अंडर-रिवर मेट्रो सेवा---

🙏 दोस्तों, 

                  भारत का शहर, कलकत्ता शुरू से ही देश के अनेक क्षेत्रों में सबसे आगे रहा है। दिल्ली से पहले यह भारत की राजधानी रहा चूका है। "जॉय आफ सिटी" के नाम से "कलकत्ता" दुनिया में मशहूर है। हाल ही में सरकारी सर्वे के मुताबिक इस शहर को भारत का सबसे सुरक्षित शहर माना गया है।

इसके बावजूद अभी भी बड़े फक्र के साथ इस शहर के लोग  कह सकते है- कलकत्ता शहर ने आज भी इतिहास रच डाला है। 

दरअसल, कलकत्ता देश का सबसे पहला ऐसा शहर है जहां के लोग "नये परिवहन सेवा" के हकदार बन गये हैं। वैसे इस शहर में और भी कई ऐसी परिवहन सेवाएं उपलब्ध हैं जो देश के किसी अन्य शहरों में नहीं पाया जाती। 

खैर, इस शहर में देश की पहली 'अंडर-रिवर मेट्रो' गंगा नदी से गुजरने वाली है। जो देश की 'नई सफर' रहेगी।

संभवतः इसी माह (मार्च 2024) कलकत्ता अंडर-रिवर मेट्रो का उद्घाटन होगा और उसके बाद यहां के निवासियों के लिए ये खोल दिया जाएगा।

इसी के साथ भारत में रेल परिवहन क्षेत्र की ओर से तीन तरह का सफर तय करवाया जाना तय हो जाएगा...

1) सामान्य रेल सफर- जमीन के ऊपर पटरी बिछाकर

2) मेट्रो सफर- जमीन के नीचे पटरी बिछाकर और

3) अंडर-रिवर मेट्रो सफर- नदी के नीचे सुरंग बना कर।

आईए जान लेते हैं तीनों सेवाओं की संक्षिप्त जानकारी...

दोस्तों, पिछे मुड़कर देखेंगे तो हम पाएंगे अंग्रेजों के सौजन्य से भारत में रेल परिवहन सेवा शुरू हुआ था। उद्देश्य कुछ भी हो लेकिन हमारे लिए यह फायदेमंद साबित हुआ। 

*सामान्य रेल सफर हमारे देश में पहली बार 1853 में बम्बई में शुरू हुआ था....

*मेट्रो रेल सफर हमारे देश में पहली बार 1984 में कलकत्ते में शुरू हुआ...

*अंडर-रिवर मेट्रो सफर हमारे देश में पहली बार 2024 को कलकत्ता में शुरू होने जा रहा है।

दुनिया में सबसे पहले लंदन में 1863 में मेट्रो शुरू हुआ और भारत में सबसे पहले कलकत्ते में...दिल्ली राजधानी होने के बावजूद भारत का पहला शहर कलकत्ता मेट्रो तथा अंडर-रिवर मेट्रो परिवहन सफर है, जहां यह सेवा शुरू किया गया।

तीव्र गति से चलने वाला मेट्रो परिवहन, भूमि यानी जमीन के नीचे से चला। अब यह भारत में नदी के नीचे से चलने वाला परिवहन सेवा देने में सक्षम हो गया है। जो कि कलकत्ते के गंगा नदी के नीचे से शुरू किया गया।

गंगा नदी के ऊपर हावड़ा ब्रिज और नदी के नीचे से मेट्रो सफर... अद्भुत...।

हमारे देश के करीब 15 शहर अब तक मेट्रो सेवा का लाभ उठा पा रहे हैं लेकिन देश का एक मात्र शहर कलकत्ता होगा जो नदी के नीचे की मेट्रो सेवा का फिलहाल लाभ उठा पाएगा।

देश के इस महानगर के निवासियों के रोजमर्रा का सफर आसान व कम समय पर होगा।

यहां की गंगा नदी जिसे हुगली नदी भी कहते है, उसने कलकत्ते और हुगली को बांट रखा था। 

जल मार्ग तय कर लोगों का आना-जाना काफी मुश्किल होता था। इस पार से उस पार और उस पार से इस पार होना काफी मुश्किल था। 

इसलिए तब अंग्रेजों ने दोनों को जोड़ने के लिए एक पुल (1943) बनाया। जिसका नाम हावड़ा ब्रिज हुआ। यह ब्रिज अपने आप में अलग ही महत्व रखता है। साथ ही यह कलकत्ते की शान भी है। 

वहीं दूसरी ओर अब देश के इंजीनियरों ने इसी ब्रिज के नीचे से बह रही गंगा नदी के नीचे सुरंग बनाकर उसमें से मेट्रो (2024) को चलाने का काम कर दिखाया है। 

खबरों के जानकारी के मुताबिक कलकत्ता से हावड़ा के बीच गंगा नदी में एक सुरंग बनाया गया है जो करीब 520 मीटर बताया जाता है। यात्री इसे छ: मिनट में तय कर पाएंगे। लेकिन इसमें (मेट्रो) करीब कुल 13 स्टेशन होंगे। जिसमें नदी के नीचे का एक स्टेशन भी शामिल ह।

सुरंग (टनल) का व्यास-5.56 मीटर और बाहरी व्यास-6.1 मीटर बताया गया हैं। यह जमीन की सतह से करीब 33 मीटर नीचे और नदी से 13 मीटर नीचे का बताया गया हैं। 

जब मेट्रो सुरंग से होती हुई नदी के नीचे से गुजरेगी तब मेट्रो के अन्दर नदी के पानी के आने का कोई खतरा नहीं होगा। मेट्रो सुरक्षित रुप से सुरंग से होती हुई गुजरेगी। सुरक्षा की ओर ध्यान देते हुए ही बनाया गया है। 

सुरंग के कंक्रीट (सीमेंट और बालू के मिश्रण का मजबूत पदार्थ) के बीच 'हाइड्रोलिक गास्केट' बनाया गया है। अगर किसी कारण वश सुरंग के अंदर पानी आ भी जाता है तो तुरंत गास्केट खूल जाएगा और खतरे की कोई बात नहीं होगी। 

सामान्य तौर पर हम कह सकते हैं हाइड्रोलिक दो सतहों वाला एक उपकरण होता है और गास्केट इन्हें सील करता यानी जोड़ता है। इनके द्वारा की गई प्रक्रिया तरल पदार्थ के गति को नियंत्रित करता है। वैसे इंजीनियरिंग या इस क्षेत्र से जुड़े लोग इसकी व्याख्या ठीक से कर सकते हैं। संक्षिप्त जानकारी के अनुसार हाइड्रोलिक गास्केट अंडर-रिवर मेट्रो को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करेगा।

इसके अलावा इसमें आपातकालीन द्वार बनाए गए हैं।

दोस्तों, हावड़ा रेलवे स्टेशन कलकत्ते का एक बहुत बड़ा रेलवे स्टेशन है। यहां कई प्लेटफार्म है। जहां से बाहर की ट्रेनों व लोकल ट्रेनों का आना-जाना लगा रहता है। यह  बहुत ही व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है। 

        अंडर-रिवर मेट्रो अधिकारियों के कहे अनुसार पांच लाख स्क्वायर फीट जगह पर बना हावड़ा मेट्रो स्टेशन 32 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा है।  हावड़ा रेलवे स्टेशन के 16नं. प्लेटफार्म के पास से नीचे की ओर उतर कर अंडर-रिवर मेट्रो स्टेशन में प्रवेश किया जाएगा। सब-वे से ही यात्रीगण स्वचालित सीढ़ियों (इलैक्ट्रिक सीढ़ी) या लिफ्ट के जरिए अंडर-रिवर मेट्रो स्टेशन प्लेटफार्म तक आसानी से पहुंच सकते हैं। हावड़ा रेलवे स्टेशन से नदी के उस पार हावड़ा मैदान मेट्रो स्टेशन की दूरी करीब 750मीटर की है।

दोस्तों, कलकत्तावासी एक अद्भुत अनुभव के साथ आसान तथा कम समय में सुगमतापूर्वक नया सफर शुरू कर पाएंगे। फिलहाल देश के दूसरे प्रांत के लोग भी यहां आकर इस सफर का लुत्फ उठा सकते हैं। जब तक देश के दूसरे जगह अंडर-रिवर मेट्रो न शुरू हो पाए। वैसे इंजीनियरों के अनुसार शायद उन्हीं जगहों पर बनने की संभावना हो सकती है जिन शहरों से नदी बहती हो तथा अन्य मेट्रो सुविधाएं उपलब्ध हो। 

खैर, भारत में पहली बार कलकत्ता के गंगा नदी के नीचे से मेट्रो गुजरने वाली है जो अद्भुत अनुभव लेकर आएगा...।

                        _____________