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शायर व गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी साहब..........

ऐसा भी भाग्य संभव है.........

बंदों के मालिक----------

समझ- नासमझ..........

हमारे पास सूटकेस नहीं है.........

C/o फुटपाथ---------