सोलर पैनल---

नमस्कार दोस्तों,

                  

 आज के लेख में सूर्य द्वारा बिजली उत्पादन करने वाले उपकरण की चर्चा करेंगे....।

उपकरण है- सोलर पैनल।

सोलर पैनल होता क्या है? इसके फायदे और नुकसान जैसे कई और अहम चर्चा, इस लेख में करेंगे।

आईए पहले जान लेते है सोलर पैनल होता क्या है...?

दोस्तों, यह एक फ्रेम है। जो सिलिकॉन, कांच और अन्य धातुओं से बनाया जाता है। पैनल फ्रेम जब सूर्य किरणों के सम्पर्क में आता है तो यह उसके छोटे-छोटे कणों के सहयोग से विद्युत उत्पन्न करता है। अर्थात पैनल फ्रेम को सूर्य के संपर्क में लाने से बिजली उत्पन्न होता है। जो हमारे अनेकों काम आते हैं।

इसका सबसे ज्यादा फायदा वहां के लोगों को मिल सकता हैं जहां अक्सर बिजली चली जाती है। घंटों बिजली गुल रहती हैं। इसके अलावा खेत-खलिहानों के लिए "सोलर पैनल" एक उपयोगी उपकरण है।

सोलर पैनल फ्रेम विभिन्न किलो बाट का आता हैं। अलग-अलग ब्रांड के, अलग-अलग कंपनियों के पैनल आते हैं। जिनके उपयोग और कीमत भिन्न हैं।

लेकिन आज हम बात करेंगे "1 किलो बाट" के सोलर पैनल की....

 1किलो बाट का सोलर पैनल घरेलू उपयोग के लिए सटीक है। इसे छत पर खुले आसमान तले लगाया जा सकता है। भरपूर सूरज की किरणों के सम्पर्क में आने से एक दिन में ये 3-4 यूनिट विद्युत उत्पादन कर सकता हैं। जो साधारण घरेलू उपकरणों को चलाने के लिए काफी होता है। 

1किलो बाट पैनल से आप 3-4 LAD बल्ब, 2-3 पंखे, TV, फ्रिज जैसे आम उपकरणों को चलाकर महिने के अपने बिजली बिल कम कर सकते हैं। वैसे आजकल अधिकतर लोगों के घरों में AC का उपयोग किया जाने लगा है। जो 1 किलो बाट पैनल से नहीं चलाया जा सकता। इसके लिए ज्यादा बाट पैनल फ्रेम की आवश्यकता होती है।

AC या इस प्रकार के अधिक बोल्ट वाले उपकरणों के लिए 1से ज्यादा किलो बाट पैनल की आवश्यकता होगी। पर हां, सोलर पैनल से बिजली बिल नहीं के बराबर आता है।

जिन घरों में 20-25 यूनिट विद्युत की खपत होती हैं वहां 1किलो बाट का पैनल फ्रेम काम का नहीं है।

दोस्तों, 1 किलो बाट पैनल की कीमत करीबन एक लाख रुपए तक पड़ जाता है। इसमें सोलर पैनल का पूरा "किट' मिल जाता हैं। जैसे कि फ्रेम के अलावा बैटरी, चार्ज कंट्रोलर, इन्वर्टर आदि। 

किट उपकरणों को हम अलग-अलग भी खरीद सकते हैं या एक पूरा किट भी ले सकते है। कीमत लगभग उतना ही पड़ जाता है। अगर हमारे पास कोई एक उपकरण रखा हो तो अलग बात है। उसका मूल्य घट जाएगा। लेकिन 1 किलो बाट का किट लाखभर पड़ जाता है।

विभिन्न कंपनियों के मूल्य विभिन्न हो सकते हैं। बाकी क़रीब उतना ही पड़ जाता है।

वैसे ये किस्तों में भी लगवाया जा सकता है। ऐसी व्यवस्था भी बताई जाती है।

आप सोच रहे होंगे बिजली बिल कम करने के चक्कर में इतना खर्चा आएगा...? 

लेकिन दोस्तों, पैनल करीब 20-25 सालों तक चलता हैं। इतने सालों रख-रखाव का कोई खर्चा नहीं आता। बस कभी कभार इसमें जमे धूल-मिट्टी को साफ कर, बैटरी में पानी भरना पड़ता है। कंपनी की ओर से गारंटी भी करीब 10साल की दी जाती है।

लेख में हमने सिर्फ 1किलो बाट पैनल से मिलने वाले फायदों की बात बताने की कोशिश की है। अधिक बाट के पैनलों में ज्यादा फायदों के साथ ज्यादा मूल्य भी चूकाने पड़ते हैं। लेकिन एक बार "पैनल फ्रेम" लगा लेने से सालों साल मासिक विद्युत बिल के बोझ से छूटकारा पाया जा सकता है।

कुल मिलाकर अब तक हमने सोलर पैनल की "पोजिटिव साइट" की चर्चा की हैं.... अब कुछ नकारात्मक बातें भी बता देते हैं। जिसे बताना भी जरूरी हो जाता हैं। 

दोस्तों, इस उपकरण के बारे में अनेकों का कहना है- *ये स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। बीमारी की आशंकाएं जताई जाती हैं। परंतु खबरों के अनुसार विशेष शोध से पता चलता है सोलर पैनल का स्वास्थ्य से कोई संपर्क नहीं है। यह (सोलर पैनल) सिर्फ सूर्य के संपर्क में आने से विद्युत उत्पादन करता है। 

*इस उपकरण से रात को विद्युत उत्पादन नहीं किया जा सकता। क्योंकि रात को सूर्य की अनुपस्थिति में सूर्य से सम्पर्क नहीं हो पाता। इसके अलावा बरसात, बादल, आसमानी बिजली के समय भी बीना सूर्य किरणों के सोलर पैनल से बिजली उत्पन्न करना नहीं हो पाता।

*सबसे अहम बात ये है कि अनेक लोगों का मानना है- सोलर पैनल में पैसा लगाना यानी पैसों की बरबादी हैं। कारण यह काफी महंगा आइटम है...। 

खैर, अंत में हम अपने लेख के माध्यम यही कहेंगे अगर कोई घर-परिवार वाले सोलर पैनल लगवाने की योजना बना रहे हों तो पहले इसके विभिन्न पहलुओं पर गौर करें फिर देखिए आपके पास वो स्थान है या नहीं, जहां सूर्य किरणें पर्याप्त मात्रा में आता हो...।

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