मौंड़ी----

 🙏 दोस्तों,

                       लैटिन से आये इस शब्द का तात्पर्य सेवा से है। असल में "मौंड़ी" ईसाइयों का एक पवित्र और महत्वपूर्ण त्यौहार है।

हर साल अप्रैल माह के अंत में क्रिसमस समुदाय के लिए यह समय सुख और दुख से भरा होता हैं। ईसाई धर्म के कैथोलिक समाज के लोगों के परपर तीन त्यौहार आते हैं। जो पुण्य और पवित्र का माना जाता हैं।

अप्रैल माह के अंत (सप्ताह) में पहले 'मौंड़ी थर्सडे', फिर 'गुड़ प्राईड' और उसके बाद 'इस्टर डे' का त्योहार आता है। जो लगातार एक सप्ताह के भीतर मनाया जाता हैं। 

अप्रैल माह में 'मौंड़ी थर्सडे' से उनके त्यौहारों की शुरुआत होती हैं।                          

इन त्योहारों के साथ सुख और दुख दोनों मिले रहते हैं। जिसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।

      ईसाई धर्म की धार्मिक पुस्तक पवित्र बाईबल के मुताबिक यीशु, मानव के रूप में पृथ्वी पर जन्म ग्रहण किये थे। वे सिखाते थे, मानव को विनम्रता से लोगों की सेवा करनी चाहिए। 

पवित्र बाइबल के कहे अनुसार प्रभू यीशु को उनके विरोध, विचार रखने वाले लोगों ने उन्हें सूली पर चढ़ाया था। उनके शरीर में किले ठोंक दी थी। 

जिस दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था, वह दिन शुक्रवार (Friday) का था। और उसके अगले वृहस्पतिवार (Thursday) था। 

कहा जाता है सूली पर चढ़ने के अगले दिन यीशु ने अपने शिष्यों के पैर धोए थे। उनके साथ बैठकर जीवन का अंतिम भोजन ग्रहण किया था। ऐसा कर उन्होंने लोगों को संदेह दिया कि वे लोगों के गुरु नहीं बल्कि दास (नौकर) बनकर उनकी सेवा करने आए थे। लेकिन कुछ लोग समझ नहीं पाए। ईश्वर उन्हें क्षमा करें। प्रभु का कहना था- मानव जाति को लोगों की सेवा विनम्र होकर करना चाहिए। 

यह दिन ईसाई लोग मौड़ी थर्सडे (Maundy Thursday) के रूप में मनाते हैं। 

दूसरे दिन उन्हें सूली पर लटका दिया जाता है। उनकी दर्दनाक मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के बाद रोते-बिलखते उनके अनुयाई उन्हें दफ़न करते हैं। इस दिन को वे लोग गुड फ्राइडे (Good Friday) के रूप में मनाते है। 

उसके एक दिन बाद अर्थात रविवार के दिन यीशु पुनः जीवित हो जातें है। लोगों के खुशी का ठिकाना नहीं रहता। इस खुशी में, इस दिन ईसाई समुदाय वाले 'ईस्टर दिवस' (Easter Day) का त्योहार मनाते हैं।


इस प्रकार ईसाई धर्म को मानने वाले लगातार तीन त्यौहार मनाने है। जो सुख और दुख से भरा होता हैं।

        दोस्तों, इससे हम समझ सकते हैं इंसान के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते हैं।

त्यौहार मनाने का महत्व और तरीका...

Maundy Thursday (मौंड़ी थर्सडे)- क्रिश्चियन धर्मावलंबियों अप्रैल में पहले 'मौंड़ी थर्सडे' अपने रीति रिवाज के अनुसार मनाते हैं। इस दिन चर्च में पादरी (पंडित) करीब 12 लोगों के पैर धोते हैं। क्योंकि ऐसा बताया जाता है यीशु सुली चढ़ने के अगले दिन अपने 12 शिष्यों के पैर धोए थे। 

यही कारण है चर्चों में पादरी भी 12लोगों के पैर धोते हैं। इसके अलावा चर्च में लोग एक-दूसरे के भी पैर धोते हैं। लोगों को धर्मदान यानी भिक्षा देते हैं। ये भिक्षा को पवित्र मानते हैं। खाना खिलाते हैं। उनके अनुसार यीशु और उनके शिष्यों को याद कर ऐसा करते हैं।  

लोगों के पैर धोना उनके स्वागत, सेवा व प्रेम के प्रतिक को माना जाता हैं। यानी पाप को धोना मानते हैं।

Good Friday (गुड फ्राइडे)- चूंकि इस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था इसलिए इस दिन को "ब्लेक डे" भी कहा जाता है। यह दुःख भरा त्यौहार है। लोग इस दिन उपवास रखते हैं। प्रभु यीशु की तरह लोग एक-दूसरे को क्षमा करने का मनोभाव रखते हैं। इसके एक दिन बाद यीशु का पुनः जन्म होता है।

Easter Day (ईस्टर डे)- यह दिन रविवार का होता है। उसी दिन प्रभु यीशु जीवित हो जाते है। अतः उनके पुनः जीवित होने की खुशी में इस दिन खुशियों भरा त्यौहार मनाने है। प्रार्थना करते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को मोमबत्ती और अंडा गिफ्ट के तौर पर देते हैं। कृत्रिम अंडा बनाकर (कागज, मिट्टी आदि) उसके अंदर अपने मन मुताबिक गिफ्ट भरकर एक-दूसरे को देते हैं। और इस प्रकार उनके आने की खुशी मनाते हैं।

अंडे से तात्पर्य है सृष्टि का सूचक अंडा होता है। इसी से जीव जन्म होता है। इसलिए वे अंडे को गिफ्ट के तौर पर देते हैं।

साथियों, आज यानी वृहस्पतिवार ईसाई समुदाय को मानने वाले प्रभु यीशु और उनके शिष्यों की याद में 'मौड़ी थर्सडे' का त्योहार एक दूसरे के पैरों को धोकर, लोगों को भोजन करवाकर मना रहे हैं।

दोस्तों, किसी भी धर्म को ठीक से समझा जाए तो हम पाएंगे हर धर्म में मानव के प्रति एक संदेश है... उससे सिख लेना न लेना अपने पर निर्भर करता है लेकिन सिख संदेश जरुर रहता है....।

अर्थात ईश्वर एक है। उन तक पहुंचने के राह अलग हो सकते हैं। पर ईश्वर एक है...।

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