लद्दाख ----

  🙏 दोस्तों,

                                  आज होली है। देशभर के लोग धुमधाम से यह त्यौहार मना रहे हैं। चारों ओर खुशियों का माहौल है। वहीं देश का एक सौन्दर्य पहाड़ी हिस्सा लद्दाख, खतरें में नजर आ रहा है। वहां के कईं लोग खुले आसमान के नीचे ठंड (-10 डिग्री) में अनशन पर हैं। सिर्फ नमक और पानी के सहारे प्रदर्शन कर रहे हैं। उस क्षेत्र में किसी प्रकार की खुशी नहीं है।

21 दिनों तक चलने वाला यह अनशन शायद होली के दूसरे दिन समाप्त होगी। लद्दाख क्षेत्र में चल रहे अनशन का नेतृत्व "सोनम वांगचुक" कर रहे हैं। जिनके साथ वहां के स्थानीय लोग और विद्यार्थी भी शामिल हैं।

नेतृत्व करने वाले "सोनम वांगचुक' के बारे में कहा जाता हैं, वे कमाल के इंजिनियर है। उन्होंने वर्फीली वादियों से जुड़े कई आविष्कार किये हैं। वांगचुक जी एक शिक्षक भी है। जिन्होंने वहां के शिक्षा विभाग में अनुठा परिवर्तन लाया है। जो उस क्षेत्र के अनुकुल है।

जिस कारण उन्हें कई अवार्ड भी मिले हैं। अवार्ड प्राप्त यह व्यक्ति आज लद्दाख की कुछ मांगों के लिए 21 दिन के अनशन पर हैं। 

पर क्यों?

चर्चा करते हैं...अनशन का क्या कारण है? इस पर सरकार का क्या कहना है? देशवासियों को क्या लद्दाख वासियों का समर्थन करना चाहिए या नहीं...? 

दोस्तों, जैसा कि हम जानते हैं 2019 में 370 धारा समाप्त कर दी गई थी। जिससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केन्द्र शासित राज्य बन गये। जबकि 370 हटने से पहले लद्दाख, जम्मू-कश्मीर से जुड़ा था। लद्दाख वालों को लगा 370 हटने के बाद वे केन्द्र से सुविधाएं पा सकेंगे, जो उन्हें पहले नहीं मिलता था। 

लेकिन लद्दाख वासियों के कहे अनुसार वर्तमान सरकार ने उनको धोखे में रख रखा है। वे वादा कर दो-दो बार भारी बहुमत से चुनाव जीते। हमने उन्हें जीत दिलाई। लेकिन सरकार अपने वादों से मुकर गई।

हमने लगातार 2020, 2021, 2022 में प्रोटेस्ट किया लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनका मानना है सरकार अपने कहें अनुसार काम करेगी। लेकिन अब तक इतने साल बित गये, पर हमारी सुनवाई नहीं हो रही हैं। उल्टे अब वो सरकार दूसरी  कहानी आलाप लगा रही है। ऐसे में हमारे पास अनशन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आया। 

हमने महात्मा गांधी जी के पदचिन्हों पर चलने का फैसला लिया और 21 दिनों की आमरण अनशन पर बैठे हैं। ताकि सरकार का ध्यान हमारी ओर पड़े।

6 मार्च से लद्दाख में "प्रोटेस्ट अनशन" चल रहा है।

खबरों के अनुसार उनकी कुल चार मांगें हैं। जिसे वो पूरा करवाना चाहते हैं। कहा जाता है सरकार की ओर से भी उन्हें आश्वासन दिया गया था परन्तु निभाया नहीं गया।

उनकी मांगों में- (1) 6 अनुसूची की मांग यानी यह डिस्ट्रिक्ट लेवल पर जनजातिय क्षेत्रों को अपना कानून खुद बनाने का अधिकार देता है। (2) पूर्ण राज्य की मांग यानी राज्य अपने हिसाब से राज्य में फैसले लेने का अधिकार पा सके।

(3) संविधानिक अधिकार की मांग अर्थात हमारे दो एम पी (M.P.) होने चाहिए जो हमारी परेशानियों को, हमारी बातों को केन्द्र तक पहुंचाएगा। (4) सिक्योर पब्लिक सर्विस कमीशन की मांग अर्थात बेरोजगारी दूर करने का रास्ता मिलना चाहिए।

     लद्दाख वासियों के ये चार मांगें हैं। जिस कारण वे अपने नेतृत्वकर्ता सोनम वांगचुक के साथ अनशन पर हैं। कुल मिलाकर इन मांगों का तात्पर्य है कि 370 हटने के बाद कश्मीर को जो सुविधाएं उपलब्ध हैं वे सुविधाएं हमें नहीं हैं। 

खबरों के मुताबिक लद्दाख वासियों का कहना हैं- हम "पोलिटीक्ल माफिया" के शिकार हो रहे हैं। ऐसा होने से लद्दाख की परिस्थिति लक्षद्वीप, मणिपुर, उत्तर कांशी सुरंग, हसोव, वक्सवाह, जोशीमठ जैसे न हो जाए। हमारे क्लचर, पर्यावरण और प्राकृतिक देन को हमें बरकरार रखना है।

दोस्तों, सूत्रों के अनुसार ऐसी परिस्थिति में दूसरी ओर सरकार का कहना है लद्दाख वासियों की मांगें पूरी करना असंभव है क्योंकि यह क्षेत्र बहुत छोटा है, रास्ते पहाड़ी है, संवेदनशील क्षेत्र हैं। अतः हम वहां 371 (कुछ एरिया में) धारा की सोच रहे हैं। 

बताया जाता है 371 में  A,B,C... इस प्रकार अलग-अलग प्रावधानों में यह बंटा हुआ हैं। जिसे लद्दाख में लागू करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उस क्षेत्र का विकास हो सके। लद्दाख वालों की मांगों से वहां कोई विकास होने वाला नहीं है।

खबरों की जानकारी के अनुसार हमने लद्दाख वासियों और वर्तमान भारत सरकार की मांगों और दलिलों को जाना। अब सवाल हम पर आता हैं कि हमें किन का साथ निभाना है ...? किन्हें समर्थन करना चाहिए...?

सरकार को या लद्दाख राज्य को....?

साथियों, हमारी नग्न बुद्धि से हम कह सकते हैं- पहली बात तो सरकार ने लद्दाख वासियों को झूठा आश्वासन दिया और वोट लेते रहे। उनको धोखे में रखा। बाद में दूसरी बात कह दोबारा आश्वासन दे रहे हैं। जो कि सरासर की ग़लती है। अगर ऐसा ही था तो पहले ही सोच-समझ कर, उन्हें समझाकर दूसरे आश्वासन की कह सकते थे। अतः हम देशवासियों को लद्दाख वासियों का साथ देना चाहिए झूठ का नहीं। 

दूसरी बात- लद्दाख वासियों को हमेशा चीन लालच देता आ रहा है, पर वे भारत का साथ नहीं छोड़ते। वे हमें गुप्त सूचना देते हैं, हमरे सैनिकों का साथ देते हैं, उन्हें मदद करते हैं, उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों का रास्ता दिखाते हैं। इसलिए हम भारतियों को चाहिए लद्दाख वासियों का साथ देते रहे। उनका समर्थन करते रहे।उम्मीद है आप सब भी इससे सहमत होंगे...। और उनकी जायज मांगों को पूरा करने में सहयोग करेंगे।

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