एसी वाटर----

🙏 दोस्तों, 

                   जल सजीव के लिए अति आवश्यक है। बिना पानी (वाटर) के प्राणी या उद्दभिज (पेड़-पौधे) जीवित नहीं रह सकते। उसे अपने जीवन में हर रोज जल की आवश्यकता होती हैं। इसलिए कहते है- जल ही जीवन है।  

खबरों के अनुसार जल का संकट हमारे माथे मंडरा रहा है। जिसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम ही हैं।दुनिया के कई देशों में जल संकट देखा गया, पर अब हमारे देश भारत में भी देखा जाने लगा है।

उदाहरण के तौर पर हम बेंगलोर की बात कर सकते हैं। यहां पिछले कुछ समय से जल संकट का मामला सामने आया है।

बेंगलोर देश का एक महत्वपूर्ण टाउन है। यह जॉब वेकेंसी के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। इसी वजह से यहां का प्पूलेशन (आबादी) बढ़ता जा रहा है। अतः बिल्डिंग भी काफी बनते जा रहे हैं। लेकिन अब यहां के लोगों को नहाने ,पीने के पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है।

बेंगलोर के जल संकट को देखते हुए बंगाल के  कलकत्ते में जल संग्रहण के बारे में सोचते हुए विशेष पहल की गई है। इसका संबंध एसी (AC) से हैं।

       

  यूं तो जल संकट से सीख लेते हुए अनेकों जगह अनेक विधी अपनाई गई है। लेकिन कलकत्ते में विशेष पद्धति से जल संग्रहण करना शुरू किया जा रहा है।

कलकत्ते के एक क्षेत्र में इसकी शुरुआत घर के "एसी मशीन" से की गई है।

कहा जा रहा है यहां के एक अपार्टमेंट में चार फ्लोर हैं। जिनमें हर फ्लैटों में एसी मशीन लगी हुई है। 

इस अपार्टमेंट के एक सदस्य ने कलकत्ते की एक "हिन्दी पत्रिका" के पत्रकार से बात करते हुए बताया कि- बेंगलोर में हो रही जल समस्या से सीख लेते हुए हमने तय किया है एसी के पाइप से निकलता हुआ पानी हम पुनः प्रयोग में ला रहे हैं। एसी चलने के दौरान उसके पाइप से जो पानी निकलकर बाहर आता है उसका रियूज, हम कई प्रकार से कर रहे हैं। 

         हम पर जल संकट आए उससे पहले ही हमने फैसला लिया और एसी से निकले पानी को संग्रहण कर उस का इस्तेमाल विभिन्न रुप में करने  की आदत बना रहे हैं।

उन्होंने बताया-एसी का पाइप बाथरूम से जोड़ रखें है  जो बाथरूम की सफाई में युज होता है। एसी के पाइप को बालकनी में अटैच किया गया है। वहां पानी संग्रह कर बालकनी को धोया जाता है। साथ ही पेड़ पौधे में डाला जाता हैं, साइकिल या अन्य गाड़ी भी इसी के पानी से धोकर साफ किया जाता हैं।

दरअसल उनके हिसाब के मुताबिक एक टन वाले एसी से करीब दस लीटर पानी हर रोज प्राप्त किया जा सकता हैं। जो काफी होता है ऐसे कामों में इस्तेमाल करने के लिए....।  

एसी पाइप से निकले पानी को नष्ट न कर उसका सही उपयोग कर जल संकट से मुकाबला करने की एक छोटी सी पहल है।

दोस्तों, यहां एक और बात बता दें कि "केप टाउन" यानी जो कि दक्षिण अफ्रीका की राजधानी है और यह यहां का दूसरा सबसे घनी आबादी वाला शहर माना जाता है। इस शहर ने 2015 से 2018 के बीच पिछले 400 सालों में एक बार सूखा झेला था। खबरों के अनुसार आगे भी इस शहर के सामने जल संकट चुनौती भरा हो सकता है। शायद केप टाउन में पानी खत्म होने की संभावना महसूस की जा रही है।

      

  इन्हीं देश-विदेश की बातों व उदाहरणों से सीख लेते हुए हमें संकल्प लेना होगा- देश के हर एक व्यक्ति को पानी बचाना है। ताकि आगे हमें जल संकट का सामना न करना पड़े। पानी व्यर्थ न कर उसका रियूज या विकल्प इस्तेमाल करें। तभी हो सकता है जल संकट से हम बच पाएंगे....।

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