मंथन----

🙏 दोस्तों,

               जैसा कि हम जानते हैं 2024 का लोकसभा चुनाव इसी महीने से शुरू होने वाला है। इसी विषय पर जनता जनार्दन को मंथन कर अपने अधिकार को जामा पहनाना है।

देश के सत्ता दल सह तमाम दल अपने-अपने जीत की व्यवस्था में जुट गए हैं। अब अंत में जनता के प्रति उनके जो उत्तरदायित्व बनते हैं उनकी पुष्टि अपने 'घोषणा-पत्र' (मेनोफेस्टो/ Manifesto) के माध्यम कर रहे हैं। 

खबरों के अनुसार देश के तमाम दल दो भागों में विभक्त हुए हैं। अर्थात उनके दो गठबंधन बने हैं...।

एक है- एनडीए और दूसरा इंडिया...।

देश के करीब सारे छोटे-बड़े पार्टी इनसे जुड़ गये हैं। उन्होंने अपने पसंद के मुताबिक गठबंधन बनाया और उसमें शामिल हुए या यूं समझें उसके साथ जुड़ गए। ऐसे में इन दोनों ग्रुपों (गठबंधन) के  पार्टियों का देश की जनता के प्रति उत्दायित्व बनता है। 

चुनाव के दौरान जनता को वादा कर अगले पांच सालों तक उसे निभाएंगे। अतः दोनों ग्रुप की ओर से दो अलग-अलग घोषणा पत्र जारी किए गए हैं...।

दोस्तों, घोषणा पत्र का अर्थ है इसे जारी करने वाला या वालों के उद्देश्य और विचार सार्वजनिक तौर पर सबके सामने लाना। अतः घोषणा पत्र (मेनोफेस्टो) बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है।

यहां देश की जनता का भी अहम रोल है। उन्हें दोनों घोषणा पत्रों का अच्छे से अध्ययन कर उस पर मंथन करके फैसला लेना होगा। अपने हीत के  बारे में सोचना तथा देश की परिस्थिति के बारे में सोच कर फैसला लेना होगा।

साधारण तौर पर हमने देखा है वोटर चार प्रकार के होते हैं... (1) जिन्हें वोट या चुनाव में कोई रुचि नहीं होती। ऐसे लोग वोट डालने जाते ही नहीं है। अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं करते। उन्हें अपने एक वोट का मौल क्या है? मालूम ही नहीं होता। 

(2) ऐसे लोग उत्साह के साथ वोट उत्सव मनाते हुए घंटों लाइन में खड़े हो खुशी-खुशी, सोच समझकर अपने अधिकार के मूल्य को समझ वोट डालते हैं।

(3) कुछ हैं जो किसी की बातों में, बहकावे में आकर डर से वोट डालते हैं।

(4) ये लोग वोट डालने जाते तो हैं पर तय नहीं कर पाते किसे वोट देंगे। निर्णय लिए बिना उचित जगह पहुंच जाते है। अंत तक तय नहीं कर पाते और वोट का नुक़सान कर चले आते हैं। अंदाज में किसी को भी वोट डाल अंगुली में स्याही लगा चले आते हैं।

         दोस्तों, जब हमारे सामने घोषणा पत्र है तो हमें उस पर विचार कर, मंथन कर, सोच समझकर अमूल्य मतदान करना उचित है।

आईए एनडीए और इंडिया गठबंधन के जारी किये गये घोषणा पत्र के मुख्य वादों को रीवाइज कर लेते हैं। जो इस प्रकार हैं-

एनडीए घोषणा पत्र:- इनके पत्र में खास बातें नजर नहीं आईं। इन्होंने पिछले 10 साल के कामों को गिनवाते हुए उनमें से बचें अधुरे कार्यों को पूरा करने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है।

घोषणा पत्र में कहा गया है- गरीबों, युवाओं, किसानों व महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जीवन की गरिमा, जीवन की गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए निवेश के जरिए रोज़गार सुनिश्चित करवाएं जाएंगे। समान नागरिक संहिता राष्ट्रीय हित में काम किया जाएगा। 

किसान सम्मान निधि योजना, नल से जल की व्यवस्था, रसोई गैस की योजना जारी, सोलर योजना की व्यवस्था ताकि बिजली मुफ्त या शुन्य बिजली बिल लाने की व्यवस्था की जाएगी।

इन तमाम अधुरे कार्यों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।

अधुरे वादों में गंगा सफाई, देश की इकोनॉमी को 2025 तक 5ट्रिलियन तक पहुंचाया जाएगा, NRC, UCC भी उनमें हैं।

घोषणा पत्र में जारी रखने के तौर पर कहा गया है- बुलेट ट्रेन का विस्तार किया जाएगा तथा गैस योजना जारी रहेगा, मुफ्त राशन 2029 तक देने का वादा, लखपति दीदी भी बनाए जाएंगे।

इंडिया घोषणा पत्र:- ख़बरों के मुताबिक इनके घोषणा पत्र में 5 वादें और करीब 25 गारंटी का जीक्र हैं। पिछले 10साल ये सत्ता से बाहर थे इसलिए इनके अधुरे कार्यों का जिक्र घोषणा पत्र में नहीं है।

इनके मेनोफेस्टो के मूल वादों में- नारी न्याय, श्रमिक न्याय, युवा न्याय, किसान न्याय वगैरह हैं। देश के इन क्षेत्रों में लोगों को न्याय दिलवाएंगे। कोशिश शब्द इनके घोषणा पत्र में नहीं है। इसलिए घोषणा पत्र का नाम इन्होंने "न्याय पत्र" दिया है।

खबरों के अनुसार न्याय पत्र का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे, इनके कहे अनुसार देश के विभिन्न राज्यों में अनेक सरकारी पद खाली पड़े हैं। अगर सत्ता पर आए तो, जिन्हें ये भरेंगे...30लाख के करीब लोगों को सरकारी नौकरी मिलेगी।

देश की गरीब परिवार की महिलाओं को सालाना एक लाख की राशि सहायता की जाएगी। जिससे वे अपने स्तरीय कुछ काम कर रोजगार कर सकेंगे। किसानों का कर्ज माफ तथा MSP का वादा, GST मुफ्त खेती का वादा, देश के मजदूरों को मनरेगा के तहत 400/दी जाएगी, 25लाख प्रति लोगों के स्वास्थ्य देखभाल की  व्यवस्था, नई शिक्षा नीति संशोधन का परामर्श राज्य सरकारों से की जाएगी, उच्च न्यायालय के साथ विचार-विमर्श कर राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का गठन होगा। इस प्रकार से है इनके घोषणा पत्र के वादें।

             दोस्तों, हमारे विचार से अगर तुलना कर मंथन किया जाए तो इंडिया गठबंधन की घोषणा पत्र हमारे लिए हीतकारी साबित होगा। क्योंकि गौर करेंगे तो देखेंगे जमीनी स्तर से यानी साधारण लोगों के लिए पहली प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए यह पत्र जारी किया गया है। वहीं दूसरी ओर उच्चस्तरीय को भी नजर अंदाज नहीं किया गया है। कुल मिलाकर यह घोषणा पत्र सर्वसाधारण के हीत में है। 

परंतु साथ ही डर की भी बात है- दरसअल आज के राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े खास व सामान्य लोगों के पैरों में चक्का लगा हुआ है। वे एक जगह (दल) टिकते ही नहीं। कभी दाएं तो कभी बांए। अपनी सहूलियत के अनुसार पार्टी बदलते रहते हैं। और पार्टी इसकी इजाजत भी देती है जो बड़े आश्चर्य की बात है। 

यही काम हमारे द्वारा मतदान के बाद हुआ तो राजनेता उसे समेटने में लगे रहेंगे या घोषणा पत्र के अनुसार जनता से किए गए वादों को पूरा करेंगे? 

डर सिर्फ इसी बात का है। 

बाक़ी एनडीए के घोषणा पत्र में कुछ भी नहीं है। जो हैं वो धनवानों के लिए। हर स्तर का हीत नहीं है। अब कितने लोग बुलेट ट्रेन या हवाई जहाज का सफर कर पाएंगे? शायद नहीं...।

इसलिए घोषणा पत्रों का मंथन कर जनता को चाहिए अपना अमूल्य वोट दान करें ताकि उन्हें आगे अपने अधिकार के लिए सड़कों पर उतरना न पड़े। आंदोलन, भूख-हड़ताल की नौबत न आए।            

       

 राजनेताओं को भला-बुरा कहने से पहले अपने से कोई ग़लती न हो यह सोचना होगा। उदाहरण के तौर पर ले सकते है- लद्दाख मामला.... जो पहले खुश थे, पर  अब खुले आसमान के नीचे अपनी मांगों को लेकर दिन बिता रहे हैं। 

खैर, दोस्तों किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले उसका मंथन जरूरी है....।

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