राष्ट्रीय बालिका दिवस....

  🙏 दोस्तों, 

                           कल 24 जनवरी था। शायद हम में से अनेक ऐसे दोस्त होंगे जिन्हें इस दिन के महत्व की जानकारी नहीं होगी। इसलिए आज इस दिन के महत्व की चर्चा करेंगे। चर्चा इसलिए भी करेंगे क्योंकि भारत के करीब हर घरों में बेटियां हैं... बेटियां अपने पिता की लाड़ली, भाईयों की दुलारी और घर की शोभा होती है...। ताकत का प्रतीक भी है..।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत इस दिन को "राष्ट्रीय बालिका दिवस" के  रूप में मनाता है। 

भेदभाव की प्रथा बहुत ही पुरानी प्रथा है... जिसमें  रंगभेद, ऊंच-नीच, जाति-धर्म, अमीर-गरीब और लिंगभेद भी शामिल हैं। 

पूरी दुनिया में मानव समाज के बीच इस प्रकार के भेदभाव हमेशा से बरकरार रहे हैं। कितने आन्दोलन, कितनी लड़ाईयां और कानून भी बन चुके हैं। पर भेदभाव मिटते नहीं मिटता। फिर भी देश-दुनिया के कुछ वरिष्ठ व्यक्तित्व है उनकी कोशिश जारी हैं। विभिन्न स्तरीय भेदभाव को मिटाने की..., जिसमें कुछ कामयाबी भी मिली है परन्तु वो नग्न है अर्थात नहीं के बराबर...।

खैर, फिर भी समय-समय पर वरिष्ठ व महान व्यक्तियों द्वारा इस तरह के प्रयास किए जाते हैं। इन्हीं प्रयासों में एक है "बालिका दिवस", जिसकी हम चर्चा करेंगे।

बालिका दिवस अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय, दोनों स्तरों से मनाया जाता हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस-: 

                                     खबरों के अनुसार 19 दिसंबर 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में तय किया गया था बालिकाओं के जीवन के कुछ अहम मुद्दों से उन्हें और उनसे जुड़े लोगों को रुबरु कराने के लिए एक विशेष दिन तय किया जाए... और वो दिन हर साल 11 अक्टूबर का दिन निर्धारित किया गया था।

11 अक्टूबर के दिन को "अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस" के रूप में घोषित किया गया। जिसे  पूरी दुनिया में पालन किया जाता है। इस दिन के माध्यम से, विभिन्न सभा तथा प्रोग्रामिंग के द्वारा बालिकाओं के मानवाधिकार की जानकारी व उसकी आवश्यकताओं को समझने की कोशिश की जाती हैं। 

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन हर साल बालिकाओं के स्वस्थ जीवनी, सुरक्षित जीवन, शिक्षा तथा जीवन की राह पर अनोखे-अनोखे चुनौतियों के हक की प्रेरणा- दिलवाने व जानकारी देने की कोशिश की जाती हैं। इस प्रकार के मुख्य मुद्दों को बालिका से बड़े होते हुए महिला बनने तक के उनके अधिकारों को उन्हें समझने की कोशिश की जाती हैं।

राष्ट्रीय बालिका दिवस -:

हमारे देश भारत में बालिका दिवस की शुरुआत 2008 से हुई थी। "राष्ट्रीय बालिका दिवस" के रूप में मनाए जाने की घोषणा इसी साल से की गई।

भारत में "राष्ट्रीय बालिका दिवस" कब, कैसे और क्यों शुरू किया गया इस बारे में जानना जरूरी हैं...।

आईए दोस्तों, अंतरराष्ट्रीय नहीं बल्कि हम अपने देश के ही "राष्ट्रीय बालिका दिवस" की बात करते हैं-

आज से  करीब डेढ़ सौ साल से भी पहले की बात है जब देश की महिला समाज सेविका के तौर पर परिचित सावित्रीबाई फुले नामक बहादुर महिला ने पहला बालिका विद्यालय खोला था और वो देश की पहली महिला शिक्षिका बनीं। उस जमाने में लड़कियों को पढ़ाने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। ऐसे देश व समाज में उन्होंने बालिकाओं के लिए स्कूल खोला था। पर डगर बहुत कठिन था। अतः कुछ खास नहीं हो पाया।

समय बीतता गया, साल बीतते गए और एक समय आया जब हमारे देश भारत में पहली बार महिला प्रधानमंत्री बनी... श्रीमति इंदिरा गांधी जी... 1966 में वो भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। जो आज भी भारत की पहली तथा एक मात्र महिला प्रधानमंत्री है।

इस घटना ने देश के समक्ष नारी शक्ति का एक बड़ा उदाहरण पेश किया। देशवासियों के सामने पहली बार एक वृहद उदाहरण आया जब 24 जनवरी 1966 को भेदभाव व बाधाओं को पार करतीं हुई श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने देश की महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया...।

वाकई में यह दिन नज़ीर बनकर रह गया....।इसलिए भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से बालिका दिवस के लिए यह दिन अर्थात 24 जनवरी का दिन चुना गया। देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण दिन को महिला सशक्तीकरण के तौर पर बरकरार रखते हुए राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में 24 जनवरी निर्धारित किया गय।

2008 से स्व.श्रीमती इंदिरा गांधी जी के महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण वाले दिन (24 जनवरी) को "राष्ट्रीय बालिक दिवस" के  रूप में घोषणा की गई।

भारत में लिंग भेद, बालिकाओं पर यौन हिंसा, कम उम्र में विवाह, घरेलू कार्य, कम पढ़ाई जैसे कई मुद्दे दिन-प्रतिदिन ताज़े होते जा रहे हैं। इस तरह के मुद्दों को समझाने व प्रशस्त करने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस 2008 से प्रतिवर्ष हमारे देश में मनाया जाने लगा।

शुरुआती तौर पर मुद्दों के अधिकारों को समझा जाए तो आगे हम अनेक समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं।कारण बालिकाओं से परिवार, समाज और देश भी जुड़ा हुआ हैं।

11 अक्टूबर को पूरे विश्व में "अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस" मनाया जाता है और 24 जनवरी भारत में "राष्ट्रीय बालिका दिवस" के रूप में मनाया जाता है...।

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