नार्दन लाइट्स-----

     🙏 दोस्तों,

                   "नार्दन लाइट्स" शानदार प्राकृतिक ज्योति है। कुदरत की रंगीन "लेजर लाइट"...।

पृथ्वी पर अरबों से प्राकृतिक घटनाएं घटित होती आई हैं। जिनमें "नार्दन लाइट्स" भी एक "खगोलीय" घटना है।

'सूर्य' से निकला "सौर चुंबकीय तूफान' 'पृथ्वी' से टकराने के कारण आसमान में यह दिखाई देता है।

भारत में पहली बार 2024 (10मई) में लद्दाख के आसमां में "नार्दन लाइट्स" दिखाई दिया। अद्भुत नजारे के साथ आसमान में दिखाई देता लाल-गुलाबी रंग की चमकती रोशनी जैसे धरती को छू रही हो। भारत के लद्दाख के आसमान के अलावा और भी कई देशों के लोगों ने इसे देखा।

खगोलीय भाषा में "सौर चुंबकीय तूफान" को नार्दन लाइट्स कहा जाता है। 

अर्थात संक्षिप्त में जानना चाहें तो खगोलीय जानकारों के अनुसार "नार्दन लाइट्स" आसमान में दिखाई देने वाली रंगीन लाइट्स हैं। जब सौर चुंबकीय तूफान धरती से टकराता है तब ऐसा दुर्लभ और अद्भुत नजारा देखने को मिलता हैं। सौर तूफान की उत्पत्ति सूर्य से होती है।

अब जान लेते है कैसे...?

सौरवैज्ञानिकों की दी गई जानकारी से पता चलता है- सूर्य की अति शक्तिशाली कणों की धार, उच्च ऊर्जा अचानक सूर्य के सतह की किसी क्षेत्र पर बढ़ने लगती है। तब इनमें से कुछ ऊर्जा प्रति सेकेंड की गति से धरती की ओर बढ़ती है और पृथ्वी से टकराती है। ऐसे में आसमान में रंगीन चमकदार रोशनी दिखाई देता है। यही रोशनी "नार्दन लाइट्स" कहलाता है। यानी सूर्य की बढ़ने वाली चमक को 'सौर चुंबकीय तूफान' कहा जाता है।

खबरों के अनुसार सबसे शक्तिशाली "सौर चुंबकीय तूफान" सन् 1859 में दिखा था। और अंतिम बार 2003 में धरती पर यह घटना घटी थी। अब करीब दो दशकों के बाद अर्थात  20 साल बाद 2024 में यह दुर्लभ घटना घटी। जो भारत में पहली बार लद्दाख के आसमान पर दिखाई दिया।

यह सौर तूफान कुछ घंटों या दिनों तक आसमान में बनी रहती है। और उस क्षेत्र के लोग इस अद्भुत खगोलीय घटना का आनन्द ले सकते हैं। 

इस तरह की खगोलीय घटना के कारण लद्दाख तथा कई अन्य देशों में आसमान में रंगीन बिजली दिखाई पड़ी। इनमें ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, डेनमार्क, पोलैंड आदि हैं।

जैसा कि हमने जाना कुदरत की अद्भुत घटना सौर चुंबकीय तूफान से प्रकृति के शानदार नजारों का आनन्द उठाया जा सकता है। मन रोमांचित हो जाता है लेकिन इस प्रकार की दूर्लभ घटना कई सिस्टमों में काफी नुकसान पहुंचा सकता हैं।

शुक्रवार 10मई को सौर तूफान के धरती से टकराने के कारण जहां एक ओर आसमान रंगों से भरकर ऱगीन हो गया वहीं दूसरी ओर बताया जा रहा हैं इसका बुरा असर भी पड़ सकता है।

धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव (क्षेत्रों) में सौर  तूफान का असर देखने को मिला। और यह असर कुछ दिनों तक रहने की उम्मीद जताई जा रही है। 

इसी वज़ह से सौर वैज्ञानिक संस्था की ओर से सौर तूफान के आए क्षेत्रों को चेतावनी दी जा रही है। सैटेलाइट आपरेटर्स, एयरलाइंस आदि क्षेत्रों को सचेत रहने की सलाह दी जा रही हैं। इसके अलावा रेल पटरियों, बिजली लाइनों, पाइप लाइनों जैसे सिस्टमों में बिजली प्रभावित हो सकती हैं।

सौर जगत के जानकारों के अनुसार सौर तूफान को G1 से G5 पैमाने में मापा जाता है। सूर्य से आए इस तूफान की शक्ति का इस प्रकार के माप से निर्धारित किया जाता है। अगर G1 है तो तूफ़ान कम शक्तिशाली माना जाएगा और धीरे-धीरे संख्या के साथ तीव्रता बढ़ती हुई G5 है तो अधिक शक्तिशाली वाला सौर तूफान जाना जाता है। 

खबरों के अनुसार कहा जा रहा है कि 2024 का सौर चुंबकीय तूफान G5 पैमाने पर मापा जा रहा हैं। जो अत्यंत शक्तिशाली होने की वजह से इलैक्ट्रिक सिस्टम को प्रभावित कर सकता हैं। इसलिए सतर्कता दी गई है।

सौर तूफान से मानव शरीर को किसी प्रकार का विशेष नुक़सान नहीं पहुंचेगा लेकिन ये हमारे भौतिक सुख-सुविधाओं को प्रभावित जरुर कर सकता हैं। इस तरह की शक्तिशाली सौर चुंबकीय तूफान से बिजली, नेटवर्क, सैटेलाइट जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं को नुक़सान पहुच सकता हैं।

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