🙏 बहनों और भाइयों,
पहचाना...? कुछ याद आया...?
हम साठ-सत्तर दशक के लोगों से पूछ रहें हैं...। उस समय की जादुई आवाज के संबोधन की...।
स्वर, भाषा, भाषा शैली, आवाज के रैंज का उस दौर में विशेष ख्याल रखा जाता था। खुलेआम अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं होता था। चीखने-चिल्लाने जैसी कोई बात नहीं हुआ करती थी। बोलने का अंदाज ही निराला होता था। खासकर खास लोग इसे मेंटेन किया करते थे।
खैर, दोस्तों अगर समझ नहीं आ रहा हो तो आपको उस आवाज और भाषा की याद दिलाना चाहेंगे जिसके कभी आप और हम दीवाने हुआ करते थे। जी हां, रेडियो के जरिए जो हमारे दिल और दिमाग पर अपनी आवाज के कारण राज किया करते थे। आवाज़ के साथ भाषा तथा बोलने का अंदाजा भी हमें रोमांचित करता था।
वो रोमाचित आवज भारत के मशहूर रेडियो संचालक 'अमीन सायानी' जी की है।
हम यहां अमीन सायानी जी की बात कर रहे है। बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है आज हमारे बीच वो आवाज नहीं रही।
बुधवार यानी कल (21-2-2024) वे हमें छोड़ हमेशा हमेशा के लिए चले गये। उनकी मृत्यु की ख़बर उनके बेटे द्वारा प्राप्त हुई है।
अमीन सयानी का जन्म एक संभ्रांत मुस्लिम परिवार में सन् 1932 को बंम्बई में हुआ था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने भाई के सहयोग से रेडियो जगत में कदम रखे थे।
उन्होंने शुरुआती समय मुम्बई से रेडियो में करीब दस साल अंग्रेजी में प्रोग्राम किया। चूंकि वे अंग्रेजी मीडियम से पढ़े थे इसलिए अंग्रेजी में ही प्रोग्राम करते थे। लेकिन लोगों ने उनके अंग्रेजी भाषा प्रोग्राम को खास पसंद नहीं किया। उसके बाद उन्होंने हिन्दी और उर्दू भाषा के मेल से अपनी आवाज दी। लोग उनके हिन्दी और उर्दू भाषा की वेमिशाल आवाज के दीवाने हो गए।
रेडियो शिलौंग का प्रोग्राम कोलंबो में शुरू किया गया। फिर क्या था- वे, भारतीय ही नहीं पूरे एशिया के लोगों को अपनी आवाज देकर उनके दिलों में राज करने लगे। 60-70 दशक के रेडियो प्रेमी उनके दीवाने हो गए।
1952 में रेडियो के 'विविध भारती' में 'विनाका गीतमाला' नामक एक संगीत प्रोग्राम शुरू किया गया। उस समय "बिनाका" एक 'टूथपेस्ट' ब्रांड हुआ करता था। उसी के संचालक के तौर पर अमीन साहनी जी को विज्ञापन प्रोग्राम का दायित्व सौंपा गया। इसी के जरिए वे लोगों को आनंद (इंटरटेनमेंट) देने लगे। एक तरफ मधुर गीत दूसरी ओर उनके आवाज का जादू....।
यह प्रोग्राम साप्ताहिक व आधे घंटे का हुआ करता था।
साहनी साहब की आवाज सुनने और उसका आनंद उठाने के लिए लोग यह प्रोग्राम मिस नहीं करते थे।
बिनाका गीतमाल के अलावा सितारों की पसंद, एस कुमार का फिल्मी मुकदमा, महकती बातें, चमकाते सितारे आदि और भी रेडियो प्रोग्राम्स को उन्होंने अपनी आवाज दी थी।
रेडियो यानी अमीन साहनी... इसलिए उस समय रेडियो के विज्ञापनों में भी इनकी आवाज सुनने को मिलता था। विज्ञापन फिल्म सितारों द्वारा करवाना आम बात थी या अभी भी है लेकिन उस वक्त अनेकों विज्ञापनों में फिल्मी सितारों के रहने के बावजूद साहनी साहब की आवाज हुआ़ करती थी। जैसे - लक्श, विहील....। उनकी आवाज से विज्ञापन में चार-चांद लग जाते थे।इनके परिवार के एक किस्से की बात करते है। कहा जाता है, साहनी साहब के पारिवारिक एक हिस्से से महात्मा गांधी जी जुड़े थे। कारण इनका पूरा परिवार कांग्रेसमय (पार्टी) था। सूत्रों के अनुसार अमीन साहनी जी के पिता के चाचा जी ने महात्मा गांधी जी को वकालत की पढ़ाई में मदद की थी। उन्होंने ही गांधी जी को अफ्रीका पढ़ने भेजा था। वो दौर ऐसा हुआ करता था।
आज की पीढ़ी ऐसे-ऐसे ऐतिहासिक सच्चाइयों से अंजान हैं तभी तो भारत के खजाने के अनमोल रत्नों के बारे में जानते नहीं हैं। और जिन्हें-जिन्हें जानते हैं उनके बारे में अभद्र भाषा में आवाज उठाई जाती है।
आवाज़ के बादशाह अमीन साहनी जी अपना प्रोग्राम शुरू करने से पहले लोगों को संबोधित करते थे - बहनों और भाइयो...वे भाईयों और बहनों नहीं कहते थे कारण, उनका कहना था- Ladies first. वे ये भी कहते थे सभी महिलाएं मेरी मां या बहन समान हैं। मैं महिलाओं का सम्मान करता हूं।
सही है... काफी हद तक यह बात सही है क्योंकि जहां महिला सम्मान है वहां यश है...।
खैर, आवाज़ के जादूगर की बात हो रही है तो यह सवाल पैदा हो ही सकता है और हुआ भी था कि उनकी आवाज God Gift है। इस पर वे कहते थे- यह नहीं जानता, पर जब मैं बात कहता हूं तो सोच समझकर दिल की बात दिल से दिल तब पहुंचाने के लिए कहता हूं।
वाकई वे अपनी आवाज देकर लोगों के दिलों में बस गये थे। आवाज से रेडियो को चमकाया, प्रोग्रामों को चमकाया और खुद भी चमके। ये चमक हमेशा लोगों के दिलों को रोमांचित करता रहेगा। जो इनकी आवाज सुन चूकें हैं और जो अब सुनना चाहेंगे सबों को यह आवाज आनंद देग।...।
क्योंकि भाषा, स्वर, शैली लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वहीं दूसरी ओर दूरी भी बनाता है। इसलिए मुंह खोलने से पहले इन बातों का हमें ध्यान रखना उचित है।
खैर दोस्तों, रेडियो के मशहूर संचालक, उद्दोषक, एंकर,अनाउंसर जो भी हम कहें उन्होंने अपनी जादुई आवाज से करीब 40/45 सालों तक लोगों को अपना दीवाना बनाए रखा। अब 91 साल की आयु में उनका निधन हो गया। परिवार की तरफ से बताया गया है उनका अंतिम संस्कार बम्बई में होगा....।लोगों ने उन्हें कभी देखा तो नहीं पर उस दशक वाले उनकी आवाज और बोलने के अन्दाज को शायद ही भूल पाएंगे।
____________