पूर्ण सूर्य ग्रहण---

🙏 दोस्तों,

                         नया साल 2024 का आज पहला सूर्य ग्रहण है। दिन '8अप्रैल' का है। 

पूरी दुनिया में "पूर्ण सूर्य ग्रहण" की चर्चा जोरों-शोरों से है। इसलिए आज हमारी इस लेख के जरिए साल के पहले सूर्य ग्रहण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने की एक छोटी सी कोशिश रहेगी।

सूर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण, एक "खगोलीय घटना" है।आज से 15दिन पहले चन्द्र ग्रहण हुआ था और उसके ठीक बाद आज यानी 8अप्रैल को सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। बताया जाता है यह पूर्ण सूर्य ग्रहण है। और दोनों ही सोमवार के दिन पड़ा हैं अतः इनके जानकारों के अनुसार ग्रहण काफी 'महत्वपूर्ण' है।

      पूर्ण सूर्य ग्रहण से तात्पर्य है चन्द्रमा सूरज को पूरी तरह से ढक देगा। ऐसा वैज्ञानिकों का कहना है। 

जैसा कि हम जानते हैं परिक्रमा के दौरान जब चन्द्रम, पृथ्वी और सूरज के बीच आ जाता है तब सूर्य ग्रहण होता है। और पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूरज एक सीधी रेखा में आ जाते हैं।

चन्द्रमा, सूर्य को 'आंशिक' ढंकता है तो सूर्य ग्रहण और जब 'पूरा' ढक लेता है तो पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। ऐसे में पृथ्वी के एक हिस्से (दिन) मे अंधकार छा जाता है।

तीनों के एक सीधी रेखा में आने का समय काफी लम्बा होता हैं। इसलिए हर साल पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होता। जब लम्बे समय बाद चन्द्रमा, पृथ्वी और सूरज एक रेखा में आते हैं तो, नजारा दुर्लभ माना जाता है। 

        खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया पूर्ण सूर्य ग्रहण इस साल 2024 के 8अप्रैल को देखेगी जबकि इससे पहले दुनिया ने यह नजारा 1970 में देखा था और आगे 2078 में पूर्ण सूर्य ग्रहण देख सकेगा।                       


इस तरह की अद्भुत खगोलीय घटना दुनिया का कोई इंसान देख सकता है और किसी को जीवन अवसर नहीं देता। लेकिन वैज्ञानिक युग में हम टेलिकास्ट या कैमरे के माध्यम ऐसे नजारे देख सकते हैं। लोग इसका विडियो जरूर बनाएंगे। अतः दुनिया अप्रत्यक्ष रूप से इस खगोलीय स्थिति को देख सकती हैं। जिन देशों में पूर्ण सूर्य ग्रहण का असर नहीं रहेगा वे देख पाएंगे।

दोस्तों, 2024 के 8अप्रैल का पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। बताया जाता है कि भारतीय समय अनुसार रात 9:12 में ग्रहण लगेगा और रात 2:22मिनट में यह समाप्त होगा। 

वैज्ञानिकों के अनुसार चन्द्रमा, सूर्य को पूर्ण रूप से करीब 4 से 5 मीनट तक ढके रखेगा। ऐसी स्थिति में दिन में अंधेरा छा जाएगा। यानी जिन देशों में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा वहां दिन में कुछ मिनट के लिए रात हो जाएगी।

पूर्ण सूर्य ग्रहण के अद्भुत नजारे का असर सबसे ज्याद अमेरिका में देखने को मिलेगा। अमेरिका में दिन का कुछ समय अंधेरा हो जाएगा। इसके अलावा यूरोपीय देशों में तथा कनाडा, अटलांटिक आदि देशों में भी दिखाई देगा। लेकिन भारत व इसके पड़ोसी देशों में ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अर्थात दुर्लभ खगोलीय नजारा दिखाई नहीं देगा।

साथियों, ग्रहण लगने से दो तरह के प्रभाव पड़ने की संभावना रहती हैं। अब इन प्रभावों को दुनिया के अलग-अलग देशों में अपने-अपने तरीके से मानने व पालन करने के नियम हैं या नहीं भी मान सकते हैं। लेकिन भारत में माना जाता है। 

ये दो प्रभाव हैं- भौतिक प्रभाव (साइंटिफिक) और दूसरा आध्यात्मिक प्रभाव...।

हम भारतियों पर आध्यात्मिक प्रभाव का असर ज्यादा पड़ता है। कारण हमारे हिन्दू शास्त्रों के हिसाब से हम चलते हैं। जिसमें शुभ, अशुभ, सावधानियां, कुप्रभाव, योग, संयोजक आदि बतलाई जाती हैं और हम उसे फॉलो भी करते हैं। अतः हमारे शास्त्रों के अनुसार ग्रहण लगने से ये सारी बातें सामने आती हैं। जिसको अधिकांश भारतीय मानकर चलते हैं। 

          हमारा मानना है, ग्रहण लगने के पहले से ही सूतक लग जाता हैं। इस दौरान पूजा पाठ बंद हो जाते हैं, कई मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं, ऐसी परिस्थिति में न ही भोजन पकाया जाता है और न ही भोजन किया जा सकता हैं, बचे भोजन में तुलसी डालकर रखा जाता हैं, गर्भवतियों को सावधानी बरतनी पड़ती हैं, छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान रखें जाते हैं, यात्रा की मनाही होती हैं, बगैरे...बगैरे...।

देखा जाए तो शास्त्रों के ये आध्यात्मिक नियम कहीं न कहीं भौतिक प्रभाव से जुड़ा है। अगर हम जरा गहराई में जाकर सोचे तो पाएंगे, ग्रहण के दौरान भौतिक प्रभाव तथा आध्यात्मिक प्रभाव में कुछ मेल हैं।

खैर, ग्रहण खत्म होने के उपरांत भी शास्त्रों में कुछ नियम  बतलाए गए हैं। उन्हें भी हम लोग मानते हैं। जैसे - गंगा जल छिड़काना, नहाना, मंदिर- घरों को धोना या साफ करना आदि इस प्रकार के कुछ नियम हैं। हमारे शास्त्रों में, जिन्हें  माना जाता हैं। 

अब आधुनिक युग के कई लोगों के मन में आ सकता है अगर हमारे देश में सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा तो उनका किसी प्रकार का प्रभाव भी हमारे पर नहीं पड़ेगा अतः हमें शास्त्रों के नियमों को मानने की क्या जरूरत हैं? डरने या सावधान रहने की क्या जरूरत हैं?

इस पर ज्योतिष या शास्त्रों के ज्ञाता के अनुसार दुनिया में चन्द्रमा या सूर्य एक ही है। वहीं पूरी दुनिया में अपना प्रकाश, ताप, शीतलता जैसे प्रभाव डालते हैं। इसलिए हमारे देश में ग्रहण न दिखाई दे फिर भी ग्रहण संबंधित नियमों का पालन होना चाहिए।

दोस्तों, आज के दौड़-धूप की जिंदगी में अपने-अपने सहूलियत के हिसाब से जहां तक हो सके अपने भलाई के लिए सोच समझकर कदम उठाना सही है। हमारी तो यही राय हैं ... बाकी लोगों पर निर्भर करता हैं कि वे क्या करेंगे....।

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