विरासत कर---

🙏 दोस्तों,

                     कई टैक्सों में विरासत टैक्स भी जुड़ा है। दुनिया के कई उन्नतमान देशों में विरासत कर (इनहेरीटेज टैक्स) लगाए जाते है। अमेरिका, जापान, 

 फ्रांस, ब्रिटेन आदि ऐसे बड़े देश हैं जहां Inheritance Tax (विरासत कर) लागू है। 

वर्तमान में हमारे देश में ऐसा किसी टैक्स  का प्रवधान नहीं है। सूत्रों के अनुसार भारत में 1953 में  ऐसा कर था लेकिन 1985 में इसे समाप्त कर दिया गया।

*विरासत टैक्स क्या है? जान लेते है- "अपने बाप-दादा, नाना-नानी के संपत्ति का 45% हिस्सा उनके मरणोपरांत, उनके उत्तराधिकारी को मिलेगा और बाकी बचा 55% उस देश की सरकार के पास जाएगा"। इसे 'विकसित कर' कहा जाता है। 

*अब जान लेते है, इस प्रकार के टैक्स की क्या जरूरत है?

पाश्चात्य देशों के अनुसार इस प्रकार के टैक्स का मुख्य उद्देश्य उस देश में, वहां के लोगों के बीच के आर्थिक वर्गीकरण का संतुलन बनाए रखने में यह कर  सहायक होता है। देश की सरकार को मिलें 55% टैक्स से विभिन्न स्तरों को उन्नत करना। जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सहायता या इस प्रकार के और भी क्षेत्रों के उन्नति में शामिल करना है। ताकि अमीर-गरीब के फासले को कम किया जा सके। लोगों की आर्थिक परिस्थिती सुधारी जा सके।

भारत में अनेक लोग ऐसे हैं जो इस कर से परिचित नहीं हैं। परंतु पिछले दो-तीन दिनों से देश में इस टैक्स की चर्चा आम लोगों के बीच खूब हो रही है।

*जान लेते है, कैसे...?

खबरों के अनुसार पाश्चात्य देश के एक टीबी शो के दौरान भारतीय मूल के एक वरिष्ठ व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर कहा गया कि- विरासत कर का प्रावधान अमेरिका जैसे देशों में है पर, भारत में नहीं है। इसकी चर्चा वहां की जानी चाहिए। उनके इस बयान से पूरे देश में हलचल मचा दी गई है।

दरअसल, इस वक्त हमारे देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है। पार्टियां अपने-अपने तरीके से प्रचार कर रही हैं। कोई किसी विषय को मुद्दा बना रहीं हैं तो कोई किसी प्रकार लोगों को लुभाने की कोशिश में जुटी है। एक दल दूसरे दल की कमजोरियों व गलतियों को गिनवा रहीं हैं। ताकि सत्ता पा सके। इन्हीं सब के बीच विरासत कर वाली बात सामने आई। 

हमारे देश के कई जाने-माने व्यक्तित्व के पुराने बयानों से पता चलता हैं इस प्रकार के दिलचस्प टैक्स के वे समर्थक रहे हैं। परन्तु देश के वर्तमान माहौल ने उनके द्वारा ही इसे एक नकारात्मक मुद्दा बना दिया  गया है। 

जिनके बयान से यह हलचल है वो इंडिया ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष है। अतः बेवजह भारत की सबसे पुरानी पार्टी को इस लपेटे में ले लिया गया है।

उनका मानना है संपत्ति शुल्क कर कानून के जरिए लोगों की मेहनत की गाढ़ी कमाई का अधिकांश हिस्सा सरकार ले लेगी। ऐसे में व्यापारी व बनियान समाज को नुक़सान पहुंचेगा।

दोस्तों, हमारे देश में अनेक लखपति या करोड़पति हैं जो दान करते आए हैं। जमीन, पैसे, गोल्ड आदि। किसी न किसी माध्यम से औरों को आर्थिक मदद करते हैं। ऐसे में विरासत कर को भी दान का एक माध्यम समझा जा सकता है।

जिसके बयान के गलत मायने ने हलचल मचा दी है वे कोई साधारण व्यक्तित्व नहीं है। दुनिया के पढ़े-लिखे, ज्ञानी व्यक्तियों में एक है। 

उनका संक्षिप्त परिचय है- 1942 में उनका जन्म उड़ीसा में एक गुजराती परिवार में हुआ था। जिसका पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। दुनिया उन्हें "सैम पित्रोदा' के नाम से जानती है। 

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी के साथ मिलकर उन्होंने देश में टेलीकॉम, शिक्षा जैसे टेक्नोलॉजी में काम किया। तभी तो हमारा देश इस क्षेत्र में यहां तक पहुंच गया है।

उनके इस प्रकार के संक्षिप्त परिचय से, उनके हाल के विरासत टैक्स के बयान के बजन का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

आर्थिक उन्नति देश की उन्नति में सहायक होता है...।

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