है। आदरणीय शब्द ही रह गया है बाकी अर्थ लुप्त सा हो गया है। खास तौर पर महिलाओं के प्रति...। 

हम जितने शिक्षित होते जा रहें हैं उतना ही हमारा पतन होता जा रहा हैं। प्रकाश की ओर न जाकर अंधेरे की ओर बढ़ रहे हैं।

हमारे देश का मौजूदा हालात ऐसा हो गया है, करीब हर जगह बेटियों के आंखों में आंसू नजर आ रहे हैं। वे अपने आंसुओं को ले सड़कों पर नजर आ रही हैं।

पहले बात घर तक सीमित हुआ करते थे पर अब सरेआम दिख रहे हैं। बात घर से रास्ते पर पहूंच गई है। 

बेटियां, बेटियां ही होती है फिर भी कई क्षेत्र की सफल, पढ़ी-लिखी बेटियां आंसू बहाने को मजबूर हैं। जमाना और वर्तमान हालात ही कुछ ऐसे हो गये हैं जहां नारी सम्मान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। देश या समाज में महिलाओं का सम्मान खत्म होता दिखाई दे रहा है।

किसी भी मुद्दे को दबाना, खत्म करना अथवा हासिल करना हो तो महिलाओं को हथियार बनाया जा रहा हैं।

मिडिया रिपोर्ट के अनुसार इन दिनों हमारे सामने कई ऐसी घटनाएं हैं जहां लडकियों को विभिन्न रूपों से टार्गेट किया जा रहा हैं। उदाहरण के तौर पर हम कह सकते हैं- बिल्किस बानू केश, हाथरस कांड, मणिपुर घिनौनी घटना, सांसद केश, पहलवानों, UP की महिला वकील, दिल्ली की शिक्षिका (दलित), BHU  कांड, विश्वविद्यालय की 500 छात्राएं इस तरह की खास-खास घटनाएं मौजूदा समय में हमारे सामने हैं। हर एक घटना शर्मनाक... घिनौनी है... बर्दाश्त योग्य नहीं, रुह कांपने वाली घटनाएं हैं।

इन्हीं घटनाओं के बीच बिल्किस बानो वाली अमानवीय कृत्य केश में हमने सम्मानीय महिला जज और महिला वकील को पास पाया।

21 साल की एक गर्भवती महिला के सामने उसके ही परिवार के करीब सात-आठ लोगों की हत्या कर दी गई। उनमें उस महिला की तीन साल की एक बेटी बताई जाती है। दरिंदों, हत्यारों का इससे भी दिल नहीं भरा तो उन्होंने पांच माह की उस 21 वर्षिया गर्भवती महिला के साथ रेप किया।

सूत्रों की जानकारी के अनुसार उस 3 साल की मासूम बच्ची की हत्या मां के सामने दीवार पर पटक-पटक कर की गई थी। इस पूरे अमानवीय कृत्य में 11 लोगों को सजा हुई थी। 

खबरों के अनुसार उम्र कैद की सजा थी पर कुछ सालों बाद उन्हें छोड़ दिया गया। यही नहीं सजा कालीन बार-बार, पैरोल पर रिहा किए जा रहे थे।

           मजेकी बाद है ऐसा करते-करते पिछले साल भव्य स्वागत के साथ सबों को रिहा कर दिया गया था। 

इसी फैसले के खिलाफ महिला जज बी.वी. नागरत्ना और देश की जानी-मानी सिनियर महिला वकील वृंदा ग्रोवर ने उचित कदम उठाते हुए सही फैसला लिया। इस फैसले से देश के तमाम लोग, उनके रिश्तेदार तथा वो पीड़ित महिला खुश हैं। 

सम्मानीय महिला जज साहिबा और सम्मानीय महिला वकील साहिबा ने बिलकिस बानो के आंसुओं को पोंछते हुए अपराधियों को पुनः गिरफ्तारी का आदेश दिया ....।

आईए इनके बारे में कुछ जानकारी लेते हैं-

बी.वी. नागरत्ना-: 

                वर्तमान में ये सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस है। इन्होंने दिल्ली से कानून (LLB) की पूरी पढ़ाई की...

इसके बाद 1987 में एक वकील के रूप में बैंगलुरू से अपना कार्य शुरू किया। 2008 में कर्नाटक हाईकोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर कार्यभार संभाला और 2010 को उन्हें वहीं स्थाई न्यायाधीश बनाया गया। यहां करीब 13 साल इस पद पर रहने के पश्चात 2021 में माननीय बी वी नागारत्ना जी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बनीं।

इनके चौंकाने वाले कुछ खास फैसलों में इनके वक्तव्य इस प्रकार से हैं-

1) इनका कहना था, संसद को नोटबंदी का फैसला लेने से पहले कानून से चर्चा करनी चाहिए थी। यह फैसला ग़ैर कानूनी था...

2) इनका वक्तव्य है, माता-पिता नाजायज़ हो सकते हैं परन्तु उनके द्वारा पैदा हुए बच्चे नाजायज़ नहीं हो सकतें। कानून की ये मान्यता देनी चाहिए...

3) 2012 में इन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नियंत्रिण करने के लिए कहा था...

4) कर्नाटक के मंदिरों के उद्देश्य में कहा था, मंदिर कोई व्यापारीक संस्थान नहीं हैं। अतः यहां काम करने वालों को ग्रेच्युटी (निर्धारित रकम) नहीं मिल सकता...

5) बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए इन्होंने अपराधियों को 15 दिनों के भीतर सेलैंडर करने का आदेश दिया।

अब वकील साहिबा की संक्षिप्त जानकारी लेते हैं.....

वृंदा ग्रोवर-: 

         ये भारत की एक सिनियर वकील है। महिला व मानवाधिकार की जानकार है। पूरे देशभर के कानूनी क्षेत्र के अकादमिक ट्रेनिंग करवाने के लिए इन्हें बुलाया जाता है। इन्होंने दिल्ली के विश्व विद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी... 

1989 से ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कार्य करती रही है। घरेलू तथा यौन संबंधी हिंसाओं से पीड़ित महिला तथा बच्चों का प्रतिनिधित्व करतीं है।

2013 के प्रभावशाली लोगों के चयन में दुनिया के 100 लोगों में एक माने जाने वाली है।

ये अपने इन विशेष पैरवी में सक्रिय रहीं-

1) 1984 के सिख दंगे

2) 1987 के  हरिमपुरा पुलिस हत्या काण्ड

3) 2004 का इशरत कांड

4) 2001 में संसद हमला

5) 2013 का मुजफ्फरनगर नरसंहार 

6) बिल्किस बानो मामले में इन्होंने कहा इस केस के दोषी माफी के योग्य नहीं हैं। जेल में बंद रहने के दौरान बार-बार पैरोल पर बाहर आने पर भी सवाल उठाया। 

दोस्तों, ये वो दो सम्मानीय महिला (जज साहिबा, वकील साहिबा) हैं जिनके नेतृत्व में बिलकिस बानो को न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है क्योंकि खबरों से जानकारी मिली है इस केस के दोषी फरार बताए जा रहे हैं। सेलैंडर करने के फैसले के बाद से सब गायब हो गए हैं।

वैसे कहा जाता है Rule of Low सबके लिए एक समान है....।

उन्होंने सही फैसला सुनाकर बिल्किस बानो को सच्चा न्याय दिलवाया है। आगे उम्मीद है देश की अन्य बेटियों को भी ऐसा सच्चा न्याय मिलेगा।

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