8 मार्च....

  🙏 दोस्तों,

                        भारतीय महिलाओं के लिए, खास कर हिन्दू धर्म से संबंध रखने वाली महिलाओं के लिए 2024 का यह दिन (8मार्च) काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन के दो विषय, जो महिलाओं से ओतप्रोत से जुड़े हैं। एक तो "नारी दिवस" तथा दूसरा "महा शिवरात्रि पर्व"...

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस नारियों के लिए मनाया जाता हैं और साधारण तौर पर ज्यादातर भारतीय महिलाएं (हिन्दू ) शिवरात्रि का व्रत पालन करती हैं। ये खास दोनों विषय इस वर्ष 8 मार्च के दिन मनाया जाएगा। कहीं न कहीं दोनों विषयों का अंतह अर्थ एक है.... नारी

महिला दिवस महिलाओं के अधिकारों, उनके प्रति सम्मान व प्रेम प्रकट करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। वहीं अगर पौराणिक कथाओं की जानकारी लेंगे तो हम पाएंगे महादेव चरित्र में पति दायित्वों, प्रेम के प्रति समर्पण, नारी सम्मान को दर्शाता हैं। 

शायद यह भी एक खास कारण है कि शादी व्याह में शिव-पार्वती पूजा-व्रत किए जाते हैं या विवाह के उद्देश्य से सोमवार का व्रत (शिवजी) रखा जाता है। 

            महिलाओं और लड़कियों के सामाजिक, आर्थिक अधिकारो के ससम्मान को याद दिलाने के लिए हर साल 8 मार्च के दिन को महिला दिवस के रूप में चुना गया है। 

दोस्तों, सिर्फ बोलने तथा दिन पालन करने भर से नारी के प्रति सम्मान नहीं हो सकता, बल्कि जमीनी हकीकत पर ध्यान देना जरूरी है। 

इसके लिए कुछ विशिष्ट चरित्र को चरितार्थ कर किया जा सकता है। किसी से कुछ सीख उसे अपने जीवन में आजमाकर महिला दिवस को पूर्ण रूप देने की एक पहल हो सकती है। इस साल महिला दिवस के ही दिन महा शिवरात्रि पर्व पड़ा है। अतः मिशाल के तौर पर आज शिवजी की बात कर सकते है....।

इस बार महिला दिवस और शिवरात्रि 8 मार्च को है। इसलिए एक पौराणिक कथा से महादेव चरित्र को जानने की कोशिश करते है कि नारी के प्रति उनकी सोच क्या थी?  

एक प्रेरणा....

दोस्तों, पौराणिक कथाओं के अनुसार जैसा कि हम जानते हैं दानव हमेशा देवों से लड़ते-झगड़ते आए हैं। उन्हें परास्त कर तीनों लोकों में अपना राज्य स्थापित करने की कोशिश में रहे हैं। इसलिए समय-समय पर वे कुछ ऐसा कर बैठते हैं, जिससे तीनों लोकों में समस्या पैदा हो जाती रही हैं। लेकिन देवताओं ने हमेशा इनका खंडन किया है। और परिस्थितियों का भलि भांति संभाला। सबकी रक्षा की, सृष्टि का नाश होने से बचाया।

एक समय की बात है 'अपसमरा' नामक एक दानव था। जिसे स्मृति हरण करने और सिर्फ किसी नारी के हाथों मरने का वरदान प्राप्त था। इसी का फायदा उठाकर उसने पहले शिव की शक्ति पार्वती जी की स्मृति हरण कर ली और उसके बाद अनेक शिव भक्तगणों की भी स्मृति हर ली। जिस कारण सबों ने अपनी याददाश्त खो दी और चारों तरफ विश्रृंखल परिस्थिति का वातावरण बन गया।

माता पार्वती अपना नाम, पति, संतान, परिवार जन, परिचित सब भूल बैठी। उन्हें कुछ भी याद नहीं आ रहा था। अपनी स्मृति की खोज में वो इधर-उधर भटकने लगीं। ऐसे में जब शिव जी को अपनी शक्ति (पार्वती) के बेहाल परिस्थिति का पता चला तो वे उनका साथ निभाए। तब तक उनका साथ दिया, उनका ध्यान रखा जब तब उनकी स्मृति पुनः न लौट  आई।

स्मृतिहीन माता पार्वती ने जैसे ही शिव जी को अपने समक्ष पाया वो उनसे दूर होने लगी, उनकी वैशभूषा से भयभीत होने लगी, उन्हें अपने को अकेला छोड़ने को कहा। क्योंकि वो अपने शिव को शरण नहीं कर पा रहीं थीं। स्मृति हीन हो गई थी। मगर महादेव किसी भी सूरत में उन्हें इस हाल में अकेले छोड़ना उचित नहीं समझे। 

पार्वती जी को अपने घर कैलाश जाने का आग्रह किया। लाख समझाने पर नहीं मानी तो गोद में उठाकर ले गये। वहां ले जाकर उन्हें औषधि पिला कर स्वस्थ्य करने की कोशिश की गई मगर वो वहां से भाग निकलीं। ऐसे में शिव भी उनके पीछे-पीछे गये। उन्हें देख माता पार्वती अपने को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से एक ऋषि वर की कुटिया के अन्दर चली गई और अपने को वहां भीतर से बंद कर लिया। 

कुटिया के बाहर खड़े हो महादेव अपनी पत्नी पार्वती को दरवाजा खोल, औषधि पिने का आग्रह करते रहे। मगर वो भीतर से दरवाजा नहीं खोल रही थी। ऐसे में देवलोक से समस्त देवतागण व उनके पुत्र कार्तिकेय भी वहां उपस्थित हो गये। 

जब कार्तिकेय ने देखा माता दरवाजा नहीं खोल रही है और पिता धैर्य से उन्हें आग्रह पर आग्रह किए जा रहे हैं तो एक समय बाद उनका (कार्तिकेय) धैर्य टूट गया। 

कार्तिकेय ने अपने पिता महादेव से कहा- यह समय आग्रह का नहीं है उचित व्यवस्था लेने का है। आप देवों के देव महादेव है। हर समाधान आपके पास है। परंतु आप है जो कुटिया का दरवाजा न तोड़, बाहर खड़े माता को दरवाजा खोलने का आग्रह किए जा रहे है। समय की मांग को समझने और दरवाजा तोड़ माता को औषधि पिलाकर उनकी स्मृति वापस लौटाने की कोशिश करें।

अपने पुत्र कार्तिकेय के ऐसा कहने पर महादेव बड़ी शालीनता से समझाते हुए उनसे बोले- कार्तिकेय, कभी भी किसी नारी के इच्छा के विरोध जाकर उसके प्रति कोई कार्य नहीं करना चाहिए। उसके वगैर सहमति के किये कार्य  अनुचित ही नहीं, पाप है। तुम अभी बालक हो। जब युवा हो जाओगे और किसी के पति बनोगे तब तुम्हें इसका आभास होगा। पति का अपने पत्नी के प्रति कर्तव्य और उसकी अनुमति, उसके प्रति अगाध प्रेम का होना जरूरी है। धैर्य से उसे आग्रह कर बंधन को बांधे रखना है। वो स्वयं आगे आकर मान जाएगी। 

पुत्र कार्तिक पिता की बात को मनाते हुए चूप हो गये। वहीं दूर खड़ी लक्ष्मी जी यह दृश्य देख बोली- नारी के प्रति इतना सम्मान और प्रेम ही है जो रह नारी इनकी पूजा करती है और महादेव की तरह अपने पति की इच्छा रखतीं हैं।

वहीं दूसरी ओर लगातार प्रेम भाव से आग्रह करते हुए एक समय आया जब माता पार्वती ने स्वयं दरवाजा खोला। प्रेम की जीत हुई। शिव ने अपनी शक्ति को औषधि पिलाई मगर स्मृति नहीं लौटी। वहीं नारद मुनिवर ने 'अपसमरा' के कू प्रभाव की परिस्थिति का महादेव को ध्यान दिलाया और सृष्टि को संभालने का आग्रह किया।

एक ओर पति होने का दायित्व दूसरी ओर सृष्टि के कल्याण का कर्तव्य....। थोड़ा सोच महादेव अपनी पत्नी को रक्षा कवच अर्थात हीम शिवलिंग के भीतर सुरक्षित रख अपना कर्तव्य निभाने निकल पड़े। 


पति ने अपनी पत्नी को अकेला, वेसहार, असुरक्षित हालत में नहीं छोड़ा बल्कि सुरक्षा व्यवस्था कर अपने कर्तव्य निभाने गये।

सृष्टि की भयंकर परिस्थिति देख उन्होंने अपसमरा दानव को अपने पैरों तले दवाऐं रखा। क्योंकि पुरुष होने के कारण वे उसको मृत्यु दण्ड नहीं दे सकते थे। 

अपसमरा अर्थात नकारात्मक प्रभाव को जैसे ही महादेव ने अपने पैर (नटराज रुप) के नीचे दबाया वैसे ही पत्नी सह सबों की स्मृति लौट आई। ऐसा कर शिव ने सृष्टि को बचाया।  

शिव के पैर के नीचे दवाने के साथ ही माता पार्वती व समस्त शिवभक्त मानवगणों को अपनी स्मृति पुनः मिल गई।

इस प्रकार देवों के देव महादेव के चरित्र का चित्रण नारी सम्मान को दर्शाता है। 

उन्होंने नकारात्मक सोच को पैरों के नीचे स्थान दिया और सकारात्मक सोच को हृदयमस्तिष्क में जगह दी।

अतः 8 मार्च को महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच के साथ हम सब मिलकर इस दिवस का पालन करते हैं। साथ ही महाशिवरात्रि का पर्व शिव की शक्ति को अपनाने, उनसे कुछ सिखने को मनाते हैं।

तभी अंतरमन से प्रेम के प्रति, नारी के प्रति हमारा समर्पण होगा। शिवशक्ति के प्रति सच्चा भाव पैदा होगा। तब हमारा कुछ अनिष्ट नहीं होने वाला। और सौभाग्य शाली स्त्रियों को शिव जैसा पति मिलेगा।

         यही 8 मार्च के दो विषयों का अर्थ हैं जैसे शिव और आदीशक्ति के शक्ति का अटूट मिलन हैं...।

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