साइड इफेक्ट्स---

  🙏 दोस्तों,

                          आमतौर पर चिकित्सा पद्धति पर ऐसे शब्दों का प्रयोग होता हैं। किसी भी बिमारी को ठीक करने के लिए जब दवा, इलाज, वैक्सीन आदि का प्रयोग किया जाता हैं तो वो उस बिमारी को ठीक करने के साथ अगर अपने कुछ हानिकारक प्रभाव भी मनुष्य में डालता हैं तो उसे "साइड इफेक्ट्स" कहा जा सकता है।

कुछ समय पहले की कोरोना महामारी संकट को दुनिया अभी तक भूल नहीं पाई है। लोगों ने लाचार हो अपनों को खोया। कोई दुआ, कोई दवा काम नहीं आई। बहुतों को आखिर समय, आखिर बार अपनों को देखने का मौका तक नहीं मिला। कई जवान, वृद्ध ने जान गंवाई।

कोरोना महामारी में लोग अपनों के खोने के दुःख से अभी उभर नहीं पाए कि जिन्दा लोगों पर साइड इफेक्ट्स का गाज गिरता नजर आ रहा है।

असल में खबरों के अनुसार 'कोरोना काल' में कोरोना से बचने के लिए दुनिया भर में लोगों को वैक्सीन लगाया गया था। 

विश्व स्तरीय स्वास्थ्य संगठन की ओर से निरोग होने के दावे के साथ सुरक्षित बतलाते हुए लोगों को  "कोविंडशील्ड वैक्सीन" लगवाया गया था। 

भारत में भी लोगों ने अपनी तथा अपनों के जान के खातिर तथा दुनिया के करीब हर देशों के लोगों ने इस पर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुए वैक्सीन लगवाया था। लेकिन अब यही जान बचाने वाले वैक्सीन ने लोगों के बीच आतंक फैला दिया है। 

मिडिया रिपोर्ट में पिछले एक-डेढ़ साल में हमने पाया, कई जवान युवा हार्ट-एटक के शिकार हुए हैं। अनेकों ने जान गंवाई और बहुत इससे प्रभावित हुए। भारत में इसका असर हल्के से वैक्सीन की ओर इशारा कर रहा था लेकिन युवाओं की जीवनशैली को इसका असल कारण बताया गया। 

लेकिन इस साल अभी हाल ही की रिपोर्ट अनुसार लंदन हाईकोर्ट से एक चोंकाने वाला तथ्य दुनिया के सामने आया है।

रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कोर्ट में माना बहुत दूर्लभ मामलों में इसके साइड इफेक्ट्स हो सकतें हैं।

हालांकि खबरों के अनुसार साइड इफेक्ट्स के मामले काफी नगण्य है। खासकर भारत में भारतियों पर इसका असर नहीं के बराबर है।

दूसरी और रिपोर्ट से यह जानकारी भी मिल रही है, अगर वैक्सीन का दूष्प्रभाव होता तो उसका हानिकारक असर तुरंत या कुछ समय के भीतर ही दिखता। पर इतने दिनों बाद साइड इफेक्ट्स नहीं होता। अतः डरने या आतंकित होने वाली कोई बात नहीं हैं। परंतु शोध के अनुसार साइड इफेक्ट्स का असर धिरे-धिरे एक समय के बाद ही होता है।

दोस्तों, अगर आपको याद होगा सोशल मीडिया पर "डॉक्टर विश्वरूप राय चौधरी" जी का...जिनका जीक्र हम यहां करना चाहेंगे....। क्योंकि उन्होंने वैक्सीन के प्रभावों पर आगा किया था।

करीब चार साल पहले की बात है,डाक्टर विश्वरूप राय चौधरी जी ने वैक्सीन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था- वैक्सीन के खुराक़, लोगों के लिए बिमारी को न्योता देना होगा। जान-माल का नुक़सान निश्चित है। वैक्सीन लेने वाले सिर्फ अपनी जिंदगी पर ही दुष्प्रभाव नहीं डालेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी खतरें में डालेंगे। 

यह जानकारी डॉ चौधरी जी ने मिडिया, किताब, तथा विडियो के जरिए कई देशों के लोगों को समझने की कोशिश की थी। बताया जाता है उन्होंने देश के कई उच्च स्तरीय लोगों से मिलकर, पत्र के माध्यम वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के बारे में चर्चा भी की थी। लेकिन उनकी बातों को तवज्जों नहीं दिया गया।

लंदन हाईकोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार तथा भारत में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज किए गए मामले के अनुसार, साफ समझ आता है डाक्टर विश्वरूप राय चौधरी जी का कहना सही था। जिन्होंने उस समय उनकी बात मान वैक्सीन टीका नहीं लगवाया था, आज वे निश्चिंत व सुरक्षित हैं।

खैर, वैक्सीन के हानिकारक प्रभावों से जो पीड़ित तथा चिंतीत हैं उन सभी के लिए डाक्टर चौधरी एक समाधान निकाले हैं। 

सबों को राहत दिलाने के लिए उन्होंने अपनी टीम के सहयोग से एक किट (Kit) निकाली है। 

जिसका नाम- रेपीट ऐक्शन किट (Rapid Action Kit) बताया जाता है.....।

डाक्टर विश्वरूप राय चौधरी जी का दावा है कि इसके जरिए वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के साइड इफेक्ट्स डर से निजात मिलेगा। चूंकि यह किट मेहनत तथा खर्च लगाकर बनाया गया है इसलिए किट का एक सामान्य मूल्य देकर इसे खरिदा जा सकता है।

डाक्टर चौधरी जी आगे बताते हैं कि किट मैन्युअल के रूप में हर कोई इस्तेमाल कर अपने को वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से बचा सकता है। 

एक प्रकार के प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) के माध्यम से किट के इस्तेमाल को समझाया जाएगा। लोग किट को अपने घरों में, कारों में रख सकते हैं और जरूरत के अनुसार उसका Use कर अपने को सही सलामत रख सकते हैं। किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स के शिकार नहीं होगें।

खबरों के मुताबिक डाक्टर चौधरी का कहना है- वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के चलते लोगों को जान-माल का नुक़सान होने की संभावना हो सकती हैं। साइड इफेक्ट्स के चलते लोगों को बॉडी चेकअप की सलाह दी जा सकती हैं, फलस्वरूप जान तथा माल का खतरा बन सकता है। अगर किसी के शरीर में किसी प्रकार का कोई ग़लत प्रभाव न भी पड़े तो भी शंका व्यक्ति को नाजुक परिस्थिति में ले जा सकता है।

दोस्तों, खबरों के अनुसार कोरोना महामारी काल में अधिकांश लोगों ने डाक्टर चौधरी जी की सलाह न मान वैक्सीन लगवाया था जो कि वैसी परिस्थिति में स्वाभाविक भी था। क्योंकि दुनिया मौत से जूझ रही थी। जीवन का डर हर एक को था। 

खैर, वैक्सीन का दुष्प्रभाव हमारे सामने है। पर अब जब वे दोबारा दुष्प्रभाव से हमें बचाने का उपाय बतला रहे है तो हमें उस बारे में एक बार सोचना उचित होगा। ताकि हम व हमारी अगली पीढ़ी सुरक्षित रहे। 

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