चार धाम यात्रा----

🙏 दोस्तों,

                  जैसा कि हम जानते हैं यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ ये चार धाम हैं। हिमालय की ऊंचाई पर स्थित ये धाम छः माह बंद रहने के बाद हर साल गर्मी के शुरू में लोगों के दर्शन के लिए खुल जाते हैं। और तब से दर्शनार्थियों की यात्रा शुरू हो जाती हैं।

खबरों के अनुसार इस साल 10 मई (2024) को यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुले और 12 मई को बद्रीनाथ धाम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया।

आस्था पर विश्वास रखने वाले, बैकुंठ बास की अनुभूति रखने वाले किसी भी उम्र के श्रद्धालु इन चारों धामों की यात्रा सालों से करते आए हैं। हर साल लाखों यात्रियों की भीड़ रहती हैं। लेकिन बताया जा रहा है इस साल भीड़ का रिकॉर्ड, और सालों के मुकाबले टूट गया है। जिस कारण आस्था का रास्ता असंतुलित हो गया। 

चार धाम कपाट खुलने के दो-चार दिनों में ही मिडिया के जरिए कई अप्रत्याशित मामले सामने आए हैं... जिनमें ये मामले मुख्य माने जा रहे हैं....

1) प्रशासनिक अव्यवस्था

2) रिकॉर्ड रजिस्ट्रेशन 

3) VIP कल्चर 

4) लूट

5) उद्दंडता 

6) स्थानियों की मांग इत्यादि।

     आइए इन मामलों की व्याख्या जान लेते हैं...

प्रशासनिक अव्यवस्था:- दरसअल इस समय देश में चुनाव का माहौल है अतः सारे प्रशासनिक अधिकारी इसमें व्यस्त हैं। दूसरी बात इसी साल धाम यात्रा में अप्रत्याशित भीड़ भी हुईं हैं। कुल मिलाकर जनसैलाब के आगे प्रशासन की ओर से जितनी व्यवस्था और सुरक्षा की गई थी वो बहुत कम पड़ी। 

वहां उपस्थित लोगों के कहे अनुसार पार्किंग, टायलेट, पेय जल आदि मौलिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। गाड़ियों को हाइवे, बीच रास्ते घंटों जगह-जगह पर रोककर रखा जा रहा हैं। 

दुर्भाग्यवश यात्रा के दौरान कुछ मौत की खबर भी सामने आ रही हैं। जो दुखद है....।

वहीं दूसरी ओर कहीं न कहीं लोगों की ओर से भी गलती हो रही हैं। जिस वजह से धाम यात्रा का माहौल असुरक्षित महसूस हो रहा है।

प्रचंड भीड़ और अव्यवस्था गंगोत्री धाम से ही शुरू हुआ है क्योंकि यात्रिगण पहले यही होते हुए आगे की ओर बढ़ रहे हैं। 

यहां के प्रशासन की ओर से व्यवस्था की सकारात्मक बात कही जा रही हैं वहीं दूसरी ओर यात्रियों की ओर से प्रशासन की ओर शिकायत की बात कही जा रही हैं।

रिकार्ड रजिस्ट्रेशन:- चारधाम यात्रा के लिए सरकार की ओर से रजिस्ट्रेशन करवाना सभी के लिए जरूरी हैं। जो निःशुल्क व्यवस्था है। इससे यात्रा के दौरान सरकारी मदद, सेवा व सुविधाएं पायी जाती हैं। 

बताया जा रहा है अब तक करीब 26लाख लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, जो रास्ते में यात्रा कर रहे हैं और करीब 2लाख लोग यात्रा कर चुके हैं। अर्थात सरकार के पास रजिस्ट्रेशन का पूरा डाटा (हिसाब) हैं।

आस्था को महत्व देने वाले सरकार के आदेशानुसार रजिस्ट्रेशन करवाते हैं। सरकारी आदेश के साथ कुछ सुविधाएं पाने हेतु करीब-करीब सभी यात्रीगण रजिस्ट्रेशन करवाते ही हैं। यानी सरकार के पास यात्रा में जाने वालों की संख्या का रिकार्ड रजिस्ट्रेशन के माध्यम रहता है। 

सरकार जानती है कब , कितने लोग रजिस्ट्रेशन करवा रही हैं। यात्रा के दौरान कब, कितनी आनुमानिक भीड़ हो सकती है तो उन्हें सब पता रहता है। अतः यात्रीगण सरकार से मदद, सुरक्षा तथा प्रयाप्त सेवा की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन 2024 के चार धाम के यात्रीगण अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। और सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। सरकार निःशुल्क रजिस्ट्रेशन करवा रही हैं लेकिन भीड़ और नियमानुसार उन्हें पूरी व्यवस्था करनी चाहिए थी जो वे नहीं कर पा रही हैं। ये उनकी नाकामी को दर्शाता है।

VIP कल्चर:- ख़बरों के मुताबिक अनेक दर्शनार्थी व मंदिर प्रांगण से जुड़े लोगों ने VIP सिस्टम द्वारा दर्शन किए जाने से असंतोष जताईं हैं। उनका कहना है हेलिकॉप्टर से आए तथा कुछ रकम से लिए टोकन के माध्यम VIP कल्चर वालों को अल्प समय में दर्शन, अभिषेक आदि की सुचारू रूप से व्यवस्था की जा रही हैं। दूसरी ओर सामान्य वर्ग के यात्री कई किलोमीटर पैदल चल, थके-हारे मंदिर तक पहुंच रहे हैं। यहां आकर उन्हें VIP सिस्टम के दर्शनार्थियों के लिए प्रतिक्षा करनी पड़ रही है। जो बहुत गलत है। इस प्रकार के सिस्टम के लिए दिन व समय निर्धारित कर सामान्य वर्ग के यात्रियों, दर्शनार्थियों की परेशानी को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। VIP व टोकन सिस्टम जिनके देखकर से चल रहा हैं उन्हें इस ओर ध्यान देना अति आवश्यक हैं।

लूट:- चारों धाम की यात्रा पर गए लोगों की शिकायतों में लूट-पाट वाली पद्धति भी शामिल हैं। जाम व भीड़ में फंसे असहाय यात्रियों से कुछ छोटे व्यापारी व सामान बेचने वालों ने लूट मचा रखी हैं। कई गुणा मूल्यों पर वे सामान बेच रहे हैं। 

एक तो ऐसी जगहों पर सामान के दाम ज्यादा होते हैं फिर मौके का फायदा उठाकर उस पर और ज्यादा लिया जाए तो यात्रा पर गए लोगों का बजट बिगड़ जाता हैं। प्रशासन की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। अतः वहां मुंह मांगी रकम अदा की जा रही हैं।

उद्दंडता:- धामों की यात्रा के दौरान कुछ ऐसे लोगों की संख्या भी भीड़ में शामिल हैं जिनका आस्था या आध्यात्मिक महत्व से कोई लेना-देना नहीं हैं। वे वहां गाजे-बाजे के साथ मस्ती करने, विडियो बनाने में, रील बनाने में, मदिरा पान करने के उद्देश्य से पहुंचे हैं। इससे वहां के माहौल में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा हैं। इस प्रकार के उद्दंडता को रोकना अति आवश्यक हैं। मंदिर प्रांगण में लोग ईश्वर के दर्शन के लिए जाते हैं। कई लोग अपने परिवार के साथ जाते हैं। इसलिए दर्शनार्थियों की विनती है उद्दंडता को रोकने का पूरा प्रयास किया जाए।

स्थानियोंं की मांग:- उत्तराखंड के निवासियों की, वहां के प्रसाशन से कुछ मांगें हैं। जिनमें मुख्य है- उनके बतलाए रास्ते से मंदिर में प्रवेश करवा जाए तथा दूसरी ओर से दर्शनार्थियों को बाहर निकाला जाए। ऐसे में उनके व्यापार, पुजारी और भीड़ पर काबू पाया जा सकता हैं। सुरक्षा की नियम से व्यवस्था करनी होगी वरना वे रास्ता रोक सकते हैं। अगर स्थानीय लोगों ने ऐसा कुछ किया तो चारों धाम की यात्रा पर गए लोगों की यात्रा चरमरा जाएगी। 

वैसे ही जनसैलाब तथा प्रशासन की अव्यवस्थाओं के कारण वहां पहुंचे लोग परेशान हैं। 

इसके अलावा भी स्थानीय लोगों की और कई मांगें हैं।

दोस्तों, उपयुक्त मामलों के कारण असल आस्था वाले यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। चारों ओर विरोध, हंगामा तथा नाराजगी देखने को मिल रही हैं। ईश्वर के प्रति आस्था रखने वाले अपनी श्रद्धा, भक्ति की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। तमाम अप्रत्याशित मामलों के चलते ईश्वर से उनका ध्यान भटक रहा है... जो कि इससे पहले शायद नहीं हुआ होगा...।

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